बरगद के पेड़ का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है बल्कि बरगद के पेड़ से कई तरह की औषधियां भी बनाई जाती हैं। चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार मालिश करने से बरगद के पेड़ के पत्तों से निकला दूध आराम देता है। साथ ही अगर कोई घाव या खुला घाव हो तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
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Travel Tips: इन जंगलों के नाम दिल्ली की खूबसूरत जगहों में शुमार हैं, राजधानी घूमने के दौरान इन जंगलों की सैर जरूर करें
दिल्ली का मशहूर जंगल: राजधानी दिल्ली की गिनती देश के टॉप ट्रैवल डेस्टिनेशन में होती है। ऐसे में हर साल देश-विदेश से काफी लोग दिल्ली घूमने आते हैं। वहीं, दिल्ली घूमने के दौरान आमतौर पर लोग ऐतिहासिक इमारतों को देखने के साथ-साथ राजधानी के स्ट्रीट फूड का स्वाद लेना पसंद करते हैं। क्या आप दिल्ली के प्रसिद्ध जंगल के बारे में जानते हैं? क्या आप कभी दिल्ली घूमने के दौरान इन जंगलों में गए हैं?
दिल्ली घूमने के दौरान ज्यादातर लोग ऐतिहासिक जगहों पर जाना पसंद करते हैं। हालांकि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी दिल्ली में कुछ खूबसूरत जंगल हैं। जी हां, दिल्ली की यात्रा के दौरान इन जंगलों को एक्सप्लोर करना आपके लिए सबसे अच्छा अनुभव साबित हो सकता है। आइए जानते हैं दिल्ली के आसपास के कुछ आईसी बाजारों के बारे में सामान्य जानकारी प्रसिद्ध जंगलों और उनकी विशेषताओं के बारे में।
तुगलकाबाद रिज, सरदार पटेल मार्ग
दिल्ली में सरदार पटेल मार्ग पर स्थित तुगलकाबाद रिज फॉरेस्ट 6,200 हेक्टेयर में फैला हुआ है। आप इस जंगल में असोला वन्यजीव अभयारण्य भी देख सकते हैं। वहीं तितलियों की 80 से ज्यादा प्रजातियों वाले इस जंगल में ब्लू बुल, ब्लैक बक, ब्लैक नेप्ड खरगोश, साही, सिवेट, सियार और जंगली बिल्लियां भी आसानी से देखी जा सकती हैं।
जहांपना वन, चिराग दिल्ली
दिल्ली में मॉर्निंग वॉक के लिए जहांपना का जंगल काफी मशहूर है। चिराग दिल्ली के इस जंगल में रोजाना कई लोग मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं। जहांपाना जंगल में एक लाफिंग क्लब भी स्थित है। जहां आईसी बाजारों के बारे में सामान्य जानकारी आप लाफिंग थेरेपी आजमा सकते हैं। इसके अलावा इन जंगलों में आप नीलगाय को भी बेहद करीब से देख सकते हैं।
नॉर्थ रिज, नॉर्थ कैंपस
पुरानी दिल्ली में नॉर्थ कैंपस से सटा नॉर्थ रिज भी दिल्ली के मशहूर जंगलों में गिना जाता है। 1915 में उत्तरी रिज के हिस्से को आरक्षित वन का दर्जा दिया गया था। ऐसे में उत्तरी रिज के भ्रमण के दौरान आप कमला नेहरू रिज में पक्षियों की 70 से अधिक प्रजातियां और 80 फीट गहरा तालाब देख सकते हैं।
मंगर बानी वन, गुड़गांव हाईवे
दिल्ली एनसीआर में फरीदाबाद और गुड़गांव हाईवे पर स्थित मांगर बानी जंगल की सैर भी प्रकृति प्रेमियों के लिए बेहतरीन हो सकती है। अरावली पहाड़ियों से घिरे इस घने जंगल में पेड़ों को काटना पूर्णत: प्रतिबंधित है। वहीं, वन के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग इस खूबसूरत जंगल की रखवाली करते हैं।
संजय वन, महरौली
दिल्ली के महरौली में स्थित संजय वन 783 एकड़ में फैला हुआ है। वहीं, संजय जंगल का नाम दिल्ली के मशहूर जंगलों में गिना जाता है। दक्षिण मध्य रिज और वसंत कुंज के पास इस जंगल में, आप कई पक्षी प्रजातियों जैसे बैंगनी सनबर्ड, एशियाई कोयल, भारतीय सिल्वरबिल, ब्राह्मणी स्टार्लिंग और ग्रे ब्रेस्टेड प्रिनिया के साथ-साथ विदेशी कीकर और मैक्सिकन मेसकाइट पौधों को देख सकते हैं।
हिंदू धर्म: बरगद के पेड़ के फायदे, औषधीय गुण, लाभ और नुकसान
बरगद के पेड़ का महत्व: हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा सदियों पुरानी है. बरगद के पेड़ को हिंदू धर्म में अक्षय वट भी कहा जाता है। इस पेड़ का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। धर्म की दृष्टि से कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान रहते हैं। इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो बरगद के पेड़ की जड़, तना और फल में औषधीय गुण पाए जाते हैं। हिन्दू शास्त्रों में बरगद के पेड़ के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस बारे में बता रहे हैं भोपाल के ज्योतिषी आईसी बाजारों के बारे में सामान्य जानकारी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा। आइए जानते हैं बरगद के पेड़ का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व।
बरगद ऑक्सीजन का खजाना है
बरगद के पेड़ को ऑक्सीजन का खजाना कहा जाता है। कुछ पेड़ ऐसे होते हैं जो प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ते हैं। बरगद उनमें से एक है। बरगद के साथ-साथ बांस, नीम और तुलसी के पेड़ भरपूर ऑक्सीजन देते हैं। वैज्ञानिक शोध के अनुसार बरगद, नीम, तुलसी के पेड़ एक दिन में 20 घंटे से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा कर सकते हैं।
बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व
बरगद के पेड़ को हिंदू धर्म में वट वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। बरगद के पेड़ की जड़ें जमीन में आईसी बाजारों के बारे में सामान्य जानकारी दूर-दूर तक फैली होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बरगद के पेड़ की छाल में विष्णु का वास होता है, बरगद के पेड़ की जड़ों में ब्रह्मा का वास होता है और इसकी शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है।
औषधीय गुणों से भरपूर
बरगद के पेड़ का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है बल्कि बरगद के पेड़ से कई तरह की औषधियां भी बनाई जाती हैं। चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार मालिश करने से बरगद के पेड़ के पत्तों से निकला दूध आराम देता है। साथ ही अगर कोई घाव या खुला घाव हो तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर आईसी बाजारों के बारे में सामान्य जानकारी चोट वाली जगह पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
टाटा चीफ की भविष्यवाणी, 2023 में भी सबसे तेज रहेगी भारत की इकोनॉमी
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के मुताबिक ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती का खतरा बना हुआ है. महामारी, कोविड के नए मामले और जियोपॉलिटिकल टेंशन से दबाव बढ़ सकता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ स्टोरी पर इंडस्ट्री का पूरा भरोसा बना हुआ है और एक तरफ जबकि दुनिया भर में कोविड और मंदी की खौफ बढ़ रहा है, वहीं देश के दिग्गज कारोबारी इस बारे में पूरा भरोसा जता रहे हैं कि साल 2023 में भी रफ्तार के मामले में घरेलू अर्थव्यवस्था सबसे आगे रहेगी. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा है कि भारत अगले साल तेजी से ग्रोथ हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बने रहने के लिये बेहतर स्थिति में है. दूसरी तरफ पूरी दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ कोविड के नए खतरे और वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से और दबाव में जा सकती है.
चंद्रशेखरन ने टाटा समूह के करीब 9.35 लाख कर्मचारियों को नये साल के संदेश में कहा कि खपत में वृद्धि, उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ना और निवेश में तेजी से भारत की वृद्धि को मदद मिलेगी. हालांकि, दुनिया भर के सामने कई जोखिम है. इसमें यूरोप में ऊर्जा संकट, मंदी को रोकने के लिये महंगाई को काबू में लाने का संघर्ष तथा दुनिया भर में जारी भू राजनैतिक तनाव शामिल हैं. उन्होंने अपने संदेश में लिखा है, महामारी के बाद भारत में चीजें बेहतर हुई हैं और पिछले एक साल में हमारा दैनिक जीवन सामान्य रास्ते पर लौट आया है. हमारी कई कंपनियों के लिये कारोबारी गति मजबूत बनी हुई है.
चंद्रशेखरन ने कहा कि अगले साल महंगाई दर के धीरे-धीरे नरम पड़ने की उम्मीद है. भारत बेहतर स्थिति में है और खपत और निवेश में तेजी तथा ग्राहकों के बीच भरोसा बढ़ने से तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा. उन्होंने कहा, हालांकि, सुस्त होती ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ उत्पादन पर दबाव बढ़ा सकती है. लेकिन ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में हमारी बढ़ती हिस्सेदारी कुछ राहत प्रदान कर सकती है. चंद्रशेखरन ने कहा, महामारी और वैश्विक वित्तीय संकट को छोड़ दिया जाए तो अगले साल वैश्विक वृद्धि दर इस सदी की शुरुआत से सबसे कम होगी. हमें कमोडिटी के दाम में तेजी पर नजर रखने की जरूरत होगी.
टाटा ग्रुप के प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा, यह एक गतिविधियों वाला वर्ष रहा. हमने वर्ष के दौरान महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं. इसमें एयर इंडिया का समूह में वापस आना, टाटा न्यू पेश करना तथा टाटा मोटर्स की यात्री कारों की संख्या एक साल में 5,00,000 के पार पहुंचना शामिल है. इसमें ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) का हिस्सा 10 प्रतिशत रहा.
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