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पायलट कार्यक्रम में यह बैंक और शहर शामिल
देशभर के चार शहरों में डिजिटल रुपये के रिटेल पायलट में चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों को चुना गया है. पहले चरण में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, डिजिटल मुद्रा ऋण यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक सहित चार बैंक पायलट लॉन्च में हिस्सा ले रहे हैं. चार अन्य बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में इस पायलट में शामिल होंगे.
पायलट कार्यक्रम शुरू में चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर को कवर करेगा. बाद में इसका विस्तार अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक होगा.

डिजिटल रुपया: आवश्यकता और महत्त्व

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में देश में डिजिटल मुद्रा तथा भारत में इसकी संभावनाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

बीते एक दशक में एथरियम और बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं या क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने विश्व भर के अधिकांश केंद्रीय बैंकों को उनके द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने पर गंभीरता से विचार करने के लिये मजबूर कर दिया है, जो कि कैशलेस सोसाइटी के लक्ष्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में डिजिटल मुद्रा की कमियों को दूर करने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण साबित होगी।

इस संदर्भ में यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) ने यूरोपीय संघ के लिये ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा के मूल्यांकन का इरादा व्यक्त किया है। ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय संस्थाओं को किसी भी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देनों को सुविधा न प्रदान करने का निर्देश दिया था।

हालाँकि बीते दिनों रिज़र्व बैंक ने संकेत दिया था कि वह सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) विकसित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहा है। विश्व भर में आज ऐसे तमाम देश हैं, जो सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा की संभावना की तलाश कर रहे हैं, जिसमें चीन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी शामिल हैं, ऐसे में भारत को डिजिटल मुद्रा विकसित करने हेतु प्रतिस्पर्द्धा में पीछे नहीं रहना चाहिये और जल्द-से-जल्द इस प्रकार की संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये।

मुद्रा के डिजिटलीकरण और डिजिटल मुद्रा में अंतर

  • डिजिटल रुपए के महत्त्व को समझने से पूर्व हमें सर्वप्रथम मुद्रा के डिजिटलीकरण और डिजिटल मुद्रा में अंतर को समझना होगा।
  • मौजूदा वास्तविक मुद्रा के डिजिटलीकरण की शुरुआत इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट और इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम के आगमन के साथ हुई थी। इसकी सहायता से वाणिज्यिक बैंक अधिक कुशल और स्वतंत्र तरीके से ऋण के प्रवाह को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति में बढ़ोतरी होती है, हालाँकि इससे देश की बुनियादी मुद्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • इसके विपरीत ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा देश की बुनियादी मुद्रा को प्रभावित करती है, जिससे देश के केंद्रीय बैंक को मुद्रा सृजन और आपूर्ति के लिये मौजूदा बैंकिंग प्रणाली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि वह स्वयं डिजिटल करेंसी का सृजन कर इसे सीधे उपभोक्ता तक पहुँचा सकेगा।

सरकार द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता

  • अवैध गतिविधियों पर रोक: एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी ( एथरियम और बिटकॉइन आदि) के अराजक डिज़ाइन के कारण उत्पन्न होती है, जिसमें डिजिटल मुद्रा के सृजन और रखरखाव की शक्तियाँ प्रयोगकर्त्ताओं अथवा उपभोक्ताओं के पास होती हैं।
    • बिना किसी सरकारी निगरानी और सीमा पार भुगतान में आसानी के कारण इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा का उपयोग प्रायः चोरी, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग आदि के लिये काफी आसानी से किया जा सकता है।
    • डिजिटल मुद्रा को नियंत्रित करके केंद्रीय बैंक इस प्रकार की घटनाओं पर लगाम लगा सकता है।
    • केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को किसी संपत्ति अथवा पारंपरिक मुद्रा का समर्थन प्राप्त होगा, जिसके कारण इसका मूल्य अन्य डिजिटल मुद्राओं जैसे एथरियम और बिटकॉइन की तरह अस्थिर नहीं होगा।
    • इसके अलावा चीन भी अपनी डिजिटल रेनमिनबी (चीन की मुद्रा) को लॉन्च करके मुद्रा और भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
    • ऐसे में भारत के लिये डिजिटल करेंसी को लॉन्च करना न केवल वित्तीय प्रणाली में बदलाव लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टि से भी काफी आवश्यक है।
    • ऐसे में भारत एक छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, क्योंकि अमेरिका और चीन नए युग के वित्तीय उत्पादों (डिजिटल मुद्रा) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिये संघर्षरत हैं।
    • इस तरह डिजिटल रुपया न केवल वित्तीय नवाचार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच इस छद्म युद्ध में भारत की स्थिति को और अधिक मज़बूत करने के लिये भी काफी महत्त्वपूर्ण है।

    डिजिटल छद्म युद्ध (Digital Proxy War)

    • अमेरिकी डॉलर को लंबे समय से विश्व व्यापार की प्रमुख मुद्रा माना जाता रहा है और अब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती नहीं मिली है, जिसके कारण अमेरिका को वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काफी लाभ प्राप्त होता है तथा वह इसका उपयोग अपने प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिबंध लगाने हेतु भी करता है।
    • हालाँकि अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापार युद्ध के कारण अब चीन डिजिटल रेनमिनबी का उपयोग करके अधिक उन्नत वित्तीय प्रणाली के निर्माण पर ज़ोर दे रहा है।

    डिजिटल रुपए का महत्त्व

    • मौद्रिक नीति का तत्काल प्रभाव: डिजिटल रुपया रिज़र्व बैंक को मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने हेतु प्रत्यक्ष उपकरण प्रदान कर और डिजिटल मुद्रा ऋण डिजिटल मुद्रा ऋण अधिक सशक्त बनाएगा।
      • डिजिटल रुपए के उपयोग से रिज़र्व बैंक को प्रत्यक्ष रुप से मुद्रा सृजन और आपूर्ति की शक्ति प्रदान होगी, जिससे नीतिगत बदलावों के प्रभावों को तत्काल प्रतिबिंबित किया जा सकेगा, जबकि अब तक रिज़र्व बैंक अपने नीतिगत निर्णयों को लागू करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर है।
      • देश की सरकार अथवा केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नियामकों को अर्थव्यवस्था में लेन-देन और ऋण प्रवाह की निगरानी में मदद करेगा, जिससे घोटालों और धोखाधड़ी की निगरानी करने में सहायता मिलेगी और जमाकर्त्ताओं के पैसे को भी सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी।
      • इसके अलावा यह निवेशकों को मौजूदा अत्यधिक जोखिम वाली डिजिटल मुद्रा की तुलना में एक अधिक स्थिर और सुरक्षित विकल्प प्रदान करेगा।
      • डिजिटल रुपया स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की मदद से कैशबैक, पैसे भेजने, ऋण देने, बीमा, शेयर खरीदने और दूसरे वित्तीय लेन-देनों को आसान बना देगा।

      निष्कर्ष

      भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार द्वारा डिजिटल मुद्रा ऋण समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें तेज़ी से बढ़ती वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपना स्थान तलाशने में मदद करेगा। साथ ही इससे भारतीय नागरिकों को देश की पुरानी बैंकिंग प्रणाली से भी मुक्ति मिलेगी और भारत के बैंकिंग मॉडल में एक नया आयाम जुड़ सकेगा। अर्थव्यवस्था में तरलता, बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय बाज़ार आदि पर डिजिटल रुपए के प्रभाव को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत के नीति निर्माताओं द्वारा भारत में सरकार समर्थिक डिजिटल मुद्रा की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। चूँकि आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बीच छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध देखने को मिल सकता है, इसलिये यदि ऐसे में भारत भी अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय तनाव का सामना करना पड़ सकता है, और भारत को इसके लिये पहले से ही तैयार रहना चाहिये।

      CBDC

      अभ्यास प्रश्न: भारत में ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) की संभावनाओं पर चर्चा कीजिये।

      RBI Digital Rupee: डिजिटल रुपया कौन मैनेज करेगा और कैसे होगा इस्तेमाल, यहां जानिए सभी सवालों के जवाब

      RBI Digital Currency Price : रिटेल डिजिटल रुपया मुख्य रूप से रिटेल लेनदेन के लिए नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है.

      RBI releases concept note on Central Bank Digital Currency, to commence pilot launch of e-rupee soon

      Digital Rupee All Details : भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया जारी करेगा और रिडीम करेगा. जबकि, वितरण और भुगतान सेवाएं बैंकों को सौंपी जाएंगी.

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      कैसा दिखेगा रिटेल डिजिटल रुपया
      भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 7 अक्टूबर 2022 को जारी नोट के अनुसार केंद्रीय बैंक ने रिटेल डिजिटल रुपये के लिए एक टोकन आधारित टियर आर्किटेक्चर मॉडल का प्रस्ताव दिया है. टोकन आधारित CBDC बैंकनोट्स के समान है, जिसका अर्थ है कि जो कोई भी इसे रखता है उसे इसका स्वामी माना जाता है. टोकन आधारित CBDC में टोकन प्राप्त करने वाला व्यक्ति यह वेरीफाई करेगा कि टोकन का उसका स्वामित्व वास्तविक है.

      ई-रुपये को कौन जारी और मैनेज करेगा
      भारतीय रिजर्व बैंक के कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक रिटेल डिजिटल रुपये को टू-टियर मॉडल के जरिए बांटने का प्रस्ताव है. भारतीय रिजर्व बैंक e₹-R जारी करेगा और रिडीम करेगा. जबकि, वितरण और भुगतान सेवाएं बैंकों को सौंपी जाएंगी. यह मॉडल वर्तमान भौतिक मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के समान है, जिसमें बैंक जनता को नोटों के वितरण, खाता-रखरखाव, संबंधित आवश्यकताओं के पालन जैसी गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं.

      Train Cancellation: आज रेलवे ने रद्द कर दीं 214 रेलगाड़ियां, यात्रा से पहले चेक जरूर करें ट्रेन का रनिंग स्टेटस
      पायलट कार्यक्रम में यह बैंक और शहर शामिल
      देशभर के चार शहरों में डिजिटल रुपये के रिटेल पायलट में चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों को चुना गया है. पहले चरण में स्टेट बैंक डिजिटल मुद्रा ऋण ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक सहित चार बैंक पायलट लॉन्च में हिस्सा ले रहे हैं. चार अन्य बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में इस पायलट में शामिल होंगे.
      पायलट कार्यक्रम शुरू में चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर को कवर करेगा. बाद में इसका विस्तार अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक होगा.

      डिजिटल रुपये का उपयोग कौन करेगा
      आरबीआई के अनुसार रिटेल डिजिटल रुयपा का पायलट कार्यक्रम बंद उपयोगकर्ता समूहों (CUG) में चुनिंदा स्थानों को कवर करेगा, जिसमें ग्राहक और व्यापारी शामिल होंगे. रिटेल डिजिटल रुपया संभावित रूप से सभी निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के उपयोग के लिए उपलब्ध है.

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      रिटेल डिजिटल का इस्तेमाल कैसे होगा
      रिटेल डिजिटल रुपया उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं. उपयोगकर्ता पायलट कार्यक्रम में शामिल बैंकों द्वारा पेश डिजिटल मुद्रा ऋण किए गए और मोबाइल फोन या उपकरणों पर स्टोर डिजिटल वॉलेट के माध्यम से रिटेल डिजिटल रुपये के साथ लेनदेन कर सकेंगे. लेनदेन पर्सन टू पर्सन (P2P) और पर्सन टू मर्चेंट (P2M) दोनों तरह से हो सकते हैं. व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है.

      सुरक्षित और आसान भुगतान हो सकेगा
      रेगटेक कंपनी बीसीटी डिजिटल के सीईओ जया वैद्यनाथन ने कहा कि आरबीआई सीबीडीसी का लक्ष्य सभी के लिए सस्ता, सुरक्षित और आसान भुगतान के वादे को पूरा करना है. रिटेल डिजिटल रुपया बाजार में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक विनियमित विकल्प प्रदान करता है. इसलिए सीबीडीसी अधिक मजबूत और विश्वसनीय भुगतान की ओर अग्रसर है ताकि नकदी पर निर्भरता कम हो सके. अंडरपिनिंग तकनीक लेनदेन की लागत को कम कर देगी. अन्य भुगतान प्रणालियों के साथ इंटरऑपरेबल होने के कारण यह यूपीआई जैसी मौजूदा तकनीकों का पूरक होगा. इस प्रकार डिजिटल मुद्रा ऋण मोबाइल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को पूरा करेगा.

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      RBI Digital Rupee : पहले चरण में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लोग भाग लेने वाले बैंकों द्वारा पेश किए गए डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-आर के साथ लेनदेन कर सकेंगे.

      इन 4 शहरों में आज से लॉन्च हो जाएगा RBI का डिजिटल रुपया, जानिए पूरी डिटेल

      Digital Rupee : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा डिजिटल रुपये-होलसेल सेगमेंट में पायलट के तौर पर शुरू करने के एक महीने बाद, केंद्रीय बैंक गुरुवार यानी 1 दिसंबर को खुदरा डिजिटल रुपये (E-R) के लिए पहला चरण लॉन्च करने जा रहा है. केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि रिजर्व बैंक ने 1 दिसंबर, 2022 को खुदरा डिजिटल रुपये (E-R) के लिए पहला पायलट लॉन्च करने की घोषणा की है. पहले चरण में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लोग भाग लेने वाले बैंकों द्वारा पेश किए गए डिजिटल वॉलेट (Digital Wallet) के माध्यम से ई-आर के साथ लेनदेन कर सकेंगे.

      बता दें कि मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लोग भाग लेने वाले बैंकों द्वारा पेश किए गए डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-आर के साथ लेनदेन करने में सक्षम होंगे और पहले चरण में 1 दिसंबर 2022 से मोबाइल फोन/उपकरणों पर संग्रहीत होंगे, जिसे बाद में नौ और शहरों में विस्तारित किया जाएगा. केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट शुरुआत में चार शहरों, मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर को कवर करेगा और बाद में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक इसका विस्तार किया जाएगा.

      ईआर-आर एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा जो कानूनी निविदा का प्रतिनिधित्व करता है. आरबीआई ने कहा कि यह उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जो वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं. यह बिचौलियों और बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा. बता दें कि पायलट प्रोजेक्ट में डिजिटल रुपी क्रिएशन, डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेल यूज की पूरी प्रोसेस को बारीकी से परखा जाएगा. इस टेस्ट से मिली लर्निंग पर रिटेल डिजिटल रुपी में बदलाव होंगे फिर सभी के इस्तेमाल के लिए इसे जारी किया जाएगा.

      डिजिटल रुपये से ऐसे होगा लेन-देन

      • उपयोगकर्ता भाग लेने वाले बैंकों द्वारा पेश किए गए और मोबाइल फोन / उपकरणों पर संग्रहीत डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ईआर-आर के साथ लेनदेन करने में सक्षम होंगे.
      • लेन-देन व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) दोनों हो सकते हैं.
      • मर्चेंट स्थानों पर प्रदर्शित त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है.

      ये बैंक शुरू करेंगे डिजिटल रुपया

      पहला चरण देश भर के चार शहरों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के चार बैंकों के साथ शुरू होगा. केंद्रीय बैंक के अनुसार, इस पायलट में चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों की पहचान की गई है. बाद में चार और बैंकों, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी डिजिटल मुद्रा ऋण बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को इस पायलट में शामिल किया जाएगा.

      e-rupee को लाने की वजह

      यह रुपए के मौजूदा डिजिटल स्वरूप की जगह नहीं लेगा, बल्कि लेनदेन का एक और माध्यम उपलब्ध कराएगा. RBI का मानना है कि ई-रुपी डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देगा. नगद अर्थव्यवस्था घटाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी. लेनदेन की लागत घटाने में डिजिटल मुद्रा ऋण भी मदद मिलेगी. पेमेंट सिस्टम अधिक प्रभावी बनेगा.

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      Digital Currency: UPI ऐप और पेटीएम-गूगल पे डिजिटल मुद्रा ऋण से कैसे अलग है डिजिटल रुपया? आसान भाषा में समझिए

      आरबीआई ने 1 दिसंबर से डिजिटल रुपये में लेनदेन की सुविधा आम आदमी को भी दे दी है.

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      डिजिटल रुपया कारोबारों के लिए ऑनलाइन लेनदेन करना आसान बना देगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन तकनीक पर आधा . अधिक पढ़ें

      • News18 हिंदी
      • Last Updated : December 02, 2022, 15:11 IST

      हाइलाइट्स

      डिजिटल रुपये की मोबाइल वॉलेट और UPI ऐप्स से कोई प्रतिस्पर्धी नहीं है.
      डिजिटल रुपये के जरिए ऑनलाइन लेनदेन करना कारोबारों के लिए आसान हो जाएगा.
      डिजिटल करेंसी पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड मुद्रा होगी जिसे सिर्फ डिजिटली एक्सेस किया जा सकेगा.

      नई दिल्ली. भारत सरकार की डिजिटल रुपये की घोषणा के साथ, इस बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह मौजूदा डिजिटल वॉलेट के कारोबार को प्रभावित करेगा, जबकि डिजिटल रुपया अभी भी विकास के शुरुआती चरण में है, भारत में व्यवसायों के संचालन के तरीके पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.

      डिजिटल रुपया कारोबारों के लिए ऑनलाइन लेनदेन करना आसान बना देगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा, जो तेज और सुरक्षित लेनदेन की अनुमति देगा. लेकिन अब यह सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि क्या भुगतान का यह नया तरीका UPI डिजिटल मुद्रा ऋण और मोबाइल वॉलेट जैसे पेटीएम और गूगल पे का सीधा प्रतिस्पर्धी हो सकता है?

      मोबाइल वॉलेट और UPI ऐप्स से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं

      डिजिटल रुपये का पेटीएम, गूगल-पे और फोन-पे जैसे मोबाइल वॉलेट और UPI ऐप्स से कोई प्रतिस्पर्धी नहीं है. यह सिर्फ डिजिटल भुगतान का एक नया तरीका है. इसके तहत आप बैंक से एक बार डिजिटल रुपए खरीदकर उसे किसी अन्य व्यक्ति या मर्चेंट को वॉलेट से वॉलेट ट्रांजेक्शन कर सकते हैं. डिजिटल रुपये को आरबीआई का समर्थन होगा जिससे इसकी विश्वसनीयता और ज्यादा बढ़ जाएगी.

      मौजूदा डिजिटल ट्रांजेक्शन से अलग कैसे होगा?

      वर्तमान में हम किसी भी मर्चेंट को ई-वॉलेट या UPI के जरिए जो पेमेंट करते हैं, उसे डिजिटल करेंसी नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि इसके जरिए पैसा फिजिकल करेंसी के रूप में ही काम करता है. यानी आप भुगतान के लिए उपयोग की जाने वाली मुद्रा को वर्तमान भौतिक मुद्रा के बराबर मानते हैं. डिजिटल करेंसी पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड मुद्रा होगी जिसे सिर्फ डिजिटली एक्सेस किया जा सकेगा. आगे यह संभव है कि मोबाइल के जरिए भुगतान की सुविधा देने वाली कंपनियां अपने ऐप का एक भाग डिजिटल रुपये को दे सकती हैं.

      डिजिटल रुपया लाने का क्या मकसद है?

      CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली मुद्रा नोटों का एक डिजिटल रूप होगा. वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में वित्त मंत्री ने ब्लॉकचैन आधारित डिजिटल रुपये को पेश करने की घोषणा की थी. वहीं केंद्रीय बैंक का कहना है कि मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय, डिजिटल रुपये का लक्ष्य डिजिटल मुद्रा का पूरक है. इसका मकसद उपभोक्ताओं को भुगतान के लिए अतिरिक्त विकल्प देना है.

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