निवेश में एसेट एलोकेशन का क्या है मतलब ?
एसेट एलोकेशन निवेश की रणनीति बनाने में मदद करता है, यानी किस निवेश माध्यम में कितना निवेश किया जाये. इससे नुकसान की आशंका कम रहती है
एसेट एलोकेशन से फायदा होता है कि अगर एक इंस्ट्रूमेंट में उतार-चढ़ाव होता है तो दूसरे में फायदा होता है. उदाहरण के तौर पर अगर शेयर बाजार में गिरावट आई तो हो सकता है सोने में उतनी गिरावट न आकर तेजी ही आए.
हर निवेशक के हिसाब से एसेट एलोकेशन अलग-अलग होता है. उदाहरण के तौर पर एक एग्रेसिव इन्वेस्टर 75 फीसदी पैसा इक्विटी म्यूचुअल फंड्स, 20 फीसदी एफडी और 5 फीसदी सोने में निवेश कर सकता है.
निवेश कैसे करें एसेट एलोकेशन
वित्तीय उत्पादों में निवेश करने से पहले आपको अपना एसेट एलोकेशन तय करना होता है. निवेशक ऐसा खुद कर सकते हैं या किसी वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आप 10 लाख रुपए निवेश करना चाहते हैं तो 50 फीसदी निवेश इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में होना चाहिए. 45 फीसदी डेट फंड्स में और 5 फीसदी गोल्ड फंड्स में.
इसे नियमित तरीके से मॉनीटर करना भी जरूरी है. इसलिए एक साल के बाद बाजार चढ़ने से इक्विटी फंड्स का एलोकेशन 60 फीसदी हो जाता है तो एक साल बाद इसे 50 फीसदी के स्तर पर लाना चाहिए. इसी तरह से अगर अतिरिक्त पैसा इसी में लगाने की जरूरत है तो कुछ सिद्धांतों का पालन करना जरूरी है.
यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आ गई तो आपको भारी नुकसान पहुंच सकता है. वेल्थ मैनेजर्स को भी मानना है कि एसेट एलोकेशन में चिपके रहना आपके वित्तीय लक्ष्यों की राह में रोड़ा हैं.
कब करें एसेट एलोकेशन की समीक्षा
निवेशकों को कम से कम एक तिमाही में एसेट एलोकेशन की समीक्षा करनी चाहिए. अगर कोई एसेट क्लास में 10 फीसदी से ज्यादा तेजी या मंदी आती है तो अपने पोर्टफोलियो की रीबैलेसिंग करना बहुत जरूरी होता है.
Investment Tips : क्या होता है एसेट एलोकेटर फंड, बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाकर कैसे तगड़ा रिटर्न देता है यह विकल्प
एसेट एलोकेशन फंड आपके निवेश को विभिन्न एसेट में बांटकर बेहतर रिटर्न देता है.
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव का म्यूचुअल फंड पर भी बड़ा असर पड़ता है. ऐसे में निवेशकों के सामने बड़ी चुनौती सही समय . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 26, 2022, 12:20 IST
नई दिल्ली. शेयर बाजार में आ रहे उतार-चढ़ाव का असर म्युचुअल फंड के निवेश पर भी दिखने लगा है और इक्विटी एक्सपोजर में कमी आई है. इसका सबसे बड़ा कारण निवेशकों की जानकारी का अभाव है. उन्हें पता ही नहीं होता कि किस समय किस तरह के एसेट क्लास में निवेश करना चाहिए.
निवेशकों की इसी उलझन को दूर करता है एसेट एलोकेटर फंड. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह आपके निवेश को विभिन्न एसेट क्लास में आवंटित करता है. ऐसे में इस फंड का चुनाव करने वालों को यह चिंता नहीं रहती है कि उन्हें कब किस एसेट में पैसे लगाने चाहिए और कब उससे बाहर निकलना चाहिए. ऐसी मुश्किलों का हल एसेट एलोकेटर फंड करता है. वैसे तो बाजार में इस तरह के कई फंड हैं, लेकिन पिछले कुछ साल से आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के इस फंड ने दमदार प्रदर्शन किया है.
शेयर बाजार से भी ज्यादा का रिटर्न
एक आंकड़े के मुताबिक, एसेट एलोकेटर फंड ने सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही एक्सचेंज के रिटर्न से ज्यादा का मुनाफा पिछले 12 वर्षों में दिया है. अगर किसी निवेशक ने मार्च 2010 में एकमुश्त 10 लाख रुपये का निवेश किया होगा तो वह आज 41.41 लाख रुपये के बराबर होगा. इसी दौरान, निफ्टी 50 में यही निवेश 39.03 लाख रुपये रहेगा. गौरतलब है कि इस दौरान एसेट एलोकेटर फंड का इक्विटी निवेश सिर्फ 43 फीसदी रहा.
समय देखकर चुनता है एसेट
यह फंड मौका और हालात देखकर इक्विटी व डेट म्यूचुअल फंड योजनाओं के बीच निवेश करता है. इस स्कीम में सोने में भी आवंटन किया जाता है. फंड की एक खास बात यह है कि वैल्यूऐशन मॉडल के आधार पर इक्विटी और डेट दोनों में आवंटन 0-100% तक हो सकता है. यानी जब जिसका प्रदर्शन अच्छा होगा, उसमें ज्यादा राशि निवेश की जाएगी. यह मॉडल बाजार में गिरावट आने कम पर खरीदो और बढ़त पर बेचो (buy low, sell high) के सिद्धांत पर काम करता है.
ऐसे समझें आवंटन का गणित
महामारी की शुरुआत में जब मार्च 2020 में बाजारों में गिरावट आई तो इसका इक्विटी आवंटन 83% था. यानी लो पर ज्यादा खरीद. इसके बाद जैसे-जैसे बाजारों में सुधार हुआ तो दिसंबर 2020 तक इक्विटी आवंटन 45% तक किस एसेट क्लास में निवेश कम हो गया था. मई 2022 में इक्विटी आवंटन 33% है. जनवरी 2015 के अंत से अप्रैल 2017 की शुरुआत तक सेंसेक्स 30,000 के आसपास मंडरा रहा था और बाजार फ्लैट था, तब भी किस एसेट क्लास में निवेश इस योजना ने 10.8 फीसदी रिटर्न दिया.
एसआईपी पर मिलता है जबरदस्त रिटर्न
इस योजना के तहत अगर किसी को 10,000 रुपये का मासिक एसआईपी शुरू करना है तो एक दशक में निवेश राशि 12 लाख होगी और तब कुल रिटर्न 22.3 लाख रुपये रहेगा, जो 13.3% का सालाना ब्याज है. किसी को कम समय के लिए जैसे 3, 5 या 7 साल के लिए निवेश करना है तो इसका रिटर्न 10% से अधिक हो सकता है. इससे पता चलता है कि आप एकमुश्त निवेश करें या एसआईपी के जरिये, यह स्कीम बेहतर रिटर्न की गारंटी देती है.
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निवेश में रिस्क फैक्टर को घटाना है? एक्सपर्ट से जानें किस एसेट क्लास में मिलेगा मुनाफा
Money Guru: नवरात्रि पर हम आपके लिए लेकर आए हैं निवेश के 9 मंत्र. इस कड़ी आज आपको जानने को मिलेगा अपने निवेश में रिस्क को कम करने के लिए एसेट एलोकेशन का गुर.
Money Guru: किस एसेट क्लास में निवेश क्या आपको भी अपने इन्वेस्टमेंट में रिस्क फैक्टर को कम करना है या अनिश्चित बाजार में मुनाफा कमाना है? तो इसके लिए आपको समझना होगा किस एसेट क्लास में निवेश करने के आपको मौजूदा बाजार में फायदा मिल सकता है. नवरात्रि में निवेश के 9 मंत्र की इस सीरिज में आज आपको जानने को मिलेगा एसेट एलोकेशन का मंत्र. इसमें आपको जानने को मिलेगा कि इस समय किन एसेट क्लास में निवेश से मिलेगा तगड़ा मुनाफा. इसके साथ ही पोर्टफोलियो में रिस्क और रिटर्न के लिहाज से किस एसेट क्लास में कितना एक्सोपजर रखें. फिनवाइज की फाउंडर प्रतिभा गिरीश और आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेंट की हेड श्वेता रजानी आपको बताएंगी इसके बारे में सब कुछ.
Explainer: किसे कहते हैं एसेट एलोकेशन? पोर्टफोलियो में रिस्क और रिटर्न को कैसे बैलेंस करता है यह?
यह जोखिम को कम करता है और ज्यादा रिटर्न दिलाने के दरवाजे खोलता है.
Asset Allocation-एक निवेशक की निवेश यात्रा में एसेट एलोकेशन को सबसे अच्छा मित्र माना जाता है. एसेट एलोकेशन न केवल जोखि . अधिक पढ़ें
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- Last Updated : November 09, 2022, 07:00 IST
हाइलाइट्स
एसेट एलोकेशन का कोई तय पैटर्न नहीं है.
वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में एसेट एलोकेशन का महत्वपूर्ण भूमिका है.
एसेट एलोकेशन बढिया रिटर्न दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
नई दिल्ली. अगर आप निवेशक हैं तो एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) का महत्व समझना आपके लिए बहुत जरूरी है. साधारण शब्दों में कहें अपने पैसे को इक्विटी, गोल्ड, बांड या ऐसे दूसरे एसेट क्लास में बांटना ही एसेट अलोकेशन है. आपके पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन बेहद मायने रखता है. सही एसेट एलोकेशन आपकी बेहतर कमाई करा सकता है. यह रिस्क और रिटर्न, दोनों में बैलेंस बनाने में बहुत काम आता है. यह जोखिम को कम करता है और ज्यादा रिटर्न दिलाने के दरवाजे खोलता है.
हर निवेशक के लिए एसेट एलोकेशन अलग-अलग होगा. सभी निवेशकों पर एक फॉर्मूला लागू नहीं हो सकता. यह निवेशक की उम्र, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता सहित कई बातों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. लेकिन, अफसोस की बात यह भी है कि आज भी बहुत से निवेशक एसेट एलोकेशन नहीं करते हैं. बहुत से लोग शेयर बाजार में आई तेजी देखकर अपना पूरा पैसा वहीं झोंक देते हैं. इसी तरह सोने में तेजी आने पर वे उसकी ओर भागते हैं.
कैसे करें एसेट एलोकेशन?
एसेट एलोकेशन का कोई तय पैटर्न नहीं है. हर निवेशक के लिए यह अलग-अलग तरीके से किया जाता है. एसेट अलोकेशन एक निवेशक के वित्तीय लक्ष्य, निवेश अवधि, जोखिम लेने की क्षमता और लिक्विडिटी के आधार पर किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर कोई निवेशक अधिक जोखिम उठा सकता है तो वह अपनी कुल निवेश योग्य पूंजी में से 70 फीसदी इक्विटी में, 20 फीसदी एफडी में और 10 फीसदी गोल्ड में लगा सकता है. कम जोखिम क्षमता वाला निवेशक इस अनुपात को 40:40:20 रख सकता है. वहीं, अगर कोई निवेशक बिल्कुल भी रिस्क नहीं उठाना चाहता तो वह एफडी में 70 फीसदी, इक्विटी में 20 फीसदी और गोल्ड में 10 फीसदी का निवेश कर सकता है.
एसेट एलोकेशन रणनीतियां
स्ट्रैटजिक एसेट एलोकेशन : यह निवेश करो और भूल जाओ की रणनीति है. एक बार एसेट एलोकेशन तय कर लेते हैं तो फिर उसी एलोकेशन (Asset Allocation) में लंबे समय तक बने रहते हैं.
टैक्टिकल एसेट एलोकेशन : इस रणनीति में एसेट एलोकेशन में बीच-बीच में बदलाव करते रहते हैं. शॉर्ट टर्म में यह रणनीति काफी कारगर करती है. लंबी अवधि के लिए निर्धारित एलोकेशन (Asset Allocation) में बदलाव नहीं किया जाता है.
डायनमिक एसेट एलोकेशन :एसेट एलोकेशन की यह एक एग्रेसिव स्ट्रैटेजी है. इसमें बाजार की चाल के आधार पर एलोकेशन में बदलाव किया जाता है. यही कारण है कि जो इस रणनीति को अपनाते हैं, उनके पोर्टफोलियो में तेजी से बदलाव होता है.
एसेट एलोकेशन के फायदे
एक ही समय में विभिन्न एसेट क्लास अलग-अलग दिशाओं में चलते हैं. यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि कोई एसेट क्लास कब किस दिशा में जाएगा. उदाहरण के लिए जब शेयर चढ़ते हैं तो अमूमन सोना नीचे जाता है. जब आपका पैसा कई जगह लगा होगा तो आपका जोखिम घट जाएगा. एसेट एलोकेशन से फायदा होता है कि अगर किसी एक निवेश विकल्प में तेज उतार-चढ़ाव हो रहा है तो संभव है कि दूसरा आपको स्थिरता प्रदान करे.
एसेट एलोकेशन की समीक्षा
वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में एसेट एलोकेशन का महत्वपूर्ण भूमिका है. वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि साल में कम से कम दो बार अपने एसेट अलोकेशन की समीक्षा जरूरी करनी चाहिए. ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि कई बार किसी समीक्षा जरूर करनी चाहिए. यदि किसी एसेट क्लास में 10 फीसदी किस एसेट क्लास में निवेश से ज्यादा का उतार-चढ़ाव होता है तो पोर्टफोलियो की बैलेंसिंग की जानी चाहिए.
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