KyaTrade - Instant Trading & I
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KyaTrade को ट्रेडिंग टिप्स और विचार कैसे मिलते हैं?
KyaTrade पर विचारों को डेटा और खुफिया संकेतों के एक समूह का उपयोग करके उत्पन्न किया जाता है जो कि व्यापार और रिटर्न के बारे में लाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। हमारी कार्यप्रणाली में हमारे मालिकाना गीगा ट्रेडिंग इंजन का उपयोग करके डेटा के एक बड़े सेट का विश्लेषण करना शामिल है जो प्रासंगिक और कार्रवाई योग्य संकेतों को उत्पन्न करने के लिए तकनीकी और मौलिक दोनों प्रकार के लाखों डेटा बिंदुओं को संसाधित करता है।
इस तरह के बिंदुओं का विश्लेषण हमें विचारों को उत्पन्न करने और आपको क्यूरेटेड व्यापार के अवसर प्रदान करने में सक्षम बनाता है। हम दोहराए जाने वाले मूल्य पैटर्न और रुझानों के आधार पर विचारों को खोजने का प्रयास करते हैं और ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? एक व्यापक इंजन KyaTrade के लिए ऐसे कई अवसरों की पहचान करता है।
पैटर्न को मोटे तौर पर 3 श्रेणियों में बांटा जा सकता है - ट्रेड के बाद के ट्रेंड से लाभ उठाने के लिए ट्रेड्स, मीन रिवर्स ट्रेड और ट्रेड्स के बाद ट्रेंड।
ट्रेड्स के बाद ट्रेंड: KyaTrade उन शेयरों की पहचान करता है जो वर्तमान में मजबूत गति देख रहे हैं और उस रास्ते पर जारी रह सकते हैं। प्लेटफ़ॉर्म ऐसे ट्रेडों में से सबसे अच्छा परदा डालेगा जो आपके लिए निरंतर गति और उल्टा होने की अधिक संभावना प्रदान करते हैं।
दिल्ली : व्यापारियों को नाइट लाइफ के आगाज का इंतजार, बढ़ सकता है 20 प्रतिशत व्यापार
सीटीआई अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि हमारी तो 20 सालों से मांग रही है कि दिल्ली में नाइट लाइफ कल्चर को बढ़ावा मिले. इससे दिल्ली का टूरिज्म भी बढ़ेगा. रात में होने वाले क्राइम पर अंकुश लगेगा.
बृजेश गोयल ने कहा कि 'नाइट लाइफ' का चलन बढ़ने से कारोबार बढ़ेगा.
दिल्ली में ऑनलाइन खरीदारी, डिलिवरी दुकानें, रेस्टोरेंट्स, होटल और परिवहन सुविधाओं सहित 300 से ज्यादा प्रतिष्ठानों को 24 घंटे चलने की अनुमति उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दे दी है. इसके लिए 300 से ज्यादा व्यापारियों ने आवेदन किया था, जिसमें 314 को मंजूरी मिली है. कई आवेदन 2016 से पेंडिंग पड़े थे. इस संबंध में जल्द अधिसूचना भी आने वाली है. इसी पर दिल्ली के व्यापारिक संगठनों की नजर है.
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चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) चेयरमैन बृजेश गोयल ने 'नाइट लाइफ' कल्चर को बढ़ाना देने संबंधी अनुमति पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार पिछले 1 साल से इस दिशा में काम कर रही है और दिल्ली के मार्केट एसोसिएशन्स के अलावा होटल, रेस्टोरेंट, मॉल , बैंक्वेट और सिनेमा एसोसिएशन्स ने भी इसको लेकर अपनी सहमति दी थी ,
नोटिफिकेशन आने के बाद देखना पड़ेगा कि किन-किन सेवाओं को शामिल किया गया है और क्या, इसमें दिल्ली के रिटेल बाजारों की दुकानों को भी छूट दी गई है.
बृजेश गोयल ने कहा कि 'नाइट लाइफ' का चलन बढ़ने से कारोबार बढ़ेगा. होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, ऑटो, ई-रिक्शा, टैक्सी, कैब वालों का बिजनेस उठेगा. बहुत से परिवारों में लोग देर शाम को ही जुटते हैं. वे रातभर खुलने वाले बाजारों में जाकर समय बिता सकेंगे. 'नाइट लाइफ' को बेहतर करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी ध्यान देना होगा. अभी रात में दिल्ली मेट्रो बंद हो जाती है. डीटीसी और कलस्टर बसें भी सीमित संख्या में चलती हैं.
ऑटो और टैक्सी वाले ज्यादा भाड़ा वसूलते हैं. सड़कों पर सुरक्षा की कमी रहती है. महिलाओं के लिए रात में अकेले निकलना आसान नहीं है. नाइट लाइफ में स्ट्रीट वेंडरों को भी शामिल किया जाना बेहद जरूरी है. दिल्ली की नाइट इकॉनमी में केवल महंगी गतिविधियां ही शामिल ना हों, बल्कि समाज का हर वर्ग उसका हिस्सा बन सके, इसको ध्यान में रखकर प्लानिंग करनी होगी. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि छोटे बड़े सभी तरह का व्यवसाय चलाने वालों को इसका लाभ मिल सके.
राजनिवास के अधिकारियों की माने तो अगले सप्ताह से राष्ट्रीय राजधानी में 300 से अधिक प्रतिष्ठानों का चौबीसों घंटे संचालन किया जा सकेगा. सीटीआई अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि हमारी तो 20 सालों से मांग रही है कि दिल्ली में नाइट लाइफ कल्चर को बढ़ावा मिले. इससे दिल्ली का टूरिज्म भी बढ़ेगा. रात में होने वाले क्राइम पर अंकुश लगेगा.
दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर आधी रात में लंबी दूरी की बहुत से ट्रेनें, एयरपोर्ट पर दूसरे शहरों और विदेशों से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स, बस अड्डों पर कई राज्यों की बसें रात-बिरात आती हैं. इनकी सवारियों को आधी रात के बाद दिल्ली में कहीं भी कुछ अच्छा खाने-पीने को नहीं मिलता है.
स्थानीय ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी धीमा हो जाता है. मनमाना भाड़ा वसूला जाता है. कई ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? गेस्ट हाउस में किचन नहीं है. आधी रात में कोई अतिथि छोटे बच्चों के साथ आता है, तो उन्हें दूध तक देने का इंतजाम नहीं होता है. मेहमानों को भूखा सोना पड़ता है. यदि नाइट लाइफ को ठीक से शुरू कर दिया, तो अर्थव्यवस्था उठेगी. रोजगार बढ़ेगा. होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट्स, गेस्ट हाउस में दो से तीन शिफ्टों में काम होगा. बाहर से दिल्ली आने वालों को परेशानी नहीं होगी. इसकी अधिसूचना आने पर काफी कुछ स्पष्ट होगा.
मुंबई की नाइट लाइफ का अलग चार्म
मायानगरी मुंबई की नाइट लाइफ का अपना ही एक अलग चार्म है. यहां की भागती-दौड़ती जिंदगी जब शाम ढलते ही ठहरती है, तो महफिल सज जाती है. युवा वर्ग मस्ती और घूमने की फिराक में निकल आता है. अगर यह कहा जाए कि मुंबई की नाइट लाइफ जैसी मस्ती कहीं नहीं, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. यहां कई ऐसी लोकेशन हैं, जहां की नाइट लाइफ कुछ अलग ही बयां करती है और उसका नजारा एकदम नायाब होता है. मुंबई में रातों-रात म्यूजिक, ड्रिंक्स और मस्ती की महफिल जमती है. मुंबई में अंधेरी, बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स, ब्रांद्रा वेस्ट, वर्ली, जूहु, मलाड, शांताक्रूज, कांदीवली, कोलाबा, पवई, नवी मुंबई और लोअर परेल जैसे कई इलाकों में देर रात तक धमाल मचा रहता है. इन जगहों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी हमेशा उपलब्ध रहता है. रातभर पार्टियां चलती हैं. पुलिस भी मुस्तैद रहती है.
इन शहरों में भी नाइट लाइफ कल्चर
बेंगलुरु में भी कई सालों से नाइट लाइफ का कल्चर है. यहां कई जगहों पर 24 घंटे, सातों दिन दुकानें और बाकी दूसरे प्रतिष्ठान खुले रहते हैं. कर्नाटक ने नवंबर 2019 और फिर जनवरी 2021 में नोटिफिकेशन जारी कर उन सभी प्रतिष्ठानों को रातभर खोलने की अनुमति दे दी, जहां 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं. इसके अलावा कोलकाता में भी नाइट ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? लाइफ कल्चर की रौनक दिखाई पड़ती है. यहां रात में पब, बार और डांस क्लब गुलजार रहता है. वहीं, गोवा का तो कहना की क्या? यहां तो देशभर के लोग नाइट लाइफ का लुत्फ लेने जाते हैं. समुद्र के कई किनारों पर रेस्टोरेंट्स देर रात तक खुलते हैं. इनमें देसी और विदेशी पर्यटक मौज-मस्ती करते हैं. पूरे दिन ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? और रातभर होटल, रेस्टोरेंट्स, बार, टैक्सी, ट्रैवल वालों को काम मिलता है.
ट्रेड वॉर क्या है, भारतीय बाजार पर कितना पड़ेगा असरॽ
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव अच्छी खबर नहीं है.
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क्या भारत पर भी इसका असर होगाॽ दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव अच्छी खबर नहीं है. विश्वभर के बाजार इससे सहमे हुए हैं. चीन का शंघार्इ कंपोजिट, हांगकांग का हैंगसैंग, जापान का निक्केर्इ तीन फीसदी तक लुढ़क चुके हैं. भारतीय बाजारों में एक फीसदी तक की गिरावट आर्इ है.
जापान, जर्मनी और कोरिया सहित 2017 में लगभग सभी महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदारों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा काफी ज्यादा है. व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश को निर्यात होने वाली वस्तुओं का मूल्य उस देश से आयात होने वाले वस्तुओं के मूल्य से कम ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? होता है.
चीन अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. अमेरिका के कुल व्यापार में चीन की हिस्सेदारी 16.4 फीसदी है. भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के टॉप 5 ट्रेडिंग पार्टनर्स में नहीं आता है. 1.9 फीसदी की व्यापार हिस्सेदारी के साथ वह इस मामले में नौवें पायदान पर है.
चीन-अमेरिका के कारोबारी रिश्तों में पलड़ा चीन की तरफ झुका हुआ है. यह अंतर करीब 375 अरब डॉलर का है. अमेरिका चीन में 130.4 अरब डॉलर का निर्यात करता है. इसके उलट वह चीन से 505.60 अरब डॉलर का आयात करता है. अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस 22.9 अरब डॉलर है, जो बहुत ज्यादा नहीं है.
डायमेंशंस कंसल्टिंग के सीर्इओ अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि ग्लोबल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी नाम मात्र की है. इसलिए भारत पर ट्रेड वॉर के असर का अनुमान लगा पाना मुश्किल ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? है. कुछ सेक्टरों पर इसका जरूर असर पड़ सकता है.
भारतीय बाजार के लिए ग्लोबल ट्रेड वॉर से ज्यादा बड़ी चिंता विदेशी निवेशकों का यहां से पैसा निकालना है. अगर ट्रेड वॉर बढ़ेगा तो विदेशी निवेशक भारी बिकवाली शुरू कर सकते हैं.
चीन ने अमेरिका से आयात होने वाले पॉल्ट्री उत्पादों पर 25 फीसदी की दर से टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है. अमेरिकी स्टील पाइप्स, फलों और शराब पर उसने 15 फीसदी टैक्स लगाने का एलान किया है. वह एयरक्राफ्ट, कृषि, टेक्नोलॉजी, शिक्षा इत्यादि क्षेत्रों में भी अमेरिका को मुश्किल में डाल सकता है.
ट्रेडिंग क्या है?
ट्रेडिंग की बहुत सारी किस्में भी होती हैं तो आइए हम आपको बताते हैं कि ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते हैं:
- स्काल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)
- इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
- स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
- पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
ऊपर दी हुई 4 किस्मों के बारे में हम संक्षेप में बात करते हैं।
स्काल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)
स्काल्पिंग ट्रेडिंग का मकसद होता है मिनटों में पैसा कमाना इसमें ट्रेडर शेयर को कुछ चंद मिनटों (या उससे ज्यादा समय के लिए) के लिए ही खरीदते हैं और स्टॉक मार्केट में इन्हीं शेयर के दाम बढ़ने (या कम होने पर) पर खरीदे गए शेयर को बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं। जब कोई भी ट्रेडर ऐसी ट्रेडिंग करता है तो उसे स्काल्पिंग ट्रेडिंग कहते हैं।
ऐसी ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर 1 दिन में 1 से ज्यादा कुछ बार 10-20 से ज्यादा भी ट्रेड करते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)
इंट्राडे ट्रेडिंग को हम डे ट्रेडिंग भी कहते हैं। इसका मतलब यह है कि ट्रेडर एक ही दिन में शेयर खरीद लेता
है और उसी दिन में अपने शेयर को फायदे या नुकसान में बेच देता है। आसान शब्दों में कहें तो एक ट्रेडर 1 दिन में समान खरीदता है और उसी दिन में अपना सामान बेच देता है।
इसे कहते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग। इंट्राडे ट्रेडिंग का मकसद अचानक आई उछाल या गिरावट का लाभ उठाना होता है जिससे ट्रेडर समय रहते ही मुनाफा कमा सके।
इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर हर बार लाभ ही कमाए ऐसा संभव नहीं है ट्रेडर को इसमें नुकसान भी हो सकता है।
ट्रेडिंग में सबसे मुश्किल इंट्राडे ट्रेडिंग होती है इसलिए इसको अच्छी तरह स्टॉक मार्केट सीखने के बाद ही करना शुरू करना चाहिए।
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)
स्विंग ट्रेडिंग में अक्सर ट्रेडर शेयर को ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? 1 हफ्ते से लेकर 4 हफ्तों तक अपने पास रखता है और फिर इन शेयर को सेल कर देता है। स्विंग ट्रेडिंग का मुख्य लक्ष्य कुछ सप्ताह में शेयर के दाम में आने वाले Swing का लाभ उठाकर जल्द से जल्द लाभ कमाना होता है। इसी को ही स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं। इस बात का ध्यान रहे कि इसमें जोखिम भी होता है
पोजीशनल ट्रेडिंग (Positional Trading)
पोजीशन ट्रेडिंग से तात्पर्य है कि इसमें ट्रेडर शेयर खरीदता है और इन शेयरों को लंबे समय के लिए अपने पास
रखता ट्रेडर्स में क्या क्या आता है? है। ऐसा करने के लिए हर एक ट्रेडर को शेयर अपने पास रखने के लिए शेयर की डिलीवरी अपने डीमैट अकाउंट में लेनी पड़ती है।
ट्रेडर ने जितने शेयर जिस दाम में खरीदे हैं इन शेयरों का मूल्य ब्रोकर को देना पड़ता है ऐसा करने से
उसको डीमैट अकाउंट में सभी शेयर मिल जाते हैं। इसके बाद वह कभी भी अपने शेयर को बेचकर पैसे जुटा
सकता है।
लेकिन इसमें रिस्क भी होता है। क्योंकि अक्सर हम देखते हैं कि शेयर बाजार में किसी अच्छी या बुरी खबर के कारण आने वाले दिनों में बाजार कुछ बहुत ज्यादा ऊपर या बहुत ज्यादा नीचे खुलता हैं। उदाहरण के तौर पर 2020 में स्टॉक मार्केट कोरोना वायरस की वजह से बहुत बुरी तरह से गिरा था।
अक्सर लोगों के मन में आता है कि क्या ट्रेडिंग से रेगुलर इनकम कमाई जा सकती है या नहीं। ऐसा सवाल हर इंसान के मन में आता है तो आइए हम आपको आसान शब्दों में इसकी जानकारी देते हैं।
हर एक इंसान के लिए ट्रेडिंग के जरिए पैसे कमाना संभव है पर यह आसान नहीं होता है क्योंकि जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि अगर कोई व्यक्ति शेयर के मूल्य की हर एक छोटी मूवमेंट से अच्छा पैसा कमाना चाहता है तो उसके लिए ज्यादा से ज्यादा शेयर लेने आवश्यक हैं और इसके लिए पैसों की जरूरत बहुत ज्यादा होगी।
पैसों के साथ-साथ हर एक व्यक्ति को जो कि इसमें पैसे लगाते हैं उनको TECHNICAL ANALYSIS की जानकारी होनी भी जरूरी है। तभी हम प्राइस के पैटर्न को समझ सकेंगे और वक्त आने पर शेयर को बेच और खरीद सकेंगे।
ट्रेडिंग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि लगातार अपनी गलतियों से सीखना क्योंकि जितना ही हम
सीखेंगे उतना हमारा तजुर्बा बढ़ेगा जिससे कि हम Successful Trader ट्रेडर बन सकेंगे। अपनी गलतियों से सीखना और उससे आगे बढ़ना ही सक्सेसफुल ट्रेडर की पहचान होती है।
ट्रेडिंग अकाउंट कैसे खोलते हैं?
ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने के लिए सबसे पहले हमें स्टॉक ब्रोकर के पास जाना पड़ेगा। स्टॉक ब्रोकर हमारा ट्रेडिंग अकाउंट आसानी से खोल सकता है। आज के समय में ट्रेडिंग अकाउंट कर बैठे ऑनलाइन खोला जा सकता है।
नीचे हमने मशहूर स्टॉक ब्रोकर के लिंक दिए हैं जिन पर क्लिक करके आप अपना डिमैट अकाउंट घर से ही 15 मिनट में खोल सकते हैं।
भारत के मशहूर स्टॉक ब्रोकर:
फिर इसके बाद शेयर को बेचने और खरीदने के लिए ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे जमा करवाने जरूरी है जिसके लिए हमें ट्रेडिंग अकाउंट के साथ अपना एक बैंक अकाउंट भी लिंक करवाना जरूरी है। क्योंकि अगर हम कभी पैसों की जरूरत हो तो हम ट्रेडिंग अकाउंट में से बैंक अकाउंट में पैसा जमा करवा सकें।
यह जरूरी नहीं है कि हम अपना कोई नया बैंक अकाउंट ही खुलवाएं बैंक में अगर हमारे पास अपना कोई पुराना खाता भी है तो हम उसको भी लिंक करवा सकते हैं। इससे हमारे शेयर का जो Dividend होगा उसके हकदार हम होंगे और उसकी राशि हमारे इसी बैंक अकाउंट में जाएगी।
स्टॉक ब्रोकर क्या होता है?
ट्रेडर या इन्वेस्टर के साथ स्टॉक एक्सचेंज को जोड़ने का काम स्टॉक ब्रोकर करता है। स्टॉक ब्रोकर हमारे स्टॉक
एक्सचेंज के बीच एक कनेक्शन का काम करता है।
Trading अकाउंट खोलने के लिए जो जरूरी डॉक्यूमेंट चाहिए होते हैं वह नीचे लिखे हैं:
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