भारतीय रुपए का अवमूल्यन, मुद्रा अवमूल्यन, मुद्रास्फीति, मूल्यह्रास बनाम अवमूल्यन, अभिमूल्यन और अवमूल्यन

आज सुबह 9 बजे के आस-पास घरेलू मुद्रा 77.28 प्रति डॉलर पर ट्रेड कर रही थी.

मुद्रा लोन के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट क्या हैं

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाय) गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि क्षेत्रों में सूक्ष्म और घरेलू मुद्रा क्या है? लघु उद्यमों को रु. 10 लाख तक का लोन प्रदान करता है. फंडिंग का लाभ उठाने के लिए उधारकर्ताओं को विशिष्ट डॉक्यूमेंट प्रदान करना होगा. यहां एक कॉम्प्रिहेंसिव लिस्ट है जिसे आप देख सकते हैं.

  • आधार कार्ड
  • पैन:
  • मतदाता पहचान पत्र
  • ड्राइविंग लाइसेंस
  • पासपोर्ट
  • सरकारी नियोक्ता द्वारा जारी किया गया वैध फोटो पहचान पत्र

पते का प्रमाण

  • उपयोगिता बिल (बिजली, टेलीफोन, पानी, गैस, पोस्ट-पेड मोबाइल फोन, प्रॉपर्टी टैक्स)
  • आधार कार्ड
  • पासपोर्ट
  • मतदाता पहचान पत्र
  • अधिकारियों द्वारा सत्यापित बैंक पासबुक या नवीनतम बैंक अकाउंट स्टेटमेंट
  • स्थानीय सरकारी निकाय (नगर पालिका, ग्राम पंचायत, आदि) द्वारा जारी किया गया अधिवास प्रमाण पत्र या प्रमाण पत्र

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 77.44 के अब तक के सबसे निम्न स्तर पर आ गया है।

  • अवमूल्यन के बारे में:
    • मुद्रा का मूल्यह्रास/अवमूल्यन का आशय अस्थायी विनिमय दर प्रणाली में मुद्रा के मूल्य में गिरावट से है।
    • रुपए के मूल्यह्रास का मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपए का कमज़ोर होना।
      • इसका मतलब है कि रुपया अब पहले की तुलना में कमज़ोर है।
      • उदाहरण के लिये पहले एक अमेरिकी डाॅलर 70 रुपए के बराबर हुआ करता था। अब एक अमेरिकी डाॅलर 77 रुपए के बराबर है घरेलू मुद्रा क्या है? जिसका अर्थ है कि डॉलर के मुकाबले रुपए का अवमूल्यन हुआ है यानी एक डॉलर को खरीदने में अधिक रुपए लगते हैं।
      • रुपए में गिरावट भारतीय रिज़र्व बैंक के लिये एक दोधारी तलवार (नकारात्मक एवं सकारात्मक) की भांँति होती है।
        • सकारात्मक प्रभाव:
          • सैद्धांतिक रूप से कमजोर रुपए को भारत के निर्यात को बढ़ावा देना चाहिये, लेकिन अनिश्चितता और कमजोर वैश्विक मांग के माहौल में रुपए के बाहरी मूल्य में गिरावट उच्च निर्यात में परिवर्तित नहीं हो सकती है।

          अवमूल्यन और घरेलू मुद्रा क्या है? मूल्यह्रास:

          • यदि प्रशासनिक कार्रवाई से भारतीय रुपए के मूल्य में गिरावट आती है, तो यह अवमूल्यन है।
            • मूल्यह्रास और अवमूल्यन के लिये प्रक्रिया अलग है, प्रभाव के संदर्भ में कोई अंतर नहीं है।
            • चीन अभी भी पूर्व नीति का पालन करता है।
            • इक्विटी की बिक्री:
              • वैश्विक इक्विटी बाज़ारों में सरकारी विक्रय, जो अमेरिकी फेडरल रिज़र्व (केंद्रीय बैंक) द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि, यूरोप में युद्ध, चीन में कोविड-19 उछाल के कारण विकास संबंधी चिंताओं की वजह बना, के चलते रुपए का मूल्यह्रास हुआ।
              • डॉलर का बहिर्वाह कच्चे तेल की उच्च कीमतों का परिणाम है और इक्विटी बाज़ारों में सुधार भी डॉलर के प्रतिकूल प्रवाह का कारण बन रहा है।
              • बढ़ती मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिये मौद्रिक नीति को सख्त करने के लिये आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों से भी मूल्यह्रास हुआ है।

              रुपए के मूल्यह्रास का समग्र अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

              • रुपए के कमज़ोर होने से चालू खाता घाटे का बढ़ना, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी जैसी स्थिति सामने आती है।
              • अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से कच्चे तेल की ऊंँची कीमतों और अन्य महत्वपूर्ण आयातों के कारण लागत-जन्य मुद्रास्फीति की ओर बढ़ रही है।
                • लागत-जन्य मुद्रास्फी ति (जिसे वेज-पुश इन्फ्लेशन के रूप में भी जाना जाता है) तब होती है जब मजदूरी और कच्चे माल की लागत में वृद्धि के कारण समग्र कीमतों में वृद्धि (मुद्रास्फीति) होती है।

                प्रश्न. भारतीय रुपए के अवमूल्यन को रोकने के लिये सरकार/RBI द्वारा निम्नलिखित में से कौन सा सबसे संभावित उपाय नहीं है? (2019)

                (A) गैर-आवश्यक वस्तुओं के आयात पर अंकुश लगाना और निर्यात को बढ़ावा देना।
                (B) भारतीय उधारकर्त्ताओं को रुपया मूल्यवर्ग मसाला बांड जारी करने के लिये प्रोत्साहित करना।
                (C) बाहरी वाणिज्यिक उधार से संबंधित शर्तों को आसान बनाना।
                (D) विस्तारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण।

                दुर्लभ मुद्रा

                कठोर मुद्रा वह धन है जो राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर राष्ट्र द्वारा जारी किया घरेलू मुद्रा क्या है? घरेलू मुद्रा क्या है? जाता है। उन्हें सेवाओं और वस्तुओं के भुगतान के रूप में दुनिया भर में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और उन्हें घरेलू मुद्रा पर प्राथमिकता दी जा सकती है।

                Hard Currency

                एक कठिन मुद्रा को थोड़े समय की अवधि में अपेक्षाकृत स्थिर होने और विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा में अत्यधिक तरल होने का अनुमान हैमंडी. मूल रूप से, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (AUD), कैनेडियन डॉलर (CAD), स्विस फ़्रैंक (CHF), ब्रिटिश पाउंड (GBP), जापानी येन (जेपीवाई), यूरोपीय यूरो (ईयूआर), यूएस डॉलर (यूएसडी) दुनिया में सबसे अधिक व्यापार योग्य मुद्राएं हैं।

                उनमें से सभी अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों और निवेशकों का विश्वास रखते हैं क्योंकि वे नाटकीय प्रशंसा के लिए प्रवृत्त नहीं हैं यामूल्यह्रास. चूंकि इसे दुनिया की विदेशी आरक्षित मुद्रा का दर्जा मिला है, इसलिए अमेरिकी डॉलर विशेष रूप से बाहर खड़ा है।

                कठिन मुद्रा उदाहरण

                हार्ड करेंसी के समूह के भीतर, ऑस्ट्रेलियाई और कनाडाई डॉलर कमोडिटी की कीमतों के प्रति काफी संवेदनशील हैं; हालांकि, वे उन देशों की तुलना में बेहतर तरीके से गिरावट से गुजरते हैं जो वस्तुओं पर निर्भर हैं।

                उदाहरण के लिए, 2014 में ऊर्जा की कीमतों में गिरावट ने कनाडा और ऑस्ट्रेलियाई दोनों बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव डाला, लेकिन यह रूसी रूबल के लिए और भी बुरा था। ऐसा कहने के बाद, किसी देश की मुद्रा में मूल्यह्रास आम तौर पर धन की आपूर्ति में वृद्धि या सरकारी, वित्तीय या आर्थिक चिंताओं के कारण भविष्य की क्षमता में विश्वास की कमी के कारण होता है।

                नरम या अस्थिर मुद्रा का एक दिलचस्प उदाहरण अर्जेंटीना पेसो है, जिसने डॉलर के मुकाबले 2015 में अपने मूल्य का लगभग 34.6% खो दिया; इसे विदेशी निवेशकों के घरेलू मुद्रा क्या है? लिए सबसे अनाकर्षक विकल्प बनाना।

                अधिकतर, मुद्रा का मूल्य रोजगार और जीडीपी जैसी आर्थिक अनिवार्यताओं पर आधारित घरेलू मुद्रा क्या है? घरेलू मुद्रा क्या है? होता है। अमेरिकी डॉलर की अंतरराष्ट्रीय मजबूती अमेरिका की जीडीपी को दर्शाती है, जो दुनिया में पहले स्थान पर है।

                Foreign Exchange Reserves: नौ सप्ताह बाद मिली राहत, विदेशी मुद्रा भंडार में आया उछाल, सोने में तेजी का मिला फायदा

                Foreign Exchange Reserves: लगातार नौ सप्ताह की गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा भंडार में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 20.4 करोड़ डॉलर का उछाल दर्ज किया गया और यह 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया.

                Foreign Exchange Reserves: लगातार नौ सप्ताह तक विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई जिसके बाद बीते सप्ताह इसमें तेजी आई है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक सुरक्षित सोने के भंडार का मूल्य बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है. इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर पर आ गया था.

                अक्टूबर 2021 में डॉलर रिजर्व 645 बिलियन डॉलर था

                देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार गिर रहा था. दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों के अनुसार, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.311 अरब डॉलर घटकर 471.496 अरब डॉलर रह गयीं. एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है.

                डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है. आरबीआई ने कहा कि सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में सोने के सुरक्षित भंडार के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है. इस दौरान सोने के सुरक्षित भंडार का मूल्य 1.35 अरब डॉलर बढ़कर 38.955 अरब डॉलर पर आ गया. केंद्रीय बैंक के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 15.5 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.582 अरब डॉलर रह गया है. इसके अलावा समीक्षाधीन सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि 10 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.836 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई.

                रुपए पर अभी बना रहेगा दबाव

                इधर डॉलर के मुकाबले रुपए के प्रदर्शन को लेकर मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुद्रा और सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपए के 82.10 से 82.6 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है.’’

                बीते सप्ताह डॉलर इंडेक्स 113.31 के स्तर पर बंद हुआ. आखिरी कारोबारी सत्र में तेल में गिरावट दर्ज की गई. ब्रेंट क्रूड बीते सप्ताह 91.63 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. WTI क्रूड 85.61 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. इसके अलावा, बीएसई सेंसेक्स शुक्रवार को 684 अंक या 1.20 फीसदी की मजबूती के साथ 57920 अंक पर पंहुचा गया तथा निफ्टी में भी 171.35 अंक की बढ़त रही.

                रुपया ( Rupee) आज सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. रुपया 77.06 पर खुला और 77.31 प्रति . अधिक पढ़ें

                • moneycontrol.com
                • Last Updated : May 09, 2022, 12:39 IST

                मुंबई. रुपया (Rupee) आज सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. आज सुबह 9 बजे के आस-पास घरेलू मुद्रा 77.28 प्रति डॉलर पर ट्रेड कर रही थी. यह 76.93 के पिछले बंद से 0.48 प्रतिशत कम थी. रुपया 77.06 पर खुला और 77.31 प्रति डॉलर के निचले स्तर को छू गया. पिछली बार 7 मार्च, 2022 को रुपया 76.98 के निचले स्तर पर आ गया था. मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच ग्लोबल इक्विटी में गिरावट का असर रुपया पर भी दिख रहा है.

                महंगाई को लेकर घरेलू मुद्रा क्या है? ट्रेडर्स के बीच चिंता बनी हुई है. उनका सवाल है कि क्या फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में वृद्धि इंफ्लेशन रोकने के लिए पर्याप्त है. वहीं, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अपनी ब्याज दरों में वृद्धि करते हुए मंदी के संभावित जोखिम की चेतावनी दी थी. इस सब कारणों का ग्लोबल मार्केट की गिरावट में बड़ा रोल है. इसका असर रुपया पर भी दिख रहा है.

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