क्या है डिजिटल करेंसी ? कैसे है वर्तमान मुद्रा से अलग ? और क्या है इसके लाभ?

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। देश में हर तरफ डिजिटल करेंसी को लेकर बातों का रुझान तेज हो गया है। आज देखा जा रहा है कि लोग बहुतायत में क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट कर रहे हैं। इस बीच भारतीय रिज़र्व बैंक यानि आरबीआई के द्वारा भी खुद की डिजिटल करेंसी लॉन्च किए जाने की बातें की जा रही हैं। कुछ समय पहले ही देश की वित्त इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट 2022 की पेशकश करते हुए यह कहा था कि, अगले वित्त वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है। उनके इस बयान के साथ ही यह बात भी साफ हो जाती है कि अब हमारा देश भी डिजिटल करेंसी मार्केट में कदम रख रहा है। ऐसे में आज हम आपको डिजिटल करेंसी से जुड़ी हर बात बताने वाले हैं।

क्या होती है डिजिटल करेंसी?

सीधे शब्दों में समझे तो डिजिटल करेंसी भी मुद्रा का ही एक रूप है।इसमें फर्क केवल इतना है कि यह करेंसी डिजिटल या फिर इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही हमारे पास रहेगी। डिजिटल करेंसी को दूसरे शब्दों में डिजिटल मनी, इलेक्ट्रॉनिक मनी, इलेक्ट्रॉनिक करेंसी और साइबर कैश भी कहा जा रहा है।

कितने तरह की होती हैं डिजिटल करेंसी?

डिजिटल करेंसी के 3 प्रकार हैं। इनमें पहला है क्रिप्टोकरेंसी, जिसका इस्तेमाल नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी के रूप में किया जाता है। हालांकि इस करेंसी पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। वहीँ दूसरी है वर्चुअल करेंसी। यह करेंसी एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी के रूप में मानी जाती है। अब तीसरे नंबर पर आती है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी। इसे देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी किया जाता है। आरबीआई भी इस करेंसी को इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार जारी करने के बारे में बात कर रहा है।

डिजिटल करेंसी का काम और लाभ :

आप इस करेंसी से जुड़े सभी ट्रांजेक्शन केवल इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट के जरिए ही कर सकते हैं।

डिजिटल करेंसी में लेनदेन काफी तेजी से होता है। क्योंकि यह खुद एक नेटवर्क पर मौजूद है और इसमें किसी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती।

डिजिटल करेंसी, हमारी फिजिकल करेंसी के मुकाबले काफी सस्ती भी साबित होती है। जिसके चलते इससे लेनदेन की लागत भी कम आती है।

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रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा कारोबार में शामिल गैर-अधिकृत इकाइयों की ‘अलर्ट सूची’ जारी की

मुंबई, सात सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशी मुद्रा कारोबार में शामिल 34 गैर-अधिकृत इकाइयों की ‘अलर्ट सूची’ जारी की। इन संस्थाओं में ऑक्टाएफएक्स, अल्पारी, हॉटफॉरेक्स, और ओलंपिक ट्रेड शामिल हैं। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि ये संस्थाएं विदेशी मुद्रा कारोबार के लिए अधिकृत नहीं होने के बावजूद देश में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच का संचालन कर रही हैं। आरबीआई ने कहा कि निवासी व्यक्ति सिर्फ फेमा की शर्तों के तहत अधिकृत व्यक्तियों के साथ और वैध उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा का लेनदेन कर सकते हैं। बयान में कहा गया कि इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार निवासी व्यक्ति यदि फेमा

केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि ये संस्थाएं विदेशी मुद्रा कारोबार के लिए अधिकृत नहीं होने के बावजूद देश में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच का संचालन कर रही हैं।

आरबीआई ने कहा कि निवासी व्यक्ति सिर्फ फेमा की शर्तों के तहत अधिकृत व्यक्तियों के साथ और वैध उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा का लेनदेन कर सकते हैं।

बयान में कहा गया कि निवासी व्यक्ति यदि फेमा के तहत वैध उद्देश्यों से इतर या आरबीआई द्वारा गैर मंजूरी प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के जरिये विदेशी मुद्रा का लेनदेन करेंगे, तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

आरबीआई ने कहा कि उसे कुछ ईटीपी की वैधता स्पष्ट करने के संबंध में अनुरोध मिल रहे थे। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने अपनी वेबसाइट पर ऐसी इकाइयों के संबंध में अलर्ट सूची प्रकाशित करने का फैसला किया, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत विदेशी मुद्रा में लेनदेन करने के लिए अधिकृत नहीं है और न ही वे विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग मंच का संचालन कर सकती हैं।

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विदेशी मुद्रा व्यापार क्या है?

क्या आप उस समय को याद कर सकते हैं जब आप बचपन में नोट और सिक्के एकत्र किया करते थे? ज्यादातर, उस समय, बच्चों का झुकाव विदेशी मुद्रा की ओर अधिक था। सिग्नेचर से लेकर कलर तक सब कुछ आंखों में झिलमिलाहट दे रहा था।

और, जैसे-जैसे उनमें से कई बड़े हुए, उनमें एक मुद्रा का शेष विश्व की मुद्रा से संबंध का पता लगाने की जिज्ञासा होने लगी। यह अवधारणा विदेशी मुद्रा व्यापार के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे विदेशी मुद्रा व्यापार भी कहा जाता है। अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं? जानने के लिए आगे पढ़ें।

Forex Trading

विदेशी मुद्रा बाजार क्या है?

विदेशी मुद्रा (एफएक्स) एक बाज़ार है जहाँ कई राष्ट्रीय मुद्राओं का कारोबार होता है। यह सबसे अधिक तरल और सबसे बड़ा हैमंडी दुनिया भर में हर दिन खरबों डॉलर का आदान-प्रदान हो रहा है। यहां एक रोमांचक पहलू यह है कि यह एक केंद्रीकृत बाजार नहीं है; बल्कि, यह दलालों, व्यक्तिगत व्यापारियों, संस्थानों और बैंकों का एक इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क है।

बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा बाजार न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, सिंगापुर, सिडनी, हांगकांग और फ्रैंकफर्ट जैसे प्रमुख वैश्विक वित्तीय केंद्रों में स्थित हैं। संस्थाएं हों या व्यक्तिगत निवेशक, वे इस नेटवर्क पर मुद्राओं को बेचने या खरीदने का आदेश पोस्ट करते हैं; और इस प्रकार, वे एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और अन्य पार्टियों के साथ मुद्राओं का आदान-प्रदान करते हैं।

यह विदेशी मुद्रा बाजार चौबीसों घंटे खुला रहता है, लेकिन किसी भी राष्ट्रीय या अचानक छुट्टियों को छोड़कर, सप्ताह में पांच दिन खुला रहता है।

विदेशी मुद्रा जोड़े और मूल्य निर्धारण

ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार एक जोड़ी तरीके से होता है, जैसे EUR/USD, USD/JPY, या इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार USD/CAD, और बहुत कुछ। ये जोड़े राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि यूएसडी अमेरिकी डॉलर के लिए खड़ा होगा; सीएडी कैनेडियन डॉलर और अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।

इस जोड़ी के साथ, उनमें से प्रत्येक के साथ एक मूल्य जुड़ा हुआ है। उदाहरण के लिए, मान लें कि कीमत 1.2678 है। अगर यह कीमत एक USD/CAD जोड़ी से जुड़ी है, तो इसका मतलब है कि आपको एक USD खरीदने के लिए 1.2678 CAD का भुगतान करना होगा। याद रखें कि यह कीमत तय नहीं है और उसी के अनुसार बढ़ या घट सकती है।

ट्रेडिंग कैसे होती है?

चूंकि सप्ताह के दिनों में बाजार 24 घंटे खुला रहता है, आप किसी भी समय मुद्रा खरीद या बेच सकते हैं। पहले, मुद्रा व्यापार केवल तक ही सीमित थाहेज फंड, बड़ी कंपनियां, इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार और सरकारें। हालांकि मौजूदा समय में कोई भी इसे जारी रख सकता है।

कई बैंक, निवेश फर्म, साथ ही खुदरा विदेशी मुद्रा दलाल हैं जो आपको खाते और व्यापार मुद्राएं खोलने का अवसर प्रदान कर सकते हैं। इस बाजार में व्यापार करते समय, आप किसी विशिष्ट देश की मुद्रा को दूसरे के लिए प्रासंगिकता में खरीदते या बेचते हैं।

हालांकि, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कोई भौतिक आदान-प्रदान नहीं होता है। इस इलेक्ट्रॉनिक दुनिया में, आमतौर पर, व्यापारी एक निश्चित मुद्रा में एक स्थिति लेते हैं और आशा करते हैं कि खरीदारी करते समय मुद्रा में ऊपर की ओर गति हो सकती है या बेचते समय कमजोरी हो सकती है ताकि इससे लाभ कमाया जा सके।

इसके अलावा, आप हमेशा दूसरी मुद्रा के लिए प्रासंगिकता में व्यापार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप एक को बेच रहे हैं, तो आप दूसरा खरीद रहे हैं और इसके विपरीत। ऑनलाइन बाजार में, लेनदेन की कीमतों के बीच उत्पन्न होने वाले इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार अंतर पर लाभ कमाया जा सकता है।

विदेशी मुद्रा व्यापार के तरीके

मूल रूप से, तीन तरीके हैं जो निगम, व्यक्ति और संस्थान विदेशी मुद्रा ऑनलाइन व्यापार करने के लिए उपयोग करते हैं, जैसे:

हाजिर बाजार

विशेष रूप से, यह बाजार सभी मुद्राओं को उनकी वर्तमान कीमत के अनुसार खरीदने और बेचने के लिए है। कीमत मांग और आपूर्ति से निर्धारित होती है और राजनीतिक स्थितियों, आर्थिक प्रदर्शन और वर्तमान ब्याज दरों सहित कई कारकों को दर्शाती है। इस बाजार में, एक अंतिम सौदे को स्पॉट डील कहा जाता है।

वायदा बाजार

हाजिर बाजार के विपरीत, यह अनुबंधों के व्यापार में एक सौदा है। वे उन पार्टियों के बीच ओटीसी खरीदे और बेचे जाते हैं जो खुद समझौते की शर्तों को समझते हैं।

वायदा बाजार

इस बाजार में, वायदा अनुबंधों को खरीदा और बेचा जाता हैआधार शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज जैसे सार्वजनिक जिंस बाजारों पर उनके मानक आकार और निपटान की तारीख। इन अनुबंधों में कुछ विवरण शामिल होते हैं, जैसे कारोबार की गई इकाइयां, वितरण, मूल्य में न्यूनतम वृद्धि और निपटान तिथियां।

प्रशिक्षण की आवश्यकता

विदेशी मुद्रा व्यापार के गतिशील वातावरण में पर्याप्त प्रशिक्षण आवश्यक है। चाहे आप एक अनुभवी या मुद्रा व्यापार के विशेषज्ञ हों, लगातार और संतोषजनक लाभ प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से तैयार होना आवश्यक है।

बेशक, इसे करने से आसान कहा जा सकता है; लेकिन असंभव कभी नहीं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अपनी सफलता को न छोड़ें, अपना प्रशिक्षण कभी बंद न करें। एक मौलिक व्यापारिक आदत विकसित करें, वेबिनार में भाग लें और यथासंभव प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए शिक्षा प्राप्त करना जारी रखें।

रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा कारोबार में शामिल गैर-अधिकृत इकाइयों की ‘अलर्ट सूची’ जारी की

मुंबई, सात सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को विदेशी मुद्रा कारोबार में शामिल 34 गैर-अधिकृत इकाइयों की ‘अलर्ट सूची’ जारी की। इन संस्थाओं में ऑक्टाएफएक्स, अल्पारी, हॉटफॉरेक्स, और ओलंपिक ट्रेड शामिल हैं। केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि ये संस्थाएं विदेशी मुद्रा कारोबार के लिए अधिकृत नहीं होने के बावजूद देश में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच का संचालन कर रही हैं। आरबीआई ने कहा कि निवासी व्यक्ति सिर्फ फेमा की शर्तों के तहत अधिकृत व्यक्तियों के साथ और वैध उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा का लेनदेन कर सकते हैं। बयान में कहा गया कि निवासी व्यक्ति यदि फेमा

केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा कि ये संस्थाएं विदेशी मुद्रा कारोबार के लिए अधिकृत नहीं होने के बावजूद देश में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच का संचालन कर रही हैं।

आरबीआई ने कहा कि निवासी व्यक्ति सिर्फ फेमा की शर्तों के तहत अधिकृत व्यक्तियों के साथ और वैध उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा का लेनदेन कर सकते हैं।

बयान में कहा गया कि निवासी व्यक्ति यदि फेमा के तहत वैध उद्देश्यों से इतर या आरबीआई द्वारा गैर मंजूरी प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के जरिये विदेशी मुद्रा का लेनदेन करेंगे, तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

आरबीआई ने कहा कि उसे कुछ ईटीपी की वैधता स्पष्ट करने के संबंध में अनुरोध मिल रहे थे। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने अपनी वेबसाइट पर ऐसी इकाइयों के संबंध में अलर्ट सूची प्रकाशित करने का फैसला किया, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) के तहत विदेशी मुद्रा में लेनदेन करने के लिए अधिकृत नहीं है और न ही वे विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग मंच का संचालन कर सकती हैं।

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Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या हैं अंतर, समझें यहां

Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो निवेशकों का मानना है कि किसी भी रूप में क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब साफ है कि इसको बैन नहीं किया जाएगा. लेकिन, इससे इसको कानूनी वैधता भी नहीं मिलती है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.

Published: February 2, 2022 3:45 PM IST

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Crypto Vs Digital Currency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022-2023 के भाषण के दौरान घोषणा की कि डिजिटल संपत्ति (Digital Assets), जिसमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और एनएफटी (NFT) शामिल हैं, उनके हस्तांतरण से किसी भी आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. वित्त मंत्री की घोषणा ने अधिकांश क्रिप्टो और एनएफटी निवेशकों को अपनी संपत्ति के भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन कइयों ने इसे ज्यादातर सकारात्मक घोषणा के तौर पर लिया. उनका कहना है कि किसी भी तरह का टैक्स लगाने का मतलब है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा, हालांकि, इसका मतलब नियमितीकरण भी नहीं है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.

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वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही अपनी डिजिटल मुद्रा लाएगा, जिसे सीबीडीसी (CBDC) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कहा जाएगा. आरबीआई डिजिटल मुद्रा पर कई महीनों से काम कर रही है और सीतारमण के मुताबिक, इसे अगले वित्तीय वर्ष में पेश किया जाएगा.

सीतारमण ने कहा कि आरबीआई की डिजिटल मुद्रा आने से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. डिजिटल मुद्रा भी अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देगी.

डिजिटल संपत्ति के लिए कराधान की घोषणा के तुरंत बाद सीबीडीसी की घोषणा ने बहुत से लोगों को यह सोचकर भ्रमित कर दिया कि सीबीडीसी पर भी कर लगाया जाना चाहिए. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है. डिजिटल मुद्राएं क्रिप्टोकरेंसी या एनएफटी जैसी डिजिटल संपत्ति नहीं हैं. डिजिटल मुद्राएं सरकार द्वारा जारी मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक रूप हैं, जबकि क्रिप्टोकरेंसी मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. लोगों ने विशेष रूप से महामारी के दौरान जिन डिजिटल वॉलेट का उपयोग करना शुरू किया, उनमें डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी दोनों हो सकते हैं, लेकिन वे वास्तव में विनिमेय नहीं हैं.

डिजिटल मुद्रा से दो पार्टियों के बीच संपर्क रहित लेनदेन में उपयोग किया जा सकता है. जैसे आपके बैंक खाते से इलेक्ट्रॉनिक रूप से किसी और को भुगतान किया जाता है. सभी ऑनलाइन लेनदेन में डिजिटल मुद्रा शामिल होती है, एक बार जब आप उस पैसे को बैंक या एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वह डिजिटल मुद्रा तरल नकदी में बदल जाती है.

क्रिप्टोकरेंसी, या डिजिटल सिक्के, मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. ये डिजिटल सिक्के सभी निजी स्वामित्व में हैं और बनाए गए हैं और अभी तक अधिकांश देशों में नियमित नहीं किए गए हैं.

डिजिटल मुद्रा को एन्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हैकिंग और चोरी की संभावना को कम करने के लिए सभी उपयोगकर्ताओं को अपने डिजिटल वॉलेट और बैंकिंग ऐप को मजबूत पासवर्ड और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सुरक्षित करने की आवश्यकता है. यही बात डेबिट और क्रेडिट कार्डों पर भी लागू होती है जो इन डिजिटल मुद्रा लेनदेन की कुंजी हैं.

क्रिप्टोकरेंसी को मजबूत एन्क्रिप्शन द्वारा संरक्षित किया जाता है और क्रिप्टो में व्यापार करने में सक्षम होने के लिए, उपयोगकर्ताओं के पास पैसे के साथ एक बैंक खाता होना चाहिए और इस डिजिटल मुद्रा का आदान-प्रदान एक ऑनलाइन एक्सचेंज के माध्यम से किया जा सकता है ताकि संबंधित मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त की जा सके.

जब विनियमन की बात आती है, तो डिजिटल मुद्राओं को भारत में एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा सपोर्ट किया जाएगा, जो कि आरबीआई होगा. आीबीआई तरल, नकद और डिजिटल मुद्रा लेनदेन दोनों को नियंत्रित करता है. क्रिप्टोकरेंसी के मामले में, यह एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली है और एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा विनियमित नहीं है. हालांकि, सभी क्रिप्टो लेनदेन एक विकेन्द्रीकृत खाता बही में दर्ज किए जाते हैं जो सभी के लिए उपलब्ध है.

स्थिरता के मोर्चे पर, जब लेनदेन की बात आती है तो डिजिटल मुद्राएं स्थिर और प्रबंधन में आसान होती हैं क्योंकि उन्हें वैश्विक बाजार में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. दूसरी ओर, क्रिप्टो बहुत अस्थिर है और दरें लगभग नियमित रूप से बढ़ती और गिरती हैं.

डिजिटल मुद्रा लेनदेन का विवरण केवल इसमें शामिल इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार लोगों, प्रेषक और रिसीवर और बैंक के लिए उपलब्ध है. क्रिप्टो लेनदेन का विवरण विकेन्द्रीकृत खाता बही के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है.

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