योग-ध्यान: त्राटक साधना से खोलें अपनी तीसरी आंख, जानिए कैसे

open your third eye from the tratak sadhana siddhi

शिव की ध्यानमुद्रा वाले चित्रों में उनके मस्तक पर दोनों भौंहों के बीच तीसरा नेत्र दिखता है। वैदिक चिंतन इस तीसरी आंख के बारे में कहती है कि योगाभ्यास से साधक अपने तीसरे नेत्र यानी विवेक दृष्टि को जगा सकता है। सामान्यत: दोनों भौंहों के बीच बेर की गुठली के आकार की संरचना होती है। यौगिक सतत् अभ्यास से यह ग्रंथि विकसित की जा सकती है और वह सब देखा समझा जा सकता है, जो दिखाई देने वाली दो जापानी मोमबत्तियों की संरचना और उनके फायदे? आंखों की सामर्थ्य से बाहर है। शास्त्रीय संदर्भ के अनुसार, इस नेत्र यानी विवेक दृष्टि में कुपित होकर शाप देने का सामर्थ्य भी है और अपने वरदानों से लाभान्वित करने की क्षमता भी।

महाभारत की कथा के अनुसार, गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन की जान बचाने के लिए अपने आखों की पट्टी खोलकर उसकी देह पर दृष्टिपात कर उसके शरीर को वज्र का सा बना दिया था। इस विवेक दृष्टि यानी तृतीय नेत्र का जागरण एक बहुत बड़ी सिद्धि है। इस प्रयोजन के लिए त्राटक साधना का विधान है। त्राटक की मोटी विधि यह है कि आंखें खोलकर किसी वस्तु को देखा जाए। उसके बाद नेत्र बंद करके उसे मस्तिष्क में अंकित किया जाए। जब तक वह चित्र धुंधला न पड़े, तब तक आंखें बंद जापानी मोमबत्तियों की संरचना और उनके फायदे? रखी जाएं और फिर आंख खोलकर पुन: उसी वस्तु को एकाग्रतापूर्वक देखने के बाद पहले की तरह फिर आंखें बंदकर पुन: उपरोक्त क्रिया की जाए।

योग शास्त्र का मानना है कि त्राटक के सध जाने से योगाभ्यासी का तीसरा नेत्र खुल जाता है। आमतौर पर इस क्रिया को दीपक को माध्यम बनाकर किया जाता है। कंधे की सीध में तीन फुट की दूरी पर दीपक या मोमबत्ती को जलाकर रखा जाता और तीस सेकंड देखने और एक मिनट ध्यान करने का क्रम बार बार दोहराया जाता है। पश्चिमी दुनिया में एक विभिन्न तरीके से त्राटक करने के उल्लेख मिलते हैं। वहां अभ्यासी एक काला गोला बनाते हैं और उसके ठीक बीच में एक सफेद निशान छोड़कर त्राटक करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह ध्यान गुलाब के फूल पर भी सध सकता है, क्योंकि उसका रंग गहरा और एकसमान होता है।

शिव की ध्यानमुद्रा वाले चित्रों में उनके मस्तक पर दोनों भौंहों के बीच तीसरा नेत्र दिखता है। वैदिक चिंतन इस तीसरी आंख के बारे में कहती है कि योगाभ्यास से साधक अपने तीसरे नेत्र यानी विवेक दृष्टि को जगा सकता है। सामान्यत: दोनों भौंहों के बीच बेर की गुठली के आकार की संरचना होती है। यौगिक सतत् अभ्यास से यह ग्रंथि विकसित की जा सकती है और वह सब देखा समझा जा सकता है, जो दिखाई देने वाली दो आंखों की सामर्थ्य से बाहर है। शास्त्रीय संदर्भ के अनुसार, इस नेत्र यानी विवेक दृष्टि में कुपित होकर शाप देने का सामर्थ्य भी है और अपने वरदानों से लाभान्वित करने की क्षमता भी।

महाभारत की कथा के अनुसार, गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन की जान बचाने के लिए अपने आखों की पट्टी खोलकर उसकी देह जापानी मोमबत्तियों की संरचना और उनके फायदे? पर दृष्टिपात कर उसके शरीर को वज्र का सा बना दिया था। इस विवेक दृष्टि यानी तृतीय नेत्र का जागरण एक बहुत बड़ी सिद्धि है। इस प्रयोजन के लिए त्राटक साधना का विधान है। त्राटक की मोटी विधि यह है कि आंखें खोलकर किसी वस्तु को देखा जाए। उसके बाद नेत्र बंद करके उसे मस्तिष्क में अंकित किया जाए। जब तक वह चित्र धुंधला न पड़े, तब तक आंखें जापानी मोमबत्तियों की संरचना और उनके फायदे? बंद रखी जाएं और फिर आंख खोलकर पुन: उसी वस्तु को एकाग्रतापूर्वक देखने के बाद पहले की तरह फिर आंखें बंदकर पुन: उपरोक्त क्रिया की जाए।

योग शास्त्र का मानना है कि त्राटक के सध जाने से योगाभ्यासी का तीसरा नेत्र खुल जाता है। आमतौर पर इस क्रिया को दीपक को माध्यम बनाकर किया जाता है। कंधे की सीध में तीन फुट की दूरी पर दीपक या मोमबत्ती को जलाकर रखा जाता और तीस सेकंड देखने और एक मिनट ध्यान करने का क्रम बार बार दोहराया जाता है। पश्चिमी दुनिया में एक विभिन्न तरीके से त्राटक करने के उल्लेख मिलते हैं। वहां अभ्यासी एक काला गोला बनाते हैं और उसके ठीक बीच में एक सफेद निशान छोड़कर त्राटक करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह ध्यान गुलाब के फूल पर भी सध सकता है, क्योंकि उसका रंग गहरा और एकसमान होता है।

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