सांकेतिक फोटो।

पीयूष गोयल बोले- भारत निवेश का है भंडार. इस स्थल को आप नहीं छोड़ सकते, अरबों आकांक्षाओं का बाजार

Inder Jeet

देश के वाणिज्य एंव अघोग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को भारत को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के बीच कई सालों से गहरे संबध स्थापित हो चुके है और दोनों देशो के शीर्ष नेताओं ने कई बार द्वपक्षीय वार्तालाप करके एक मिसाल साबित की थी । हालांकि, गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका के पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में सहयोग और सरोकार के लिए उपयुक्त समय है।

‘‘भारत-अमेरिकी संबंध से अनेक प्रतिस्पर्धी लाभ. बोले मंत्री

श्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों के प्रदर्शन और लचीलेपन को सराहा, साथ ही उन्होने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में निर्यात की भरपूर संभावनाएं हैं .

अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री ने कहा, ‘‘भारत-अमेरिकी संबंध से अनेक प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकते हैं। हमारी आपूर्ति श्रृंखला का जुझारुपन, अमेरिका को भारत ने जिस प्रकार की प्रतिभाएं दी हैं और अमेरिका ने भारत को जो निवेश दिए हैं, ये सब कारोबार की दृष्टि से बहुत अच्छा है।’’

वाणिज्य संबंधो को लेकर पीयूष गोयल ने कहा.

गोयल ने कहा कि भारत सर्वश्रेष्ठ निवेश अवसर देता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थल को आप छोड़ नहीं सकते। यह अरबों आकांक्षाओं का बाजार है।’’यहां अमेरिका और भारत के उद्योग जगत के अगुआओं को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि दोनों देश वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और जुझारू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा दे सकते कई कारोबारों में निवेश हैं।अमेरिका के कारोबारों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए मंत्री ने कहा कि ‘‘परस्पर हितों के क्षेत्रों में हम सबके के सहयोग के लिए यह समय उपयुक्त है।’’

निवेश का संचार

दूरसंचार के क्षेत्र में सौ फीसद विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की मंजूरी से इस क्षेत्र में तेजी से सुधार की उम्मीद की जा रही है।

निवेश का संचार

सांकेतिक फोटो।

दूरसंचार के क्षेत्र में सौ फीसद विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की मंजूरी से इस क्षेत्र में तेजी से सुधार की उम्मीद की जा रही है। अभी तक इसमें उनचास फीसद एफडीआइ की इजाजत थी। दरअसल, पिछले कुछ समय से दूरसंचार कंपनियां काफी दबाव महसूस कर रही थीं। प्रमुख दूरसंचार कंपनियों पर बड़ी देनदारियां हैं। सरकार लगातार उन्हें चुकाने का दबाव बनाती रही है, पर वे आंशिक भुगतान ही कर पाई हैं। हालांकि पिछले दिनों इसके लिए कंपनियों को अपने शुल्कों में बढ़ोतरी भी करनी पड़ी। इस तरह प्रतिस्पर्धी माहौल कुछ असंतुलित होता दिखने लगा।

ऐसे में सरकार ने न सिर्फ दूरसंचार कंपनियों में विदेशी निवेश की छूट, बल्कि उन्हें बकाया रकम चुकाने की चार साल की मोहलत भी दे दी है। अब समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर की परिभाषा भी बदली जाएगी, जिसके तहत कंपनियों को केवल दूरसंचार से संबंधित आय पर कर भुगतान करना पड़ेगा। उससे जुड़े दूसरे कारोबारों को उसमें समायोजित नहीं किया जाएगा। नए नियमों के तहत स्पेक्ट्रम खरीद को भी लचीला बनाया गया है और अगर कोई कंपनी चाहे, तो दस साल बाद अपना स्पेक्ट्रम वापस भी कर सकती है। स्वाभाविक ही सरकार के इस फैसले से दूरसंचार कंपनियां संतुष्ट और उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इस फैसले से डिजिटल इंडिया के सपने को गति देने में काफी मदद मिलेगी।

दूरसंचार के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी वातावरण बनाने के उद्देश्य से निजी कंपनियों को बढ़ावा दिया गया था। उनमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा उनचास फीसद तक कर दी गई थी। निस्संदेह उसका लाभ भी मिला। निजी कंपनियों के इस क्षेत्र में उतरने से मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं में तेजी आई। स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार का राजस्व भी बढ़ा। प्रतिस्पर्धी वातावरण का ही नतीजा है कि कंपनियों ने अपने ग्राहक बनाने के लिए अपनी दरों में लगातार कटौती की।

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अब हर घर तक मोबाइल और इंटरनेट सेवा की पहुंच सबकी क्षमता के भीतर सुनिश्चित हो रही है और दूरसंचार के मामले में भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकसित होता कारोबार बन चुका है। मगर पिछले कुछ समय से सरकार की नीतियों और नियामक कठोरता की वजह से कंपनियों पर देनदारियां बढ़ती गर्इं। उन्हें स्पेक्ट्रम की फीस चुकाना भारी पड़ने लगा। इसलिए अब तक कंपनियां अपनी दरों में कई बार बढ़ोतरी भी कर चुकी हैं, फिर भी आइडिया-वोडाफोन और एयरटेल देनदारियों के भारी बोझ से दबी हुई हैं। विदेशी निवेश आने से उन्हें काफी राहत मिलेगी और वे अपने कारोबार को नए ढंग से प्रतिस्पर्धी बनाने में जुट सकेंगी।

दूरसंचार के क्षेत्र में विस्तार पर केंद्र सरकार का जोर रहा है। डिजिटल इंडिया नारे के साथ बहुत सारी सरकारी योजनाओं और गतिविधियों को इंटरनेट से जोड़ा गया है। जब तक दूरसंचार की पहुंच सुगम और विश्वसनीय माध्यम के रूप में स्थापित नहीं किया जाएगा, तब तक लोगों को सही ढंग से योजनाओं का लाभ पहुंचा पाना संभव नहीं होगा।

अभी कोरोना काल में जिस तरह इंटरनेट के माध्यम से ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई संभव हो सकी, उसमें दूरसंचार कंपनियों की भूमिका ज्यादा महत्त्वपूर्ण साबित हुई है। मगर अब भी दूरदराज के गांवों तक तेज गति से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध न होने से कई तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं। दुनिया के तमाम विकसित देश संचार के मामले में हमसे कहीं आगे हैं, जब तक उनकी गति से हम चलना नहीं सीखेंगे, कारोबार आदि के मामले में भी पीछे बने रहेंगे। इसलिए सरकार के ताजा फैसले से दूरसंचार कंपनियों को नई ऊर्जा मिलेगी और स्वाभाविक रूप से इसका लाभ आम नागरिकों को मिल सकेगा।

सीईओ जेफ बेजोस ने 7100 करोड़ रुपए के निवेश का ऐलान कर अहसान नहीं किया: पीयूष गोयल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल। - Dainik Bhaskar

नई दिल्ली. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस ने कई कारोबारों में निवेश भारत में एक अरब डॉलर (7100 करोड़ रुपए) के निवेश का ऐलान कर कोई अहसान नहीं किया। गोयल ने भारतीय कारोबार में अमेजन के घाटे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कोई कंपनी इतना नुकसान कैसे उठा सकती है। गोयल ने रायसीना डायलॉग में यह चर्चा की। अमेजन ने 2018-19 में 7,000 करोड़ रुपए का घाटा होने की जानकारी दी थी।

बेजोस की किसी मंत्री या सरकारी अधिकारी से मुलाकात नहीं हुई
तीन दिन के भारत दौरे पर आए बेजोस ने बुधवार को कहा था कि अगले 5 साल में 71 हजार करोड़ रुपए के मेक इन इंडिया प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करेंगे। देश के छोटे-मध्यम कारोबारों को डिजिटाइज करने के लिए 7,100 करोड़ रुपए का निवेश भी किया जाएगा। तीन दिन में बेजोस की किसी सरकारी अधिकारी या मंत्री से मुलाकात होने की जानकारी नहीं है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक बेजोस ने प्रधानमंत्री से मिलने का वक्त भी मांगा था।

'ई-कॉमर्स कंपनियां मल्टी ब्रांड रिटेल में बैक-डोर एंट्री की गुंजाइश नहीं तलाशें'
गोयल का कहना था कि अमेजन ने पिछले कुछ सालों में वेयरहाउस कई कारोबारों में निवेश में निवेश किया, इसका स्वागत करते हैं। लेकिन, कंपनी ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस में हो रहे घाटे की वजह से पैसा लगा रही है तो क्या मतलब? ई-कॉमर्स कंपनियों को नियमों का पालन करना होगा। उन्हें मल्टी-ब्रांड रिटेल में बैक-डोर एंट्री की गुंजाइश नहीं तलाशनी चाहिए। देश के मल्टी-ब्रांड रिटेल सेक्टर में 49% से ज्यादा एफडीआई की इजाजत नहीं है। वाणिज्य मंत्री ने कहा- एक कंपनी जो कि अपने ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस के जरिए खरीदार और विक्रेताओं को प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाती है, वह इतना घाटा उठा रही है। व्यापार नियमों का उल्लंघन किए बिना यह कैसे हो सकता है? इस बात पर विचार करने की जरूरत है। ये वास्तविक सवाल है, मुझे भरोसा है कि ऐसे मामलों को देखने वाली अथॉरिटी जवाब तलाशेगी।

अमेजन, फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच जारी
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने सोमवार को अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। इन कंपनियों पर कुछ विक्रेताओं को तरजीह देकर प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन के आरोप हैं। दिल्ली व्यापर महासंघ ने सीसीआई से शिकायत की थी।

पटना : राजेंद्र सिंह के कारोबार में लगे हैं कई एमएलसी और एमएलए के पैसे

पटना : आयकर विभाग ने हाल में टॉल प्लाजा के ठेकेदार और स्टोन चिप के बड़े कारोबारी राजेंद्र सिंह के यहां छापेमारी की थी, जिसमें करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की बात सामने आयी थी.

इस दौरान कई स्थानों पर जमीन-जायदाद के अलावा अन्य कई माध्यमों में निवेश के बड़ी संख्या में कागजात बरामद हुए थे. इनकी जांच में यह खुलासा हुआ कि इनके कारोबार में राज्य के कई विधायकों और विधान पार्षदों की करोड़ों रुपये ब्लैक मनी भी लगी हुई थी. ये सफेदपोश गया, रोहतास समेत अन्य जिलों के हैं. फिलहाल इससे जुड़े जो भी दस्तावेज मिले हैं, उनकी आयकर विभाग जांच कर कई कारोबारों में निवेश रहा है. इसके आधार पर आने वाले समय में इन माननीयों से भी पूछताछ हो सकती है या इनके यहां पहुंच कर आयकर की टीम जांच कर सकती है.

जांच में यह भी पता चला कि इन लोगों ने एक बार में नहीं, बल्कि कई बार राजेंद्र सिंह के अलग-अलग कारोबारों में पैसे लगाये हैं. इन माननीयों को ब्याज समेत रुपये लौटाये जाते थे. कुछ कई कारोबारों में निवेश को सालाना, तो कुछ को मासिक किस्त के आधार पर पैसे मिलते थे. एक विधान पार्षद का तो अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए कई साल इनके कारोबार में पैसे लगाये हैं.

आयकर विभाग फिलहाल यह भी जांच रहा है कि किन-किन संपत्ति में बाहरी लोगों खासकर विधायकों या विधान पार्षदों का निवेश है. इसके बाद संबंधित लोगों से भी पैसे या संपत्ति के स्रोत के बारे में पूछताछ हो सकता है.

पटना के पॉश इलाके एसके पुरी के मदर टेरेसा पथ स्थित राजेंद्र सिंह के आवास में एक अगस्त को हुई यह छापेमारी दो दिनों तक चली थी. इस दौरान निवेश से संबंधित जितने भी कागजात जब्त किये गये, उनकी जांच में निवेश से संबंधित कई तथ्य सामने आये हैं. जांच में यह भी पता चला कि राजेंद्र सिंह ने 2012 से 2018 तक प्रत्येक वर्ष औसतन डेढ़ से दो करोड़ की संपत्ति खरीदी है. कुछ वर्ष तो दो-तीन बार संपत्ति की खरीद की गयी है. इसमें भी बाहरी लोगों के भी निवेश के प्रमाण मिले हैं.

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वेदांता करेगी अगले 3 साल में 56,000 करोड़ रुपए का निवेश, इन क्षेत्रों पर कंपनी का रहेगा फोकस

धातु एवं खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी वेदांता लिमिटेड अगले तीन साल में आठ अरब डॉलर (करीब 56,000 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी।

Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: August 24, 2018 17:32 IST

Oil- India TV Hindi

नई दिल्ली। धातु एवं खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी वेदांता लिमिटेड अगले तीन साल में आठ अरब डॉलर (करीब 56,000 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी। इसका उपयोग वह अपने विभिन्न कारोबारों के माध्यम से विविध परियोजनाओं में करेगी। कंपनी की सालाना आम बैठक में चेयरमैन नवीन अग्रवाल ने यह घोषणा की और कहा कि अभी यहां वृद्धि की बहुत संभावनाएं हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘भारत के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े तेल उत्पादक के तौर पर हमारी कंपनी घरेलू उत्पादन में 27% का योगदान करती है। हमारी योजना इसे बढ़ाकर 50% करने की है। इसके लिए हम अगले दो से तीन साल में तीन से चार अरब कई कारोबारों में निवेश डॉलर का निवेश करेंगे। इसके अलावा कई अन्य वृद्धि परियोजनाएं भी हैं।’’ अग्रवाल ने बताया कि इस साल वेदांता ने जस्ता, सीसा, चांदी और एल्युमीनियम का रिकॉर्ड उत्पादन किया है। कंपनी अगले दो-तीन साल में इन कारोबारों में भी तीन से चार अरब डॉलर का निवेश करेगी।

हाल में तमिलनाडु में कंपनी के तूतीकोरन स्थित संयंत्र के पास लोगों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने संयंत्र को स्थायी तौर पर बंद कर दिया। अग्रवाल ने इस घटना में जान गंवाने वाले लोगों की मौत पर दु:ख जताते हुए कहा कि कंपनी प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद मुहैया करा रही है।

तूतीकोरन में 22 मई को स्थानीय लोग संयंत्र के प्रदूषण फैलाने के चलते उसका विरोध कर कई कारोबारों में निवेश कई कारोबारों में निवेश रहे थे जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए गोलीबारी कर दी थी और इस घटना में 13 लोगों की जान चली गई थी। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी की आय 22% बढ़कर 92,900 करोड़ रुपये रही। कंपनी का परिचालन लाभ भी 19% बढ़कर 25,500 करोड़ रुपये रहा। कंपनी का शुद्ध लाभ 10% बढ़कर 8,200 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।

अग्रवाल ने बताया कि कंपनी इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स का भी विस्तार करेगी। इसकी सालाना क्षमता 15 लाख टन से बढ़ाकर 25 लाख टन किया जाएगा। इस पर कंपनी करीब 30 से 40 करोड़ डॉलर का पूंजीगत निवेश करेगी। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी का एकीकृत शुद्ध लाभ 2.13% बढ़कर 1,533 करोड़ रुपये रहा। जबकि उसकी कुल आय 22,624 करोड़ रुपये रही है।

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