Forex Reserve- ये हैं वो 3 कारण जिनकी वजह से देश में तेजी से बढ़ने लगा विदेशी मुद्रा भंडार

India's forex reserves : लगातार तीसरे हफ्ते देश का विदेशी मुद्रा भंडार फॉरेक्स में एक प्रसार क्या है बढ़ा है. 25 नवंबर को खत्म हफ्ते में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 24 हजार करोड़ रुपये बढ़े है.

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ना देश की अर्थव्यवस्था और आम आदमी दोनों के लिए फायदेमंद है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि (1) अमेरिका में ब्याज दरें ज्यादा नहीं बढ़ने की संभावनाओं के चलते डॉलर इंडेक्स में तेज गिरावट आई है. जिसका असर घरेलू रुपये को मिला है. (2) वहीं, घरेलू शेयर बाजार में तेजी का रुख बना हुआ है. विदेशी निवेशकों ने बाजार में पैसा लगाना शुरू कर दिया है. (3) विदेशी बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से गिरी है. ऐसे में हमें क्रूड खरीदने पर कम खर्च करना पड़ा रहा है.

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार-RBI की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 25 नवंबर को खत्म हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 289 करोड़ अमेरिकी डॉलर, अगर भारतीय करेंसी में बात करें तो 24 हजार करोड़ रुपये बढ़े है. भारत के पास कुल 45.11 लाख करोड़ रुपये है. विदेशी भंडार में ज्यादा रकम होने से विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह भरोसा रहता है कि देश की आर्थिक नीतिया काफी बेहतर है. इससे करेंसी में भी मजबूती आती है. मौजूदा समय में चीन के पास सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विट्जरलैंड आते हैं.

आरबीआई की ओर से आए आकंड़ों के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 254 करोड़ अमेरिकी डॉलर करीब 20800 करोड़ रुपये बढ़ा है. मौजूदा समय में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 54725 करोड़ अमेरिकी डॉलर है. यह भारतीय रुपये में करीब 44,32,725 करोड़ रुपये है.

भारत का विदेशी विदेशी मुद्रा भंडार? आरबीआई एक्ट 1934 विदेशी मुद्रा भंडार को रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है. देश का 64 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में ट्रेजरी बिल आदि के रूप में होता है. यह मुख्य रूप से अमेरिका में रखा होता है. मौजूदा समय में 28 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक और 7.4% कमर्शियल बैंक में रखा है.मार्च 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार में 653.01 टन सोना था.

इसमें से 360.71 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की सुरक्षित निगरानी में रखा है. बचा हुआ सोना देश में ही रखा है. डॉलर की वैल्यू में विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2019 के 6.14 फीसदी से बढ़कर मार्च 2020 में 6.40% पर पहुंच गई है.

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क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप?

इंटरनेट के जरिये आप घर बैठे फॉरेक्स ट्रेडिंग कर सकते हैं. इसे एफएक्स (FX) मार्केट भी कहते हैं

क्या फॉरेक्स मार्केट का मतलब जानते हैं आप?

आप भी कर सकते हैं फॉरेक्स ट्रेडिंग
इंटरनेट के जरिये आप घर बैठे फॉरेक्स ट्रेडिंग कर सकते हैं. लेकिन सबसे पहले आपको किसी फॉरेक्स ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. फॉरेक्स मार्केट में एक करेंसी को दूसरी करेंसी से बदला (एक्सचेंज) जाता है. ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा जरूरी बात है एक्सचेंज रेट. इसका मतलब है कि एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा से एक्सचेंज करने की दर क्या होगी.

आपने आमतौर पर देखा होगा कि रुपये की कीमत डॉलर की अपेक्षा इतनी है या डॉलर की कीमत यूरो की तुलनी में कितनी है. उदाहरण के तौर पर अगर एक डॉलर की कीमत 70 रुपये है तो एक डॉलर के लिए आपको 70 रुपये चुकाने होंगे.

मान लीजिये डॉलर के बदले आप 1,000 यूरो लेने का मन बनाते हैं. जिस वक्त आपने यूरो खरीता उस वक्त डॉलर/यूरो का एक्सचेंज रेट 1.5 था यानी आपको 1,000 यूरो खरीदने के लिए 1,500 डॉलर देने पड़े. कुछ समय बाद एक्सचेंज रेट में थोड़ा बदलाव हुआ और यह बढ़कर 1.55 हो गया. अब जब आप 1,000 यूरो बेचेंगे तो आपको 1,550 डॉलर मिलेंगे. इस तरह आपको कुल 50 डॉलर का फायदा हुआ.

इसी तरह अगर यूरो बेचने के वक्त एक्सचेंज रेट 1.35 रहा, तो आपको उन्हीं 1000 यूरो के बदले 1,350 डॉलर मिलेंगे यानी आपको 100 डॉलर का नुकसान हुआ. इसी तरह से दूसरी करेंसी की भी खरोद-फरोख्त कर सकते हैं.

Forex/Currency Trading

Currency (करेंसी) का मतलब गुड्स और सर्विस खरीदने का ज़रिया (पैसे के बदले चीज़े खरीदना) जैसे की हम कोई सामान खरीदने के लिए रुपये पैसों का इस्तेमाल फॉरेक्स में एक प्रसार क्या है करते हैं तो रुपये एक करेंसी हैं ऐसे ही हर देश की अपनी currency होती हैं

Forex|Currency Market क्या होता हैं|what is Forex|Currency Market

Currency Market एक Marketplace हैं जहाँ अलग अलग Currency को Buy और Sell किया जाता हैं विभिन्न Market Participant द्वारा जैसे की Banks ,Investment Firms और Hedge Funds ,Forex Broker आदि।

Currency Future भारत में Cash Settled होते हैं इसका मतलब currency Trading Physically Settled नहीं होते क्यूंकि Expiry पे Actual Delivery नहीं होती हैं Forex Market सबसे बड़े Financial Market में से एक हैं ज़्यादातर Currency Trade में US Dollar Currency एक pair ट्रेडिंग करेंसी में involve होती हैं Forex Market में Demand और Supply का Role होता हैं

Currency Market Price कैसे काम करता हैं|How Currency Price Fluctuate

करेंसी प्राइस Fluctuation कई कारणों पर निर्भर करता हैं जैसे की Interest Rate में बदलाव ,Inflation दर और जीडीपी डाटा ये सभी फैक्टर Currency के Fluctuation में अहम् रोल अदा करती हैं Exports और Imports का बड़ा असर पड़ता हैं उस देश के करेंसी की वैल्यू में जिससे की करेंसी के प्राइस fluctuate होते हैं

Forex Trading कैसे की जाती हैं|How to do Forex Trading

Forex Trading में आपको Forex Trading Account और एक Bank Account की जरुरत होती हैं भारत में चार INR Currency Pair में आप Trade कर सकते हैं USD/INR, EUR/INR , GBP/INR and JPY/INR आप Cross Currency में भी trade कर सकते हैं जैसे EUR-USD, GBP-USD, & USD-JPY Forex Trading में करेंसी Buying और Selling Pairs के अलावा Fno में भी Trade कर सकते हैं क्यूंकि Cross Currency के Corresponding INR Pairs हैं

Forex Trading के लिए आपको एक Trading अकाउंट किसी Registered Broker के पास खोलना पड़ेगा Demat Account खोलने की आवस्यकता नहीं हैं Trading Account खोलने से पहले कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी हैं

1.Trading Platform-MetaTrader 4 & 5 trading platforms सबसे popular global forex trading platforms हैं

2.Leverage-Leverage पे ध्यान देना पड़ता हैं क्यूंकि लिवरेज आपको ज्यादा ट्रेड लेने की अनुमति देती हैं पर over position में ये नुकसानदायक भी हो सकती हैं

3.Minimum Initial Deposit-

Forex Market Terminology

BID-जब आप एक Currency pair को Buy करना होता हैं तो Quatoed Currency में जो amount हैं वो पे करना होता हैं एक यूनिट बेस करेंसी लेने के लिए

ASK-जब आप एक Currency pair को Sell करना होता हैं तो Quatoed Currency में जो amount हैं वो मिलता हैं एक यूनिट बेस करेंसी Sell करने के लिए.

Quote-Quote एक Currency Pair हैं जहाँ एक currency की value Reflect होती हैं दूसरी Currency की Value के द्वारा जैसे की GBP /USD- GBP एक Base Currency हैं और USD एक Quote Currency हैं

Spread-Ask Price और Bid Price के बीच का अंतर Spread कहलाता हैं

PIP-PIP एक सबसे छोटी Price की Movement हैं जो किसी Currency Quote में होती हैं

Forex Trading Order Types

Market Order-Market Order Exchange पे जो भी Current Rate चल रहा हैं उस भाव में position बनाना Market order कहलाता हैं Market Order उसी समय Execute जाते हैं

Limit Order-Limit Order में फॉरेक्स में एक प्रसार क्या है पहले से कुछ Price Rate सेट किया जाता हैं और उस स्वैछिक प्राइस पे Execute होने को Limit Order कहतें हैं इनमे समय लगता हैं क्यूंकि predefined rate से order match होता हैं

Stop Loss Order-Stop Loss Order Loss को रोकते हैं की एक certain point के ऊपर या निचे जाने से जिससे Loss Restrict हो जाता हैं

Most Tradeable Currency in India

1.USD-US Dollar सबसे ज्यादा Liquid और सबसे ज्यादा Trade होने वाली Currency हैं और ज्यादातर World Currencies के साथ Pair होती हैं

2.EUR-Euro US Dollar के बाद Liquid और सबसे ज्यादा Trade होने वाली Currency हैं और ज्यादातर Currencies के साथ Pair होती हैं

Note-इस ब्लॉग लेख में Currency ट्रेडिंग से सम्बंधित जो जानकारी दी गयी हैं वो केवल इनफार्मेशन और एजुकेशन के लिए हैं ट्रेडिंग एक जोखिम भरा बिज़नेस हैं आप इसके बारें में अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह ले।

Q- Currency Trading क्या हैं?

Ans-Currency Market एक Marketplace हैं जहाँ अलग अलग Currency को Buy और Sell किया जाता हैं Currency Trading के लिए

Forex Trading Strategies in Hindi: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के लिए इस तरह बनाएं स्ट्रेटेजी

Forex Trading Tips in Hindi: How To Invest in Foreign Stock: अगर आप भी फॉरेन स्टॉक में निवेश करना चाहते है लेकिन नहीं मालूम कि फॉरेक्स ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? तो ऐसे में यह लेख आपके लिए इस समस्या का समाधान करेगा। यहां हम Forex Trading Strategies in Hindi पर चर्चा करेंगे।

Best Forex Trading Strategy in Hindi: फॉरेक्स एक्सचेंज, ट्रेडिंग या टूरिज्म जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक करेंसी को दूसरी मुद्रा में बदलने की प्रक्रिया है। एक FX या फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडिंग ग्लोबल मार्केट स्पेस है जहां मुद्राओं (Currencies) का आदान-प्रदान एक सहमत मूल्य पर किया जाता है। Forex Trading में कई रणनीतियां (Strategy)हैं, लेकिन सवाल यह है कि सबसे अच्छी फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Best Forex Trading Strategies) कौन सी हैं जिनका पालन करने की आवश्यकता है? तो आइए इस लेख में समाझते है कि फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? और अपने लिए सबसे बढ़िया फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? (How to Create a Forex Trading Strategy?)

फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? | What is Forex Trading Strategy in Hindi

एक विदेशी Forex Trading Strategy एक ऐसा सिस्टम है जिसका उपयोग ट्रेडर यह निर्धारित करने के लिए करता है कि करेंसी का व्यापार कब करना है? लेकिन यह इतना मायने क्यों रखता है? फॉरेन करेंसी की वैल्यू हर दिन बदलती है, और सबसे अच्छी स्ट्रेटेजी व्यापारी को अधिकतम लाभ कमाने की अनुमति देती है।

यह निर्धारित करने के लिए कि फॉरेन करेंसी के लिए कौन सी स्ट्रेटेजी सबसे अच्छी है, व्यापारी कई मानदंडों का उपयोग करके उनकी तुलना करते हैं -

टाइम रिसोर्स की आवश्यकता

व्यापार के अवसरों की फ्रीक्वेंसी

लक्ष्य के लिए विशिष्ट दूरी

फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? | Forex Trading Strategies in Hindi

1) प्राइस एक्शन ट्रेडिंग (Price Action Trading)

प्राइस एक्शन ट्रेडिंग फॉरेक्स ट्रेडिंग और अन्य ट्रेडिंग द्वारा उपयोग किए जाने वाले मूल्य भविष्यवाणियों और अटकलों के लिए एक दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण में ऐतिहासिक डेटा और पिछले प्राइस मूवमेंट में सभी टेक्निकल एनालिसिस टूल शामिल हैं जैसे चार्ट, बार, ट्रेंड लाइन, प्राइस बैंड, हाई और लौ स्विंग, टेक्निकल लेवल शामिल है।

प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में रुझान विभिन्न समय-सीमाओं जैसे कि शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म पर निर्धारित किया जा सकता है। यह व्यापारी को कई समय-सीमाओं का उपयोग करके एनालिसिस करने और बेचने या खरीदने के लिए निष्कर्ष निकालने की सुविधा देता है। प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में कई support/resistance लेवेक FX ट्रेडर को आगे बढ़ने में मदद करते हैं। उनमें से कुछ फाइबोनैचि रिट्रेसमेंट, कैंडल विक्स, ट्रेंड आइडेंटिफिकेशन, इंडिकेटर, ऑसिलेटर्स और अन्य प्रतीकात्मक पहचानकर्ता हैं।

2) रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Range Trading Strategy)

रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी सभी व्यापारिक बाजारों में लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है, और FX ट्रेडर अक्सर इसका इस्तेमाल करते हैं। फॉरेक्स ट्रेडर रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में सपोर्ट और रेसिस्टेंस पॉइंट की पहचान करते हैं और उसी के अनुसार ट्रेड करते हैं।

टेक्निकल एनालिसिस जैसे कि ऑसिलेटर्स का उपयोग रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की कुंजी है, और यह स्ट्रेटेजी बिना किसी अस्थिरता या समझ के पूरी तरह से काम करती है, जो इसे बेस्ट फॉरेक्स ट्रेडिंग प्रैक्टिस में से एक बनाती है। इसका उपयोग प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के संयोजन में किया जा सकता है और यह पर्याप्त संख्या में व्यापारिक अवसर प्रदान करता है।

3) ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Trend Trading Strategy)

यह सभी अनुभवी फॉरेक्स ट्रेडर द्वारा उपयोग किया जाता है, ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी गति (Momentum) के सिद्धांत पर काम करती है। फॉरेक्स ट्रेडर्स का मानना ​​​​है कि सुरक्षा उसी दिशा में गति बनाए रखेगी क्योंकि यह वर्तमान में इस रणनीति में चलन में है। दूसरे शब्दों में यह स्ट्रेटेजी मार्केट डायरेक्शन मोमेंटम का उपयोग करके प्रॉफिट जनरेट करने का प्रयास करती है।

फॉरेक्स ट्रेडर्स को पता है कि इस तरह की स्ट्रेटेजी थोड़े समय के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि प्रवृत्ति में उतार-चढ़ाव होता रहता है। यह एक मध्यम या लंबी समय सीमा के लिए एक अच्छा विकल्प है जहां ज़ूम-आउट फ्रेम में प्रवृत्ति का विश्लेषण किया जा सकता है। इसमें बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो शामिल है, जबकि टेक्निकल एनालिसिस के लिए, RSI और CCI जैसे ऑसिलेटर्स का उपयोग किया जाता है।

4) पोजीशन ट्रेडिंग (Position Trading)

एक लंबी अवधि की स्ट्रेटेजी जो हाई रिटर्न और पॉजिटिव रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो में से एक साबित हुई है, फोरेक्स की सबसे उम्दा ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है। इसके कांसेप्ट में इलियट वेव थ्योरी का उपयोग शामिल है, और चूंकि यह एक लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी है, इसलिए छोटे बाजार में उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के लिए लंबी अवधि और व्यापक फॉरेक्स में एक प्रसार क्या है चार्ट पर तकनीकी और मौलिक विश्लेषण की उच्च समझ की आवश्यकता होती है।

यह समझना भी जरूरी है कि आर्थिक या सामाजिक आर्थिक कारक किसी विशेष देश के वातावरण में रुझानों या परिवर्तनों पर निरंतर नजर के माध्यम से व्यापारिक संख्याओं को कैसे प्रभावित करते हैं, व्यापारी लघु, मध्यम और लंबी अवधि में व्यापार कर रहा है।

5) डे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Day Trading Strategy)

यह न केवल फॉरेक्स ट्रेडिंग बल्कि अन्य बाजारों जैसे स्टॉक में एक सामान्य स्ट्रेटेजी है। इस स्ट्रेटेजी में दिन के अंत तक निर्णय लिया जाता है, और ट्रेडर बाजार बंद होने से पहले सभी वस्तुओं को बेच देता है। दिन के अंत में दिन का व्यापार एक व्यापार तक सीमित नहीं है, और पूरे दिन के लिए इस रणनीति में कई व्यापार आम हैं। इसके अलावा, कोई यह समझ सकता है कि यह एक शॉर्ट टर्म स्ट्रेटेजी है और आमतौर पर 1:1 रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के साथ समाप्त होती है।

टेक्निकल एनालिसिस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके बिना यह एक अंधा व्यापार होगा और इसमें नुकसान हो सकता है।

Conclusion -

ये सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली और अच्छी Forex Trading Strategies in Hindi हैं जिनका उपयोग एक ट्रेडर टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के साथ कर सकता है। उपरोक्त बताएं गए स्टेप द्वारा आप भी फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए रणनीति बनाकर मुनाफा कमा सकते है।

लगातार चौथे हफ्ते घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिये क्यों घरेलू अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा गिरावट का असर

Forex Reserve-पहली अप्रैल को खत्म हफ्ते में रिजर्व 11 अरब डॉलर घटा था, वहीं 25 मार्च को खत्म हफ्ते में रिजर्व 2.03 अरब डॉलर, 18 मार्च को 2.59 अरब डॉलर और 11 मार्च को 9.64 अरब डॉलर घटा है. रिजर्व में ये गिरावट दुनिया भर में जारी अनिश्चितता की वजह से देखने को मिली है.

लगातार चौथे हफ्ते घटा विदेशी मुद्रा भंडार, जानिये क्यों घरेलू अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा गिरावट का असर

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) में लगातार चौथे हफ्ते गिरावट देखने को मिली है. इस 4 हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार फॉरेक्स में एक प्रसार क्या है 25 अरब डॉलर से भी ज्यादा घट गया. दुनिया भर में आयात पर निर्भर देशों के विदेशी मुद्रा भंडार पर रूस यूक्रेन संकट (Russia Ukraine Crisis) का असर देखने को मिल रहा है. दरअसल कमोडिटी कीमतों में तेजी से देशों का बिल तेजी से बढ़ रहा है और आयात (Import) पर निर्भर देशों के खजाने पर इसका सीधा असर है. भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार काफी नीचे पहुंच चुका है और इसकी वजह से इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं लगातार डूबती जा रही है. हालांकि भारत की स्थिति कहीं ज्यादा बेहतर है. आइये आज हम आपको बताते हैं कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का किसी देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर देखने को मिलता है. और क्यों भारत मजबूत स्थिति में है.

क्यों भारत पर नहीं होगा कोई खास असर

4 हफ्तों की गिरावट के बाद भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के ऊपर है. खास बात ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के साथ बीते वित्त वर्ष में भारत का आयात बिल रिकॉर्ड 600 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. यानि रिजर्व घटने और कच्चे तेल में उछाल की स्थितियों के बीच भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक साल के आयात बिल के बराबर है. खास बात ये है कि इसी बीच भारत का एक्सपोर्ट भी 400 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया है. यानि अगर सीधी गणित के हिसाब से भी देंखें तो रिजर्व का मौजूदा आंकड़ा आयात निर्यात के अंतर को अगले 3 साल तक पूरा कर सकता है. यानि कुल मिलाकर इंटरनेशनल ट्रेड में भारत की स्थिति अपने विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से काफी मजबूत है. और यही वजह है कि रिजर्व बैंक के पास करंसी में हस्तक्षेप करने के पूरे मौके भी बने हुए हैं. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में निर्यात बढ़ने और कच्चे तेल में नरमी से आयात बिल घटने के साथ एक बार फिर देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने लगेगा.

क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार का फायदा

दुनिया भर में कारोबार कई अलग अलग करंसी में होते हैं जिनके एक्सचेंज रेट्स लगातार बदलते रहते हैं. एक्सचेंज रेट्स इस बात पर तय होते हैं कि बाजार में किसी खास करंसी की मांग के मुकाबले सप्लाई कितनी होती है. देश के सेंट्रल बैंक ऊंचे फॉरेन रिजर्व की मदद से हस्तक्षेप के जरिये अपनी करंसी को किसी आपात स्थिति में एक सीमा से ज्यादा टूटने से बचा सकते हैं. बीते माह 11 मार्च को खत्म हुए सप्ताह में रिजर्व बैंक ने ऐसे ही डॉलर की सप्लाई को बढ़ा कर रुपये को एक सीमा से ज्यादा टूटने से रोक लिया था. इसके साथ निर्यात आधारित किसी देश के लिये भुगतान को समय पर चुकाने की क्षमता उसे आसानी से कारोबार करते रहने की सुविधा देती है. साथ ही ग्लोबल ट्रेड में उस अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसा भी बढ़ता है. ऊंचे विदेशी मुद्रा भंडार से रूस यूक्रेन जैसे किसी संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्थाएं किसी भी तेज उतार-चढ़ाव का झटका आसानी से सहन कर सकती हैं.

क्या हो अगर विदेशी मुद्रा भंडार घट जाए

इसका उदाहरण हम पाकिस्तान और श्रीलंका में देख रहे हैं. इन दोनों देशों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार करीब करीब इतने ही हैं जितनी गिरावट भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक महीने के दौरान देखने को मिली है. विदेशी मुद्रा भंडार घटने के साथ देश अपनी करंसी को बचाने के लिये हस्तक्षेप का मौका गंवा देते हैं. इसी वजह से दोनों देशों की करंसी डॉलर के मुकाबले लगातार टूट रही है. जिससे आयात और कर्ज भुगतान और महंगे होते जा रहे हैं. इसके साथ ही ऐसे देश जरूरी आयात बिल चुकाने में असमर्थ होने पर दूसरे देशों से ऊंची दरों पर कर्ज लेते हैं इससे देश की आय का बड़ा हिस्सा ब्याज और कर्ज चुकाने के लिये खर्च होने लगता है. पिछले महीने ही पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में एक हफ्ते के दौरान ही करीब 3 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी. जो कि उसके द्वारा चीन को कर्ज से जुड़ा भुगतान करने की वजह से दर्ज हुई थी. कर्ज भुगतान बढ़ने और कमजोर करंसी की वजह से देश की आय का अधिकांश हिस्सा देश से बाहर जाने लगता है और घरेलू अर्थव्यवस्था के लिये स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण बन जाती है.

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