Palmistry: हथेली में कहां होती है विवाह रेखा। (फोटो: freepik)

बाहरी बार का क्या अर्थ है

अभिमनोज. क्या सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर सियासी पलटी मारेंगे? यह सवाल फिर चर्चाओं में हैं, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अब सीएम नीतीश कुमार के लिए सत्ता की पलटी मारना आसान नहीं है, क्योंकि वे अपना आखिरी सियासी दांव चल चुके हैं!
दरअसल, सीएम नीतीश कुमार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा में इतना कुछ कहा कि उनकी राजनीतिक मंशा पर ही सवालिया निशान लग गए और मीडिया में एक बार फिर सियासी पाला बदलने की चर्चाएं होने लगी, परन्तु क्या ऐसा संभव है? शायद नहीं!
जेडीयू के ज्यादातर नेता बीजेपी के साथ रहना नहीं चाहते हैं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से जेडीयू को कमजोर किया गया था, वह सियासी दर्द अभी भी कायम है.
जेडीयू और बीजेपी के वोट बैंक का पॉलिटिकल नेचर नहीं मिलता है, लिहाजा बार-बार पाला बदलने से जेडीयू को ही नुकसान है और सीएम नीतीश कुमार की बढती उम्र अब ऐसे सियासी खेल के लिए सबसे बड़ी बाधा बन चुकी है, उन्हें चाहे इधर भी और उधर भी रहें, सत्ता तो किसी और को सौपनी ही होगी?
रही बात नीतीश कुमार के बयान की, तो अपने मन की बात बोलना उनकी आदत रही है, हर बार उसके राजनीतिक अर्थ-भावार्थ तलाशना बेकार है!
सियासी सयानों का मानना है कि अव्वल तो नीतीश कुमार के लिए अब पलटी मारना आसान नहीं है और यदि पलटी मार भी लेते हैं, तो उनके लिए सियासी आत्मघाति कदम होगा, जेडीयू बिखर जाएगा!

Palmistry: हथेली की ये रेखाएं वैवाहिक जीवन को लेकर खोलती हैं कई राज, जानिये क्या कहता है हस्तरेखा शास्त्र

Palmistry: हथेली में विवाह रेखा अहम भूमिका निभाती है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार इस रेखा से जातक के विवाह के बारे में जानकारी मिलती है।

Palmistry: हथेली की ये रेखाएं वैवाहिक जीवन को लेकर खोलती हैं कई राज, जानिये क्या कहता है हस्तरेखा शास्त्र

Palmistry: हथेली में कहां होती है विवाह रेखा। (फोटो: freepik)

Palmistry: हथेली पर बनी विभिन्न रेखाओं का क्या अर्थ होता है और किस रेखा का संबंध किस चीज से होता है। इसकी पूरी जानकारी हस्तरेखा शास्त्र में दी गई है। आइए जानते हैं कि हथेली में विवाह रेखा कहां होती है और हस्तरेखा शास्त्र में इस संबंध में क्या जानकारी दी गई है।

हथेली में कहां होता है विवाह रेखा

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार कनिष्ठा उंगली के नीचे और हृदय रेखा के ऊपर हाथ के बाहरी भाग से आरंभ होकर बुध पर्वत की ओर जाती हुई रेखा को विवाह रेखा कहते हैं। इस रेखा से ही जातक के विवाह की जानकारी मिलती है। वहीं यह भी कहा जाता है कि इस रेखा से यह भी पता चलता है कि जातक का विवाह कब होगा और उसका जीवन साथी कैसा होगा।

लंबी विवाह रेखा का क्या मतलब होता है?

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार अगर आपके हथेली पर लंबी विवाह रेखा है और यह सूर्य रेखा की छू रही है, तो आपका वैवाहिक जीवन सफल होगा। साथ ही आपका विवाह भी अच्छे स्थान पर होगा।

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विवाह रेखा में वक्र होना

विवाह रेखा में वक्र होना भी शुभ संकेत माना गया है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार विवाह के बाद आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहेगी। साथ ही आप वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहेगा।

कटी हुई विवाह रेखा

हथेली पर कटी हुई विवाह रेखा को अशुभ माना गया है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार के ऐसा होने पर जातक के विवाह में कई परेशानियां हो सकती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में भी कई समस्याएं हो सकती हैं।

छोटी विवाह रेखा

हथेली पर छोटी विवाह रेखा का मतलब होता है कि जातक की शादी के योग देरी से बनेंगे। वहीं हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार आप वैवाहिक जीवन में धैर्य नहीं रख सकते हैं। एक मजबूत रिश्ता बनाने में भी आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

आशुफ़्ता

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क्या आप जानते हैं?

परवीन शाकिर

परवीन शाकिर (1952-1994) अपनी छोटी सी उम्र में शोहरत और लोकप्रियता के शिखर तक पहुंचीं। सन् 1976 में जब उनका पहला काव्य संग्रह "ख़ुशबू" प्रकाशित हुआ जिसका आवरण मशहूर चित्रकार सादिक़ैन साहब ने बनाया था, उसे देखकर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने मुस्कुराकर कहा था:
"मैंने तो उम्र भर में इतनी नज़्में कही हैं।" सादिक़ैन साहब ने जवाब दिया, "परवीन शाकिर ज़्यादा कहती हैं मगर अच्छा कहती हैं।"
"ख़ुशबू" का पहला संस्करण छः महीने में ही बिक गया। उसके बाद उनकी कई और किताबें प्रकाशित हुईं।
क्या आप जानते हैं कि परवीन शाकिर उर्दू शायरी की दिलनवाज़ और महबूब शख़्सियत, आमतौर पर किसी महफ़िल में होतीं, घर में होतीं तो अपने पांव से जूते उतार बाहरी बार का क्या अर्थ है दिया करती थीं। आमतौर पर गाड़ी भी नंगे पांव चलाया करती थीं।

क्या आप जानते हैं?

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी (1935-2020 ) उर्दू साहित्य के आकाश का चमकता सितारा, दर्जनों पुस्तकों के लेखक, प्रसिद्ध आलोचक, उपन्यासकार, बहुआयामी व्यक्तित्व, बचपन से ही किताबें पढ़ने के शौकीन थे।बारह साल की उम्र से ही आंखों पर चश्मा लग गया था। उन्हें घर में "बच्चे मियां" कहा जाता था। बी.ए.तक की शिक्षा गोरखपुर में हुई जहां उनके वालिद नौकरी के सिलसिले में रहते थे। वहां उनकेे कालेज के पास एक जिल्द साज़ की दुकान थी, वहां जो भी किताबें जिल्द बंदी के लिए आतीं, फ़ारूक़ी साहब वहीं बैठ कर पढ़ लेते। वह प्रायः अपने तायाज़ाद भाईयों के साथ पैदल कालेज जाते समय भी कोई किताब पढ़ने लगते। उनकेे भाई उन्हें कार, साईकिल और दूसरी सवारियों के टक्कर से बचाते। अंग्रेज़ी में एम.ए करने इलाहाबाद गए तो वहां भी चलते समय किताब पढ़ने की आदत रही। रास्ते में लोग उनकी तन्मयता देख कर ख़ुद ही रास्ता दे देते। वह इंडियन पोस्टल सर्विस में उच्च पदों पर आसीन रहे।आफ़िस में जब भी फ़ाइलों से सर उठाने की फ़ुर्सत मिलती तब कोई किताब उनके हाथ में होती। नौकरी के दौरान ही बाहरी बार का क्या अर्थ है उन्होंने "शब ख़ून" नामक मासिक साहित्यिक पत्रिका निकाला जो निरंतर चालीस वर्षों तक जारी रहा। यह पत्रिका उर्दू अदब के आधुनिक रूझान के विकास में बहुत सहायक सिद्ध हुआ।
फ़ारूक़ी साहब साहित्य के अलावा चित्रकारी और संगीत के भी रसिया थे, विशेष रूप से हिंदुस्तानी क्लासिकी संगीत के
प्रेमी थे। जानवरों और पक्षियों से भी बहुत दिलचस्पी थी। इलाहाबाद में उन्होंने अपने घर में विभिन्न प्रकार की चिड़ियां पाल रखी थीं। वह किसी भी बाहरी बार का क्या अर्थ है जानवर को मरते या ज़बह होते नहीं देख सकते थे।
उनका पैतृक स्थान आजमगढ़ था लेकिन उनकी पैदाइश उनके ननिहाल प्रतापगढ़ में हुई थी।

क्या आप जानते हैं?

उर्दू में शब्द "तहरीर"का अर्थ है लिखना, लिखा हुआ। यह सब को मालूम है। ग़ालिब के दीवान के पहले शे'र ही में यह शामिल है:

नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का

लेकिन इस शब्द ने सदियों में क्या सफ़र तय किया यह शायद आपको न मालूम हो। तहरीर अरबी शब्द है जिसके तीन अक्षरों का मूल 'हुर' है जिसके मायने हैं आज़ाद। पुराने ज़माने में जब इंसान ग़ुलाम बना कर रखे जाते थे तब अरब में भी यह रिवाज था कि जब किसी ग़ुलाम को आज़ाद किया जाता था तब उसे सबूत के रूप में लिख कर दिया जाता था कि वह अब आज़ाद है। उसको "तहरीर" कहते थे।समय के साथ यह शब्द लिखने के लिए ही प्रचलित हो गया। अरबी के उसी तीन अक्षरों 'हुर' से हुर्रियत बना यानी आज़ादी। ग़ुलाम पर याद आया कि अरबी शब्द कोश में इसके अर्थ मर्द या नौजवान लड़के के भी हैं।

क्या आप जानते हैं?

शब्द "कहकशां" यानी Milky way, उर्दू शायरी में बहुत ख़ूबसूरत अंदाज़ में मिलता है। यह मशहूर शे'र सबको याद ही होगा:

इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है

लेकिन ये बात दिलचस्पी से ख़ाली नहीं कि शब्द कहकशां जिसे काहकशां भी लिखा जाता है,उसका अर्थ है, सूखी हुई घास को ज़मीन पर खींचना। यह फ़ारसी के दो शब्दों 'काह' अर्थात सूखी हुई घास और 'कशां' यानी खींचना, से मिल कर बना है। ध्यान दें कि जैसे सूखी हुई घास की गठरी को गीली ज़मीन पर घसीटा जाए तो उससे जिस तरह के निशान पड़ते हैं वैसे ही रात के तारों का झुरमुट आसमान पर नज़र आता है ना? हिंदी में उसे 'आकाशगंगा' का नाम दिया गया है जो उर्दू ग़ज़लों के अशआर में भी झलक दिखाती है।

क्या आप जानते हैं?

अली सरदार जाफ़री

सरदार जाफ़री को 1968 में जब दिल का दौरा पड़ा तो अस्पताल से वापस आ कर डाक्टरों के मश्विरे पर तीन माह के आराम के दौरान उन्होंने अपनी यादों का इम्तिहान लेना शुरू कर दिया। जो शे'र उन्हें बचपन से याद थे उन्हें लिखते गए। स्मृतियों के इस इम्तिहान से एक लंबी सूची तैयार हो गई तब उन्हें ख़्याल आया कि उर्दू अश्आर का एक शब्दकोश तैयार किया जाए और उन्हें संयोग से उस काम के लिए दो साल के लिए फेलोशिप भी मिल गई। उन्होंने "सरमाया ए सुख़न" नाम से उर्दू शायरी की एक शब्दकोश तैयार की जिसमें इक्कीस हज़ार ऐसे शब्दों का चयन किया गया जो बाहरी बार का क्या अर्थ है उर्दू शायरी में इस्तेमाल हुए हैं और उन्हें उर्दू वर्णमाला के क्रम में संकलित किया और उनकी व्याख्या के साथ साथ उदाहरण के रूप में अश्आर भी शामिल किए। यह काम शब्दकोश लेखन और ऐतिहासिक प्रसंग से बिल्कुल अलग था। "सरमाया ए सुख़न" की लंबी भूमिका भी बहुत दिलचस्प है। उसमें प्रसिद्ध और लोकप्रिय रूपकों का भी एक अध्याय बनाया गया है जिसका शीर्षक है 'मक़बूल इस्तिआरों का ख़ज़ाना'। सरदार जाफ़री की यह आख़िरी अदबी यादगार है जो उनकी ज़िंदगी में प्रकाशित नहीं हो सकी। उनका इरादा उसको कई खंडों में लिखने का था। अभी दूसरा ही खंड लिख रहे थे कि मौत ने उन्हें अपनी आग़ोश में ले लिया।

घर के बाहर खेल रही 5 साल की बच्ची का दिल्ली बाहरी बार का क्या अर्थ है में रेप, स्वाति मालीवाल ने जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के भलस्वा डायरी इलाके में एक बार फिर से दरिंदगी को अंजाम दिया गया। दरअसल, यहां करीब पांच साल की एक लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलिस को आरोपियों के बारे में सुराग मिले हैं और उन्हें अगले 24 घंटों में आरोपियों के पकड़े जाने की उम्मीद है। अधिकारी ने बताया कि बच्ची का अपहरण बुधवार शाम को उस वक्त किया गया, जब वह अपने घर के पास खेल रही थी। और अगले दिन गुरुवार सुबह वह पास के एक पार्क में मिली।

अधिकारी ने कहा कि बच्ची का पता लगाने के लिए तीन टीमों का गठन किया बाहरी बार का क्या अर्थ है गया था इसके अलावा मस्जिद के लाउडस्पीकर से भी घोषणा कराई गई थी और बच्चे की एक तस्वीर सभी पुलिस अधिकारियों को प्रसारित की गई थी। पुलिस टीम ने बच्ची को ढूंढ लिया और उसे कानून के अनुसार मेडिकल जांच के लिए ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने यौन उत्पीड़न की पुष्टि की। वहीं अब इस खबर के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।

दरअसल, स्वाति मालीवाल ने ट्विट कर कहा कि 5 साल की बच्ची का दिल्ली में रेप किया गया है। उसको भलस्वा डेरी में घर के सामने से उठा के ले गए और बच्ची झील के पास पायी गयी। अभी अस्पताल में उसकी सर्जरी हुई है। मेरी टीम उसके साथ है। हमने दिल्ली पुलिस को नोटिस इशू किया है जिससे अपराधी तुरंत अरेस्ट हों!

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शहरों के बाद, चीन की ग्रामीण आबादी गंभीर कोविड -19 जोखिम में

बीजिंग: ग्रामीण चीन में रहने वाले 500 मिलियन से अधिक लोग आने वाले दिनों में कोविड-19 संक्रमण की लहर का सामना कर सकते हैं क्योंकि लाखों प्रवासी मजदूर जनवरी में लूनर न्यू ईयर (एलएनवाई) की छुट्टियों के लिए अपने गांवों में लौटते हैं और सरकार यात्रा प्रतिबंधों को बाहरी बार का क्या अर्थ है वापस ले रही है। इस महीने पहले।

सीमित प्रति व्यक्ति चिकित्सा संसाधनों के साथ एक बड़े क्षेत्र में फैली एक विशाल आबादी ने ग्रामीण चीन को देश में तेजी से फैल रही ओमिक्रोन-संचालित महामारी में नरम अंडरबेली बना दिया है।

सोशल मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन के गाँवों में संक्रमण पहले बाहरी बार का क्या अर्थ है से ही फैलना शुरू हो गया है, कई ग्रामीण क्लीनिक पहले से ही बुखार से पीड़ित रोगियों से भरे हुए हैं और कोविड के बाहरी बार का क्या अर्थ है लक्षणों वाले क्लीनिकों में रिपोर्ट कर रहे हैं।

सरकारी ग्लोबल टाइम्स (जीटी) टैब्लॉइड ने इस सप्ताह रिपोर्ट दी है कि मामले में वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू हो गई है, जहां चिकित्सा प्रणाली अपेक्षाकृत कमजोर है। जीटी ने बताया कि दवाओं और चिकित्सा कर्मचारियों की कमी प्रमुख समस्याएं हैं।

"एक ओर, काउंटी-स्तरीय चिकित्सा संसाधन पहले से ही बहुत सीमित हैं, दूसरी ओर, पहले की तरह बाहरी सहायता पर भरोसा करना असंभव है; इसलिए ग्रामीण चिकित्सा प्रणाली को 'दोहरे झटके' का सामना करना पड़ सकता है, "वुहान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशियोलॉजी के एक प्रोफेसर लू डेवेन ने इस सप्ताह की शुरुआत में चीन के ट्विटर जैसे वीबो प्लेटफॉर्म पर लिखा था। चीन के ग्रामीण क्षेत्रों ने पहले छिटपुट प्रकोपों ​​का सामना किया है। इस बार क्या अलग होगा?

लू के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में, ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी नियंत्रण का अर्थ "बाहरी रोकथाम" है, जिसका अर्थ है लॉकडाउन, लोगों के बाहर से आने पर प्रतिबंध और आवाजाही पर प्रतिबंध।

"अतीत में, छिटपुट प्रकोप, उच्च-स्तरीय अस्पताल चिकित्सा पेशेवरों को सहायता के लिए भेजने में सक्षम थे . लेकिन अगले कुछ महीनों में, विशेष रूप से वसंत महोत्सव (एलएनवाई) के दौरान, महामारी फैल सकती है," लू ने लिखा।

2021 की जनसंख्या जनगणना के अनुसार, चीन में 509.8 मिलियन ग्रामीण निवासी हैं। यह बहुत बड़ी आबादी है जो आने वाले हफ्तों में ओमिक्रॉन तरंगों से खतरे में है।

प्रकोप से निपटने में जो समस्या आएगी वह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में बुजुर्गों की आबादी का प्रतिशत अधिक है। "2020 में, उदाहरण के लिए, 23.81% ग्रामीण निवासी, या 120 मिलियन लोग, 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के थे, शहरी क्षेत्रों की तुलना में 7.99% अंक अधिक थे," सितंबर में प्रकाशित सरकारी चाइना डेली की एक रिपोर्ट के अनुसार।

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