ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर फेक रिव्यूज आए तो कंपनी पर दर्ज होगा मुकदमा
नई दिल्ली. ऑनलाइन शॉपिंग, होटल बुकिंग, ट्रेवल बुकिंग और रेस्टोरेंट के खाने व सर्विस से जुड़े किसी प्रोडक्ट के बारे में फर्जी रिव्यू लिखना या लिखवाना अब कंपनियों को बहुत भारी पड़ेगा. सरकार ने फर्जी और पेड रिव्यू पर लगाम लगाने के लिए सोमवार को नए मानक लागू करने की घोषणा की. फर्जी रिव्यू रोकने को बनाए गए नए मानक 25 नवंबर से लागू हो जाएंगे. एक बार इन्हें स्वैच्छिक बनाया गया है. अगर कंपनियां इन मानकों का पालन नहीं करती हैं तो सरकार इन्हें बाद में अनिवार्य भी कर सकती है. कोई कंपनी मानकों का पालन नहीं करती है तो इसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना जाएगा.
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने किसी सामान या सर्विस का रिव्यू करने के लिए ये मानक तय किए हैं. केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार ने इन मानकों को जारी करते हुए कहा कि शुरुआत में यह सभी मानक स्वैच्छिक होंगे. उन्होंने कहा भारत पहला देश है, जिसने सामान या सेवा के रिव्यू लिखने के लिए नियम बनाए हैं.
फेक रिव्यू पर लगेगी लगाम
इन मानकों के लागू होने के बाद ई कॉमर्स कंपनियां अब फेक और पेड रिव्यू नहीं करवा पाएंगी. रोहित कुमार ने कहा कि रिव्यू के लिए बनाए गए सभी मानकों का पालन करने के बाद ही बीआईएस में सत्यापन के लिए आवेदन करना होगा. इसके बाद बीआईएस एक सर्टिफिकेट जारी करेगा. इसके बाद कंपनी अपनी वेबसाइट पर इसका उल्लेख कर सकती है. जो कंपनियां इन मानकों का पालन नहीं करेंगी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
मानकों का पालन नहीं तो जुर्माना
रोहित कुमार ने बताया कि कंपनी को अब यह बताना होगा कि रिव्यू के आधार पर किसी प्रो़डक्ट को स्टार रेटिंग कैसे देती है. उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ भी बड़ी तादाद में शिकायतें मिल रही हैं. इसी को देखेते हुए सरकार ने रिव्यू के लिए मानक तय किए हैं. यह नियम उन सभी वेबसाइट पर लागू होंगे जो रिव्यू पब्लिश करती हैं. सरकार पैसे देकर पॉजिटिव रिव्यू और फाइव स्टार रेटिंग पर जुर्माना लगाएगी. दूसरी कंपनियों के लिए नेगेटिव रिव्यू कराने पर भी कार्रवाई होगी.
उपभोक्ताओं को होगा फायदा
ऑनलाइन खरीदारी में रिव्यू ग्राहक को काफी प्रभावित करते हैं. ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर ग्राहक किसी प्रोडक्ट को छूकर नहीं देख सकता. ऐसे में बहुत से उपभोक्ता उस प्रोडक्ट के बारे में वेबसाइट पर लिखे रिव्यू या फिर रिव्यू करने वाली किसी वेबसाइट की समीक्षा को पढ़कर ही उसे खरीदने या न खरीदने का निर्णय लेते हैं. इसी वजह से बहुत सी कंपनियां अपने प्रोडक्ट के बारे में फर्जी रिव्यू कराती हैं ताकि उसकी सेल बढ़ सके.
Flipkart व Amazon जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में फर्जी रिव्यू पर सरकार सख्त, ग्राहकों को गुमराह करने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी
फ्लिपकार्ट (Flipkart) और अमेजन (Amazon) जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में फर्जी रिव्यू पर ही रोक लगाने के लिए सरकार ने फ्रेमवर्क बनाने का एलान किया है.
ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है.
Fake Reviews on Flipkart, Amazon: ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. कई बार ऐसा होता है कि आप ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर रिव्यू पढ़कर खरीदारी कर लेते हैं और बाद में आपको पता चलता है रिव्यू में किए गए दावे फर्जी थे. फ्लिपकार्ट (Flipkart) और अमेजन (Amazon) जैसे ई-कॉमर्स वेबसाइटों में इन फर्जी रिव्यू पर ही रोक लगाने के लिए सरकार ने फ्रेमवर्क बनाने का एलान किया है. शनिवार को सरकार ने कहा कि कंज्यूमर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है गया है. इसके तहत, ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर पोस्ट किए जाने वाले फर्जी रिव्यू पर नजर रखने के लिए एक फ्रेमवर्क डेवलप किया जाएगा.
मीटिंग में फेक रिव्यू पर की गई चर्चा
एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) के ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है साथ कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने शुक्रवार को ई-कॉमर्स संस्थाओं सहित हितधारकों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की. इसमें प्लेटफार्मों पर होने वाले फेक रिव्यू पर चर्चा की गई. फेक रिव्यू के चलते कंज्यूमर्स ऑनलाइन प्रोडक्ट्स खरीदते समय गुमराह हो जाते हैं. एक आधिकारिक बयान के अनुसार उपभोक्ता मामलों का विभाग (DoCA) भारत में ई-कॉमर्स कंपनियों की मौजूदा मैकेनिज्म का अध्ययन कर रहा है. इसके साथ ही, वैश्विक स्तर पर उपलब्ध बेहतर व्यवस्था को देखते हुए इस फ्रेमवर्क को डेवलप किया जाएगा. इस मीटिंग में कंज्यूमर फोरम, लॉ यूनिवर्सिटीज, वकीलों, FICCI, CII और कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट्स सहित अन्य ने हिस्सा लिया और वेबसाइटों पर फेक रिव्यू की समस्या पर चर्चा की.
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ई-कॉमर्स वेबसाइट में शॉपिंग करते समय कंज्यूमर्स के पास प्रोडक्ट को फिजिकली तौर पर देखने या चेक करने का विकल्प नहीं होता है. इसके चलते ज्यादातर कस्टमर्स वेबसाइट पर दिए गए रिव्यू पर भरोसा करते हुए खरीदारी कर लेते हैं. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि अभी रिव्यू लिखने वाले की प्रमाणिकता सिद्ध करना और इसकी जिम्मेदारी ई-कॉमर्स कंपनियों की होना दो मुद्दे अहम हैं. ई-कॉमर्स कंपनियों को यह खुलासा करना चाहिए कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से ‘सबसे Relevant रिव्यू’ को कैसे चुनते हैं.
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 'लोकल मार्केट' को पेश करेगा फेसबुक
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इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का नाम 'लोकल मार्केट' होगा. यूज़र इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ई-कॉमर्स वेबसाइट के तौर पर कर पाएंगे.
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक जल्द ही अपने यूजर्स के लिए क्रय व विक्रय के एक प्लेटफॉर्म पेश कर सकता है. माना जा रहा है कि इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का नाम 'लोकल मार्केट' होगा. यूज़र इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ई-कॉमर्स वेबसाइट के तौर पर कर पाएंगे.
यह जानकारी टेक क्रंच ने दी है, मिली जानकारी के अनुसार, फेसबुक का इस्तेमाल करने वाले कई यूज़र ने यह खबर दी कि उनके आईफोन के फेसुबक ऐप में मैसेंजर बटन की जगह पर बेहद कम समय के लिए एक नया फीचर दिखाई दिया. नए फीचर में खरीद व बिक्री दोनों का विकल्प होगा. बिक्री के लिए उपलब्ध वस्तुओं की तस्वीर व कीमत भी दी जाएगी.
फ़िलहाल फेसबुक 'लोकल मार्केट' के नाम से क्रय व विक्रय के एक प्लेटफॉर्म का परीक्षण कर रहा है. यह फीचर हालांकि अभी परीक्षण के अधीन है, जिसका मकसद खरीदारों व विक्रेता पर ध्यान केंद्रित करना है. इसकी मदद से उपयोगकर्ता कई तरह के उत्पादों को बिक्री के लिए उस प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर सकते हैं.
अगर यह फीचर जल्द ही फेसबुक यूजर्स के लिए पेश कर दिया जाएगा. तो इससे फेसबुक इस्तेमाल करने वाले लोगों को काफी लाभ पहुंचेगा और वह फेसबुक इस्तेमाल करते हुए शोपिंग का मज़ा भी ले पाएंगे. फ़िलहाल फेसबुक यूजर्स को शोपिंग करने के लिए दूसरे शोपिंग प्लेटफॉर्म्स पर जाना पड़ता है.
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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Carousel ने 110 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला !
दिल्ली न्यूज डेस्क् . कंज्यूमर-टू-कंज्यूमर (सी2सी) ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कैरोसेल ने लागत कम करने के प्रयास में लगभग 110 कर्मचारियों, या अपने कुल कर्मचारियों के 10 प्रतिशत को निकाल दिया है। कैरोसेल के सह-संस्थापक और सीईओ सिउ रुई क्यूक ने कहा कि वह उन निर्णयों की जिम्मेदारी लेते हैं जो हमें यहां ले आए हैं। सिंगापुर मुख्यालय वाली कंपनी मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, कंबोडिया, ताइवान, हांगकांग, मकाऊ, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में काम करती है। उन्होंने एक बयान में कहा, प्रभावित व्यावसायिक इकाइयों में सभी को ईमेल भेजे जाएंगे, यह स्पष्ट करते हुए कि क्या आपकी भूमिका प्रभावित हुई है।
सीईओ ने कहा, साथियों के साथ बिदाई करना, जिनके हम इस मिशन में शामिल होने के लिए आभारी हैं, एक बहुत ही कठिन निर्णय है। हम सुनिश्चित करेंगे कि हम सभी प्रभावित लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें और जितना संभव हो उतना समर्थन दें। कंपनी प्रत्येक प्रभावित कर्मचारी को सेवा के प्रत्येक वर्ष के लिए 1 महीने का वेतन प्रदान करेगी, जो निकटतम छमाही तक होगा। क्यूक ने कहा, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हर प्रभावित साथी के पास कम से कम 3 महीने का मुआवजा होगा, जहां आवश्यक हो, अंतर को टॉप-अप करना होगा। सीईओ ने कहा कि जब हम ग्रुप के प्रमुख बाजारों में 2021 के कोविड लॉकडाउन से उभरे, हम रिकवरी के बारे में आशावादी थे और अपने मुख्य क्लासीफाइड व्यवसाय में विकास को फिर से शुरू करने के लिए उत्सुक थे।
गली के दुकानदार कहीं भी बेच पाएंगे सामान, सरकार ला ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है रही अपना E-commerce प्लेटफॉर्म
सरकार द्वारा तैयार किया जा रहा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लाभ कमाने के लिए नहीं होगा। वह नॉट-फॉर-प्रॉफिट सिस्टम पर काम करेगा, जो डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क या ओएनडीसी के नाम से जाना जाता है।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 28, 2022 13:46 IST
Photo:FILE
Highlights
- छोटे व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं को बड़ा बाजार उपब्लध करना सरकार का उद्देश्य
- अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों की मनमानी खत्म होगी और सभी को समान अवसर मिलेगा
- सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अगले महीने पांच शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर शुरू होगा
नई दिल्ली। छोटे दुनादरों को बड़ा बजार मुहैया कराने और देश की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी Amazon-Flipkart की मनमानी खत्म करने के लिए केंद्र सरकार अपना ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स) लॉन्च करने जा रही है। इस प्लेटफॉर्म को बनाने में सरकार की मदद कर रहे हैं तकनीकी दुनिया के दिग्गज और आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि जिन्होंने भारत के लगभग 140 करोड़ लोगों के लिए बायोमेट्रिक पहचान आधार उपलब्ध कराई है।
साबुन से लेकर हवाई टिकट खरीद पाएंगे
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उद्देश्य छोटे दुकानदारों के अधिकारों की रक्षा करना है। मौजूदा दौर में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां खुदरा कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अरबों रुपये निवेश कर रही हैं। इससे छोटे दुकानदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बदलते हालत को देखते हुए सरकार यह मु्फ्त का ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लेकर आ रही है। इसमें साबुन से लेकर हवाई टिकट की बुकिंग उपभोक्ता कर पाएंगे। वहीं, इससे जुड़ने वाले सेलर को कोई शुल्क नहीं देना होगा। इससे उनको अपने कारोबार को बिना ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है किसी खर्च से बढ़ाने में मदद मिलेगी।
लाभ के मॉडल पर काम नहीं करेगा प्लेटफॉर्म
सरकार द्वारा तैयार किया जा रहा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लाभ कमाने के लिए नहीं होगा। वह नॉट-फॉर-प्रॉफिट सिस्टम पर काम करेगा, जो डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क या ओएनडीसी के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं को बड़ा बाजार उपब्लध करना होगा। सरकार सभी के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाएगी, जिसे अमेजेन जैसी कंपनियों की पकड़ कम करने में मदद मिलेगी। अमेजन-फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां आज यह तय करती है कि किन ब्रांडों को प्रमुख उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाया और किन्हे नहीं।
अगले महीने पांच शहरों में शुरू करने की तैयारी
सरकार द्वारा संचालित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अगले महीने पांच शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर शुरू किया जाएगा। हालांकि, इस प्लेटफॉर्म की सबसे बड़ी चुनौती होगी यह सुनिश्चित करना होगा कि नेटवर्क अपने लक्ष्यों को हासिल करे। ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म क्या है अमेजन और फ्लिपकार्ट बाजार पर हावी हैं क्योंकि उनकी तकनीक व्यापारियों और खरीदारों को उनके प्लेटफॉर्म पर आकर्षित करती है।
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