Photo:FILE BSE भारत के मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की सूची

शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ निवेशक कंपनियों द्वारा विभिन्न कंपनियों के शेयर, बांड और अन्य प्रतिभूतियों को ख़रीदा और बेचा जाता हैं। शेयर बाजार अनेक सुविधा प्रदान कर सकता है जैसे, मुद्दे और प्रतिभूतियों के मोचन और अन्य वित्तीय साधनों और पूंजी की घटनाओं आय और लाभांश का भुगतान। सन् 1875 में स्थापित मुंबई का शेयर बाजार (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) एशिया का पहला शेयर बाजार है। स्टॉक मार्केट को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर प्रबंधित और विनियमित किया जाता है।

भारत में सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनमें दो बीएसई और एनएसई के राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज हैं। बाकी 21 रीजनल स्टॉक एक्सचेंज (RSE) हैं। सेबी द्वारा शुरू किए गए कड़े मानदंडों के कारण, देश में 20 आरएसई ने व्यापार से बाहर निकलने का विकल्प चुना। सेबी ने सुस्त कामकाज के कारण 09 जुलाई 2007 को सौराष्ट्र स्टॉक एक्सचेंज, राजकोट की मान्यता रद्द कर दी थी।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड :

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। सेबी के वर्तमान चेयरमैन अजय त्यागी है। सेबी की स्थापना भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 12 अप्रैल 1992 में गई थी। सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के मुख्य कार्य:

सेबी का प्रमुख उद्देश्य भारतीय स्टाक निवेशकों के हितों का उत्तम संरक्षण प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास तथा नियमन को प्रवर्तित करना है। सेबी को एक गैर वैधानिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया जिसे SEBI ACT1992 के अन्तर्गत वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इसके निर्धारित कार्य निम्नलिखित हैं:-

Stock Exchange: 147 साल का हुआ BSE, क्या आप जानते हैं कि बरगद के पेड़ के नीचे 5 लोगों ने की थी इसकी शुरुआत

Stock Exchange: बीएसई में 5246 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से ये दुनिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज है।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 23, 2022 16:55 IST

BSE- India TV Hindi

Photo:FILE BSE

Stock Exchange: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स (बीएसई सेंसेक्स) लाखों भारतीयों की जीवन रेखा है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को शुरू हुए 147 साल हो गए है। 9 जुलाई 1875 में इसकी शुरुआत हुई थी। इसे बीएसई-30 या सिर्फ सेंसेक्स के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय पूंजी बाजार के विकास में इस एक्सचेंज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके सूचकांक पर दुनियाभर की निगाहें रहती हैं। भारत के अलग-अलग सेक्टर्स की तीस प्रमुख, सक्रिय और वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियां इस बाजार का संचालन करती हैं। ये कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था का भी प्रतिनिधित्व करती हैं। हालांकि, आपको जानकार हैरानी होगा कि एशिया के सबसे प्राचीन स्‍टॉक एक्‍सचेंज बीएसई सेंसेक्‍स की शुरुआत किसी बिल्‍डिंग में नहीं थी, बल्कि एक बरगद के पेड़ नीचे हुई थी। आज जहां हार्निमन सर्कल है, जो साउथ मुंबई में एक जगह है, वहीं पर पेड़ के नीचे स्टाॅक एक्सचेंज की शुरुआत हुई थी।

पांच हजार से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध

बीएसई में 5246 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से ये दुनिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज है। पिछले 147 साल से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारतीय बाजार की पूंजी व्यवस्था का निर्धारण कर रहा है।


कैसे अस्तित्व में आया बीएसई


एशिया के इस सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय उन चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है, जो 1850 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई (तब बॉम्बे) के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ती गई। कुछ समय बाद 1874 में मुंबई में देश की अर्थव्‍यवस्‍था के इस प्रतीक को दक्षिण मुंबई में ही एक स्थाई जगह मिली जो आज दलाल स्ट्रीट के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 1875 में इन्होंने अपना 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया। आज इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है।

विश्व का सबसे बड़ा व्यापार समझौता, लेकिन भारत नहीं हुआ शामिल, जानें क्यों

चीन सहित एशिया-प्रशांत के 15 देशों ने रविवार को दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर किए. इन देशों के बीच क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (RCEP) करार हुआ. इस समझौते में भारत शामिल नहीं है. इन देशों ने उम्मीद जताई कि इस समझौते से कोविड-19 महामारी के झटकों से उबरने में मदद मिलेगी.

आरसीईपी पर 10 देशों के दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान- ASEAN) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के समापन के बाद रविवार को वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए. यह समझौता करीब आठ साल तक चली बातचीत के बाद पूरा हुआ.

इस समझौते के दायरे में करीब एक-तिहाई वैश्विक अर्थव्यवस्था आएगी. समझौते के बाद आने वाले सालों में सदस्य देशों के बीच व्यापार से जुड़े शुल्क और नीचे आएंगे. समझौते पर हस्ताक्षर के बाद सभी देशों को आरसीईपी को दो साल के दौरान अनुमोदित करना होगा जिसके बाद यह प्रभाव में आएगा.

भारत नहीं हुआ शामिल
भारत इस समझौते में शामिल नहीं है. भारत पिछले साल समझौते की वार्ताओं से हट गया था, क्योंकि ऐसी आशंका है कि शुल्क समाप्त होने के बाद देश के बाजार आयात से पट जाएंगे, जिससे स्थानीय उत्पादकों को भारी नुकसान होगा. हालांकि, अन्य देश पूर्व में कहते रहे हैं कि आरसीईपी में भारत की भागीदार के द्वार खुले हुए हैं.

आरसीईपी का सबसे पहले प्रस्ताव 2012 में किया गया था. इसमें आसियन के 10 देश- इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यामां और कंबोडिया के साथ चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. अमेरिका इस समझौते में शामिल नहीं है.

मेजबान देश वियतनाम (Vietnam) के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक (Nguyen Xuan Phuc) ने कहा कि आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद हम आधिकारिक तौर पर आरसीईपी वार्ताओं को हस्ताक्षर तक लेकर आ पाए हैं.

फुक ने कहा कि आरसीईपी वार्ताओं के पूरा होने के बाद इस बारे में मजबूत संदेश जाएगा कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को समर्थन देने में आसियान की प्रमुख भूमिका रहेगी. यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है. इससे क्षेत्र में एक नया व्यापार ढांचा बनेगा, व्यापार सुगम हो सकेगा और कोविड-19 से प्रभावित आपूर्ति श्रृंखला को फिर से खड़ा किया जा सकेगा.

इस करार से सदस्य देशों के बीच व्यापार पर शुल्क और नीचे आएगा. यह पहले ही काफी निचले स्तर पर है.

भारत के लिए खुला द्वार
इस समझौते में भारत के फिर से शामिल होने की संभावनाओं को खुला रखा गया है. समझौते के तहत अपने बाजार को खोलने की अनिवार्यता के कारण घरेलू स्तर पर विरोध की वजह से भारत इससे बाहर निकल गया था.

जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा कि उनकी सरकार समझौते में भविष्य में भारत की वापसी की संभावना समेत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष आर्थिक क्षेत्र के विस्तार को समर्थन देती है और उन्हें इसमें अन्य देशों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है.

मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं उद्योग मंत्री मोहम्मद आजमीन अली ने कहा कि यह समझौता संकेत देता है कि आरसीईपी देशों ने इस मुश्किल समय में संरक्षणवादी कदम उठाने के बजाय अपने बाजारों को खोलने का फैसला किया है.

Special: 141 साल पहले आज एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर ही के दिन 5 लोगों ने शुरू किया था बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज

Special: 141 साल पहले आज ही के दिन 5 लोगों ने शुरू किया था बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज

मुंबई। आज 9 जुलाई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) 141 साल एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर का हो गया। आज ही के दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत 'नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन' नामक एक एसोसिएशन के एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर रूप में हुई थी। एक बरगद के पेड़ के नीचे 318 व्यक्तियों ने 1 रुपए के प्रवेश शुल्क के साथ शेयर बाजार शुरू किया था। चर्चगेट इलाके में हार्निमन सर्कल के टाउनहॉल के पास बरगद के पेड़ के नीचे दलाल इकट्ठा होते थे और शेयरों का सौदा करते थे। एक दशक बाद दलाल मेडोज स्ट्रीट और एमजी रोड जंक्शन पर बरगद के पेड़ के नीचे जुटने लगे। बाद में यह जगह दलाल स्ट्रीट के रूप में विख्यात हो गई।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स (बीएसई सेंसेक्स) लाखों भारतीयों की जीवन रेखा है। इसे बीएसई-30 या सिर्फ सेंसेक्स के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय पूंजी बाजार के विकास में इस एक्सचेंज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसके सूचकांक पर दुनियाभर की निगाहें रहती हैं। भारत के अलग-अलग सेक्टर्स की 30 प्रमुख, सक्रिय और वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियां इस बाजार का संचालन करती हैं। ये कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।

जर्मनी स्थित ड्यूश बोर्स और सिंगापुर एक्सचेंज बीएसई के स्ट्रेटेजिक पार्टनर के रूप में जुड़े हुए हैं। बीएसई में 5000 से अधिक कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से ये दुनिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज है। पिछले 140 साल से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारतीय बाजार की पूंजी व्यवस्था का निर्धारण कर रहा है।

ऐसे अस्तित्व में आया बीएसई

एशिया के इस सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है। ये सभी 1850 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई (तब बॉम्बे) के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी होती रही। 1875 में इन्होंने अपना 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन' बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया जिसे आज 'बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज' के नाम से जाना जाता है।

Independence Day: करीब 147 साल पुराना है देश में स्टॉक ट्रेडिंग का एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर इतिहास, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

Independence Day: करीब 147 साल पुराना है देश में स्टॉक ट्रेडिंग का इतिहास, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

डीएनए हिंदी: आज यानी सोमवार को पूरा देश एवं दुनियाभर में रहने वाले भारतीय भारत की आजादी का अमृत महोत्सव सेलीब्रेट कर रहे हैं. देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन देश में स्टॉक ब्रोकिंग का इतिहास (Stock Broking History) करीब 147 साल पुराना है. जी हां, बांबे स्टॉक एक्सचेंज एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज (BSE Asia Oldest Stock Exchange) हैं, जिसकी शुरूआत 1875 में शुरू हुर्ह थी. वैसे सिक्योरिटी एवं बांड में कारोबार और शेयर बाजार की नींव तो और भी पहले पडऩी शुरू हो गई थी. आइए आपको भी बताते हैं कि दुनिया के 11वें सबसे बड़े शेयर बाजार (Share Market) के इतिहास के बारे में.

18वीं शताब्दी में पडऩी शुरू हो गई थी नींव
भारत में स्टॉक ट्रेडिंग 18वीं शताब्दी में ही शुरू हो गई थी, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने लोन सिक्योरिटीज में व्यापार करना शुरू किया था. बाद में 1830 के दशक में, बैंक और कॉटन प्रेस के स्टॉक के साथ बॉम्बे में कॉर्पोरेट शेयरों का कारोबार शुरू हुआ. भारत में स्टॉक एक्सचेंज अनौपचारिक रूप से 1850 के दशक में शुरू हुए जब 22 स्टॉक ब्रोकरों ने एक बरगद के पेड़ के नीचे बॉम्बे के टाउन हॉल के सामने कारोबार करना शुरू किया. कंपनी अधिनियम 1850 में पेश किया गया था, जिसके बाद निवेशकों ने कॉर्पोरेट सिक्योरिटीज में रुचि दिखाना शुरू कर दिया.

1875 में बीएसई की हुई शुरुआत
ब्रोकर्स की संख्या लगातार बढ़ती रही और अंतत: 1874 में एशिया और दुनिया में सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर उस जगह पर आ गए जिसे मौजूदा समय में दलाल स्ट्रीट कहा जाता है. नेटिव शेयर एंड स्टॉकब्रोकर्स एसोसिएशन के नाम से जाने जाने वाले एक अनौपचारिक समूह ने 1875 में खुद को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के रूप में संगठित किया. बीएसई एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन एक्ट, 1956 के तहत पहली बार स्थायी मान्यता दी गई थी. 1894 में, बीएसई के बाद अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज आया जिसने कपड़ा मिलों के शेयरों में फोकस किया. 1908 में कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज में बागानों और जूट मिलों के शेयरों का कारोबार शुरू हुआ. 1920 में मद्रास स्टॉक एक्सचेंज स्थापित हुआ.

आजादी के बाद स्टॉक एक्सचेंज
स्वतंत्रता के बाद, बीएसई व्यापार की मात्रा पर हावी था. हालांकि, पारदर्शिता के निम्न स्तर और अविश्वसनीय समाशोधन और निपटान प्रणाली ने वित्तीय बाजार नियामक की आवश्यकता को बढ़ा दिया. सेंसेक्स या संवेदनशील सूचकांक 1986 में शुरू किया गया था, इसके बाद 1989 में बीएसई राष्ट्रीय सूचकांक जारी किया गया था. 1988 में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का जन्म एक गैर-सांविधिक निकाय के रूप में हुआ था, जिसे आगे 30 जनवरी, 1992 को सेबी अधिनियम पारित करके वैधानिक दर्जा दिया गया था.

बीएसई के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक और स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत को पूरा करने और शेयर बाजार में पारदर्शिता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) 1994 में अस्तित्व में आया. एनएसई ने 1994 में होल सेल डेट मार्केट (डब्ल्यूडीएम) सेगमेंट, 1994 में इक्विटी सेगमेंट और 2000 में डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबार करना शुरू किया.

1995 में, बीएसई ने ओपन-फ्लोर सिस्टम से इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम पर स्विच किया. 2015 में, कमोडिटी मार्केट रेगुलेशन को मजबूत करने, घरेलू और विदेशी संस्थागत भागीदारी को सुविधाजनक बनाने और नए उत्पादों को लॉन्च करने के लिए सेबी को फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) के साथ मिला दिया गया था.

देश में कितने हैं स्टॉक एक्सचेंज
देश को आजादी मिलने के बाद, बीएसई के अलावा 23 स्टॉक एक्सचेंज जोड़े गए, लेकिन वर्तमान में, बीएसई और एनएसई के अलावा केवल पांच मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज हैं:

  • कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
  • मगध स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड
  • मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड
  • इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (इंडिया आईएनएक्स)
  • एनएसई आईएफएससी लिमिटेड

वर्तमान में, बीएसई को दुनिया के 11वें सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज के रूप में मापा जाता है, जिसका मार्केट कैप लगभग 1.7 ट्रिलियन डॉलर है. एनएसई का बाजार पूंजीकरण 1.65 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है. बीएसई के प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स को सेंसेक्स कहा जाता है और एनएसई के लिए यह निफ्टी 50 है.

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