किसान फसल फलस प्लेटफॉर्म के जरिए कृषि उपकरण खरीद सकेंगे। साथ ही इस प्लेटफॉर्म के जरिए पता लगाया जा सकेगा कि उनके पास पड़ोस में कितने वेयरहाउस या कोल्ड स्टोर हैं। इससे किसान जरूरत पड़ने पर अपने फल, सब्जियां और अनाज रख सकेंगे। किसानों को कर्ज मिलने में आसानी हो इसके लिए कंपनी ने आईसीआईसीआई बैंक समेत कई बड़े निजी क्षेत्र के बैकों के साथ समझौता भी किया है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के नाबार्ड के साथ भी कंपनी ने भागीदारी की है।
एक कॉल करो, घर बैठे खाद-बीज खेती की सलाह उपकरण मिलेंगे
सलाह (एडवाइजरी) : किसानके खेत में खड़ी फसल में कोई कीड़ा या रोग ट्रेडिंग उपकरणों की किस्म लग गया है तो उसके बारे में फोन करके सलाह ले सकते हैं। किसान को सलाह देने के साथ उसकी मांग पर वांछित दवा बाजार से कम कीमत पर होम डिलीवरी की जाएगी। इस कॉल सेंटर में कृषि विज्ञान में डिग्री होल्डर युवाओं की सेवाएं ली जा रही हैं।
ई-ट्रेडिंग: किसानोंको उनकी फसल या उत्पाद को बाजार से बिकवाने में सहयोग करता है। इसमें बाजार में प्रचलित दर से किसान बेच सकता है और अगर उचित लगे तो संस्था के गोदाम में रखने की सुविधा भी है। ये सुविधा कोटा, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जयपुर में है।
किराएपर उपकरण : संस्थाकी ओर से चाहने पर किसानों को कम किराए दर पर हारवेस्टर, रोटर, ट्रैक्टर अन्य उपकरण उपलब्ध कराते हैं। किराए पर देने के इच्छुक किसान भी संपर्क कर सकते हैं।
मोबाइलएप : एग्रीबोलो के नाम से मोबाइल एप भी जारी किया है, जिसे अपडेट किया गया है। इसमें मंडी भाव, मौसम की जानकारी, व्यक्तिगत सलाह, फ्रेंचाइजी की लिस्ट, विशेषज्ञों की सलाह, फसल उत्पाद की जानकारी, किराए पर लेने-देने की जानकारी, ई-ट्रेडिंग रिक्वेस्ट, सेवा केंद्र और चौपाल की सुविधा शामिल है।
खेती में ड्रोन की एंट्री से GDP की उड़ान होगी तेज, खुलेंगे 5 लाख रोजगार के अवसर
WEF की रिपोर्ट के मुताबिक एडवांस इक्विपमेंट के इस्तेमाल से भारत की एग्री प्रोडक्शन 15 फीसदी बढ़कर 600 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इसमें ड्रोन की भूमिका काफी अहम होगी.
देश के एग्री सेक्टर में ड्रोन की एंट्री से आर्थिक ग्रोथ को फायदा होगा. विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने मंगलवार को कहा कि भारत के एग्री सेक्टर में टेक्नोलॉजी बेस्ड बदलाव से एग्री GDP ग्रोथ एक से डेढ़ फीसदी तक बढ़ेगी. साथ ही कम से कम 5 लाख तक नए रोजगार की भी उम्मीद है.
एग्री प्रोडक्शन 15 फीसदी तक पहुंच सकता है
WEF की रिपोर्ट के मुताबिक एडवांस इक्विपमेंट के इस्तेमाल से भारत की एग्री प्रोडक्शन 15 फीसदी बढ़कर 600 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इसमें ड्रोन की भूमिका काफी अहम होगी. खास बात यह है कि आने वाले कुछ सालों में ड्रोन और उससे जुड़े इक्विपमेंट की इंडस्ट्री में 50 बिलियन डॉलर का निवेश आ सकता है.
ग्लोबल संस्था के मुताबिक अगर सही तरीके से लागू किया गया तो ड्रोन से भारत के एग्री सेक्टर बदलने में मददगार हो सकते हैं. इससे एग्री GDP में एक से डेढ़ फीसदी की बढ़त होगी. साथ ही कम से कम 5 लाख नए रोजगार पैदा हो सकते हैं.
ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं को भी परखा गया
रिपोर्ट में मिलिट्री और सिविलियन टेक्नोलॉजी के कंपोजिशन से डेवलप ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं को भी परखा गया है. इसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी, एनालिटिक्स, डिजिटल फाइनेंसिंग लोकल स्टेकहोल्डर्स के प्रयास पर भी जोर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक एविएशन सेक्टर दुनिया भर में सर्वाधिक रेगुलेशन वाले सेक्टर्स में से एक है. मानव-रहित एविएशन को बढ़ावा देने में भारत के साहसिक एवं सोचे-समझे हुए नजरिये को तमाम स्टेकहोल्डर्स ने पसंद किया है.
WEF (विमान निर्माण एवं ड्रोन-भारत) के प्रोजेक्ट हेड विग्नेश संथानम ने कहा कि इस रेगुलेटरी लैंडस्केप का अधिक लाभ उठाने के लिए ड्रोन को मुख्य कृषि उपकरणों का हिस्सा बनना होगा. ट्रैक्टर, हल, जुताई और कटाई करने वाले उपकरणों के साथ ड्रोन को भी शामिल कर देने से हमारे खेतों को ताकत मिलेगी.
खेती में ड्रोन की एंट्री से GDP की उड़ान होगी तेज, खुलेंगे 5 लाख रोजगार के अवसरWEF की रिपोर्ट के मुताबिक एडवांस इक्विपमेंट के इस्तेमाल से भारत ट्रेडिंग उपकरणों की किस्म की एग्री प्रोडक्शन 15 फीसदी बढ़कर 600 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इसमें ड्रोन की भूमिका काफी अहम होगी.
देश के एग्री सेक्टर में ड्रोन की एंट्री से आर्थिक ग्रोथ को फायदा होगा. विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने मंगलवार को कहा कि भारत के एग्री सेक्टर में टेक्नोलॉजी बेस्ड बदलाव से एग्री GDP ग्रोथ एक से डेढ़ फीसदी तक बढ़ेगी. साथ ही कम से कम 5 लाख तक नए रोजगार की भी उम्मीद है.
एग्री प्रोडक्शन 15 फीसदी तक पहुंच सकता है
WEF की रिपोर्ट के मुताबिक एडवांस इक्विपमेंट के इस्तेमाल से भारत की एग्री प्रोडक्शन 15 फीसदी बढ़कर 600 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इसमें ड्रोन की भूमिका काफी अहम होगी. खास बात यह है कि आने वाले कुछ सालों में ड्रोन और उससे जुड़े इक्विपमेंट की इंडस्ट्री में 50 बिलियन डॉलर का निवेश ट्रेडिंग उपकरणों की किस्म आ सकता है.
ग्लोबल संस्था के मुताबिक अगर सही तरीके से लागू किया गया तो ड्रोन ट्रेडिंग उपकरणों की किस्म से भारत के एग्री सेक्टर बदलने में मददगार हो सकते हैं. इससे एग्री GDP में एक से डेढ़ फीसदी की बढ़त होगी. साथ ही कम से कम 5 लाख नए रोजगार पैदा हो सकते हैं.
ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं को भी परखा गया
रिपोर्ट में मिलिट्री और सिविलियन टेक्नोलॉजी के कंपोजिशन से डेवलप ड्रोन के इस्तेमाल की संभावनाओं को भी परखा गया है. इसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी, एनालिटिक्स, डिजिटल फाइनेंसिंग लोकल स्टेकहोल्डर्स के प्रयास पर भी जोर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक एविएशन सेक्टर दुनिया भर में सर्वाधिक रेगुलेशन वाले सेक्टर्स में से एक है. मानव-रहित एविएशन को बढ़ावा देने में भारत के साहसिक एवं सोचे-समझे हुए नजरिये को तमाम स्टेकहोल्डर्स ने पसंद किया है.
WEF (विमान निर्माण एवं ड्रोन-भारत) के प्रोजेक्ट हेड विग्नेश संथानम ने कहा कि इस रेगुलेटरी लैंडस्केप का अधिक लाभ उठाने के लिए ड्रोन को मुख्य कृषि उपकरणों का हिस्सा बनना होगा. ट्रैक्टर, हल, जुताई और कटाई करने वाले उपकरणों के साथ ड्रोन को भी शामिल कर देने से हमारे खेतों को ताकत मिलेगी.
ट्रेडिंग उपकरणों की किस्मकिसानों के लिए खेती को आसान बनाने के साथ आर्थिक और तकनीकी तौर पर सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से फिनटेक कंपनी बीपीसी ने किसानों की जरूरतों से जुड़ा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सफल फसल लॉन्च किया है। इसकी मदद से छोटे और मझोले किसानों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी।
इस प्लेटफॉर्म पर किसान फल-सब्जियां और अनाज समेत दूसरी फसलें बेच सकेंगे। इसमें खरीदार किसानों को ऑनलाइन भुगतान कर सकेंगे। इसके अलावा जल्द ही किसानों को देश की प्रमुख मंडियों के भाव भी उपलब्ध कराने की योजना है। साथ ही किसानों के हेल्थ चेकअप के लिए मंडियों और पंचायतों में स्वास्थ्य कियोस्क लगाने की भी योजना है।
किसानों को सस्ती दरों पर कृषि लोन मिलने की सुविधा
बीपीसी बैकिंग टेक्नोलॉजी के चेयरमैन अनातोली लॉगीनोव के मुताबिक इस प्लेटफॉर्म से किसानों को सस्ती दरों पर कृषि लोन मिलने की सुविधा है। साथ ही किसानों, खरीदारों, लॉजिस्टिक्स कंपनियों, कृषि उपकरण कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों सहित बीमा कंपनियों को एक जगह पर लाएंगे। इस काम में पंचायतों की भी मदद ली जाएगी।
ग्वार गम वायदा - दिसम्बर 22 (NGGc1)
पुनीत सिक्का द्वारा Investing.com -- हाजिर बाजार में कमजोरी के रुख के अनुरूप व्यापारियों ने अपने सौदों की कटान की जिससे वायदा बाजार में सोमवार को ग्वार गम वायदा की कीमत 389 रुपये.
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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