भारत का पहला क्रिप्टोकरेंसी इंडेक्स IC15 हुआ लॉन्च

Zig Zag indicator in Hindi ||आखिर क्यों करते है जिग जैग इंडिकेटर का उपयोग

आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि जिग जैग (Zig Zag) इंडिकेटर क्या है और इसका उपयोग हम टैक्निकल एनालिसिस करते समय कैसे कर सकते है तथा हमे इससे क्या लाभ मिल सकता है,
Zig zag indicator का उपयोग हमे करना चाहिए या नहीं

क्या है जिग जैग इंडिकेटर (Zig Zag indicator) :-

जिग जैग (Zig Zag) इंडिकेटर का प्रयोग हम चार्ट में टेक्निकल एनालिसिस करते समय प्राइस का ट्रेंड जानने के लिए करते है ।

जैसा की इंडीकेटर के नाम से ही समझ में आ रहा है zig zag, इसी तरह से हमारा शेयर मार्केट भी वर्क करता है यानी कभी आप ने ये देखा की निफ्टी उप ट्रेंड में हो और वो नीचे न आए बस सीधे ही ऊपर ही ऊपर जाती जाए वैसे ही जिग जैग (Zig Zag) इंडिकेटर बड़े टाइम फ्रेम में ट्रेंड सही बताता है छोटे टीम फ्रेम में कभी कभी गड़बड़ हो जाती है।

जिग जैग (Zig Zag) इंडिकेटर कैसे बनता है :

देखिए आप लोगो का मोटिव होना चाहिए इसका उपयोग कैसे करे हम, न की इसका फॉर्मूला क्या है कैसे बनता है अगर आप को सीखना है तो हम हम को बताएंगे इसका सही से उपयोग करना लेकिन जिन लोगो को सिर्फ फॉर्मूला हि देखना है तो उनके लिए Google बाबा है सर्च कर सकते है।

जिग जैग (Zig Zag) इंडिकेटर का उपयोग :

जैसा की आप लोगो को पता ही है शेयर मार्केट में हर एक सेकंड प्राइस बदलता रहता है और हम लोग उसी में ट्रेड करते है तो हमे लॉस न हो इस लिए हमे पहले ट्रेंड को जान लेना चाहिए की ट्रेंड कौन सा चल रहा अगर बड़े टाइम प्रेम संकेतक कैसे काम करता है में डाउन ट्रेंड चल रहा तो हमे स्विंग ट्रेड नहीं करना चाहिए।
वैसे ही अगर zig zag indicator में up ट्रेंड दिखाई दे तो स्विंग ट्रेंडर को शॉर्ट पोजिशन बनाने से बचना चाहिए ।

'/' और '/index.html' को अलग-अलग ट्रैक किया गया

हालांकि www.example.com/ और www.example.com/index.html एक ही पृष्ठ हो सकते हैं, लेकिन वे आपकी रिपोर्ट में दो अलग-अलग प्रविष्टियों के रूप में दिखाई देते हैं. आप अपनी साइट का डिफ़ॉल्ट पृष्ठ निर्धारित करके दोनों पृष्ठों को एक ही मानने के लिए Analytics को कॉन्फ़िगर कर सकते हैं:

  1. वांछित खाते, प्रॉपर्टी और दृश्य पर नेविगेट करें.
  2. दृश्य स्तंभ में, दृश्य सेटिंग पर क्लिक करें.
  3. डिफ़ॉल्ट पृष्ठ फ़ील्ड में, इस डोमेन का डिफ़ॉल्ट पृष्ठ डालें. जब कोई उपयोगकर्ता अपने पता बार में केवल आपकी साइट का डोमेन डालता है तो यही पृष्ठ लोड होता है. उदाहरण के लिए, यदि www.example.com से आपका index.html वेब पृष्ठ लोड होता है तो इस फ़ील्ड में index.html डालें.
  4. लागू करें पर क्लिक करें.

यह उपनिर्देशिका स्तर पर भी काम करता है. दूसरे शब्दों में, जब आप index.html को डिफ़ॉल्ट पृष्ठ के रूप में डालते हैं तो Analytics, example.com/subdir/ और example.com/subdir/index.html को भी उसी पृष्ठ के रूप में समझता है.

PMI क्या है, अर्थव्यवस्था पर कैसे डालता है असर, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी

भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए पीएमआई का आंकड़ा लेते हैं

Purchasing Managers Index (PMI) मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की आर्थिक स्थिति को मापने का एक संकेतक है। आईएचएस मार्किट की ओर से संकलित मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में 55.4 पर रहा जो फरवरी में 57.5 पर रहा था।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश की विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां सोमवार को सात महीने के निचले स्तर पर पहुंच गईं। आईएचएस मार्किट की ओर से संकलित मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मार्च में 55.4 पर रहा जो फरवरी में 57.5 पर रहा था। हालांकि, मार्च में भी विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के चलते कुछ क्षेत्रों में नए सिरे से लॉकडाउन की वजह से संकेतक कैसे काम करता है मांग और उत्पादन में कमी आई है।

PMI क्या है

Purchasing Managers' Index (PMI) मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की आर्थिक स्थिति को मापने का एक संकेतक है। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्‍स को 1948 में अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ सप्लाई मैनेजमेंट (आईएसएम) ने शुरू किया था। यह सिर्फ अमेरिका के लिए काम करती है। जबकि मार्किट ग्रुप दुनिया के अन्‍य देशों के लिए काम करती है। बिजनेस और मैन्युफैक्चरिंग माहौल का पता लगाने के लिए ही पीएमआई का सहारा लिया जाता है। पीएमआई सर्विस सेक्टर समेत निजी क्षेत्र की अनेक गतिविधियों पर आधारित होता है। यह 5 प्रमुख कारकों पर आधारित है। इन पांच प्रमुख कारकों में नए ऑर्डर, उत्पादन, सप्‍लाई डिलिवरी, इन्‍वेंटरी स्‍तर और रोजगार वातावरण शामिल हैं। देश की आर्थिक स्थिति का आकलन PMI के जरिये होता है। इसके जरिये अर्थव्यवस्था के बारे आधिकारिक आंकड़ों से पहले सटीक जानकारी मिलती है, इससे अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सटीक संकेत पहले ही मिल जाते हैं।

कैसे काम करता है PMI

PMI मिश्रित सूचकांक है जिसे मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की स्थिति का आंकलन करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। पीएमआई आंकड़ों में 50 को आधार माना गया है। पीएमआई आंकड़े अगर 50 से ऊपर हैं तो इसे कारोबारी गतिविधियों के विस्तार के तौर पर देखा जाएगा और अगर 50 से नीचे के आंकड़े हैं तो कारोबारी गतिविधियों में गिरावट के तौर पर देखा जाता है। PMI हर माह जारी किया जाता है।

डाटा का इस्तेमाल

भारत में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए पीएमआई का आंकड़ा लेते हैं। संकेतक कैसे काम करता है सर्विस पीएमआई में छह उद्योगों को शामिल करते हैं, जिसमें ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन, बिजनेस सर्विसेज, पर्सनल सर्विसेज, फाइनेंशियल इंटरमीडिएशन, कंप्यूटिंग एंड आईटी और होटल्स संकेतक कैसे काम करता है व रेस्टोरेंट शामिल हैं।

PMI का सीधा मतलब ये समझ सकते हैं कि यह यह किसी खास सेक्टर में आगे की स्थिति का संकेत देता है। इससे आर्थिक गतिविधियों में उछाल आएगा या नहीं, इसका भी पता चलता है। पीएमआई अर्थव्यवस्था में सेंटिमेंट को भी दिखाता है।

Indicators क्या होते है?

Zerodha

और इस तरह टेक्निकल एनालिसिस में इंडीकेटर्स यानि संकेतक का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, ताकि चार्ट पर किसी स्टॉक के बारे में ऐसे संकेत देखे जा सके, जिस से ये पता चल सके स्टॉक के past performance के मुकाबले आज कैसा performance है, और future में कैसे performance कैसा हो सकता है,

Indicators कितने होते है,

इंडीकेटर्स की कोई निश्चित संख्या नहीं है, ट्रेडर्स को को जब कुछ नए पैटर्न समझ में आते है, इसी नए पैटर्न को वे एक इंडीकेटर्स मान कर उसे एक इंडीकेटर्स का नाम दे देते है,

और इसी कारण बहुत सारे नए इंडीकेटर्स बनते जाते है, और किसी एक इन्सान के लिए सारे इंडीकेटर्स को समझना बहुत बड़ा काम बन जाता है,

कोई व्यक्ति सारे इंडीकेटर्स के बारे में समझने की कोशिश करे तो उसका बहुत ज्यादा समय भी ख़राब हो सकता है, और अंत में उसे कुछ लोकप्रिय इंडीकेटर्स पर ही वापस आना पड़ेगा,

इसलिए हमें उन्ही इंडीकेटर्स को समझने की जरुरत है, जो समय के साथ जांचे और परखे (Time Tasted) गए है, ताकि हम भी उन इंडीकेटर्स के सही इस्तेमाल करके फायदा उठा सके,

Indicators के फायदे (Benefits of using Indicators)

इंडीकेटर्स के इस्तेमाल करने से ट्रेडर को होने वाले फायदे कुछ इस प्रकार है –

  1. Price Movementकी समझ – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें किसी स्टॉक के price में होने वाले बदलाव (movement) को अच्छे से समझने बहुत हेल्प मिलता है,
  2. Price के UP और LOW लेवल की संकेतक कैसे काम करता है सुचना – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें किसी स्टॉक के PRICE के ऊपर और नीचे जाने के लेवल को अच्छे से समझने में बहुत हेल्प मिलता है,
  3. TREND की ADVANCE में समझ – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें मार्केट के ट्रेंड का कन्फर्मेशन मिलने के साथ आगे आने वाले ट्रेंड को भी समझने में बहुत हेल्प मिलता है, यानी इंडीकेटर्स से CURRENT TREND की कन्फर्मेशन मिलने के साथ आने वाले TREND को भी समझा जा सकता है,
  4. Confirming Other Technical Tools – इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें technical analysis के दुसरे tools जैसे कि – कैंडलस्टिक पैटर्न, volume और सपोर्ट and रेजिस्टेंस द्वारा दिए जाने वाले signal को भी हम कन्फर्म कर सकते है , और इस से हमें double कन्फर्मेशन मिलता है कि हमें कोई ट्रेड करना चाहिए या नहीं,

और इस तरह इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हम बेहतर ट्रेड ले सकते है,

इंडीकेटर्स के प्रकार (Type of Indicators)

Indicators दो प्रकार के होते है –

  1. Leading Indicators (लीडिंग इंडीकेटर्स )
  2. Lagging Indicators (लैगिंग इंडीकेटर्स)

अब आइये इसे डिटेल में समझने की कोशिस करते है –

1 . Leading Indicators (लीडिंग इंडीकेटर्स)

हिंदी में Lead का का अर्थ होता है – नेतृत्व, और इस तरह लीडिंग इंडीकेटर्स ऐसे इंडीकेटर्स होते है, जो price को लीड करते है,

और ये leading इंडीकेटर्स हमें किसी स्टॉक के भाव में आने वाले तेजी या मंदी (Trend Reversal) की एडवांस सुचना देते है, लेकिन लीडिंग इंडीकेटर्स द्वारा दिए जाने वाले सभी इंडिकेशन यानि signal सही नहीं होते है, और इसलिए हमें पूरी तरह से इंडीकेटर्स के ऊपर भरोसा नहीं करना चाहिए,

लीडिंग इंडीकेटर्स के इस्तेमाल के साथ साथ हमें टेक्निकल एनालिसिस के दुसरे tools को जरुर इस्तेमाल में लेना चाहिए,

Leading Indicators में आने वाले कुछ प्रमुख इंडीकेटर्स है –

  1. RSI (Relative Strength Index )
  2. MACD (Moving Convergence and Divergence)
  1. Lagging Indicators (लैगिंग इंडीकेटर्स)

हिंदी में Lagging का का अर्थ होता है – पिछड़ना, पीछे चलना, और इस तरह lagging इंडीकेटर्स ऐसे इंडीकेटर्स होते है, जो price के पीछे चलते है,

Lagging इंडीकेटर्स मार्केट में चल रहे ट्रेंड को कन्फर्म करने का काम अच्छे से करते है,

और इस तरह ये कहा जा सकता है कि Lagging indicators हमें ट्रेंड के बारे में तब बताता है, जब ट्रेंड आलरेडी मार्केट में बन चूका होता है, ये बस उस ट्रेंड को कन्फर्म करने का काम करता है,संकेतक कैसे काम करता है

चाहे बुलिश ट्रेंड हो या bearish ट्रेंड Lagging इंडीकेटर्स के इस्तेमाल से हमें ट्रेंड के रेवेर्सल का कन्फर्मेशन मिलता है, कि ये ट्रेंड बन संकेतक कैसे काम करता है चूका है,

Lagging Indicators में आने वाले कुछ प्रमुख इंडीकेटर्स है –

Leading Indicators और Oscillators (ओसिलेटर)

सभी Leading indicators को oscillators कहा जाता है, oscillators का अर्थ है – एक सीमा (Boundary) के अन्दर Price ऊपर या नीचे होना, इस ऊपर या नीचे के रेंज को हम oscillation range कहा जाता है,

और इस तरह Leading Indicators को टेक्निकल एनालिसिस के चार्ट में दो वैल्यू (oscillation range) के बीच दिखाया जाता है, जैसे – 0 से 100 के बीच का वैल्यू

और सबसे प्रमुख लीडिंग इंडीकेटर RSI (Relative Strength Index ) इसका सबसे अच्छा example है, RSI को हमेशा 0 से 100 के बीच दिखाया जाता है, ये न तो 0 से नीचे जा सकता है और न 100 से ऊपर,

Momentum (Use in Indicators)

Momentum किसी स्टॉक के price में होने वाले Change का प्रतिशत (Rate) होता है, Momentum ये बताने की कोशिश करता है कि किस Rate से प्राइस में बदलाव हो रहा है,

जैसे – अगर किसी स्टॉक का price एक week में 15 % change हो रहा है, तो इस change को fast momentum कहा जा सकता है,

और इस change के मुकाबले अगर किसी दुसरे स्टॉक में 2 महीने में 15 % price change हो रहा, तो उसे slow momentum कहा जायेगा,

ध्यान देने वाली बात ये है कि – किसी स्टॉक में जितना जल्दी price change देखने को मिलता है, तो इस change को उतना अधिक momentum माना जाता है,

आशा करता हु कि TECHNICAL ANALYSSIS संकेतक कैसे काम करता है के ये टॉपिक, आपको जरुर पसंद आया होगा, और आपसे REQUEST कि आप अपने सुझाव, सवाल और कमेंट को निचे जरुर लिखिए,

भारत का संकेतक कैसे काम करता है पहला क्रिप्टोकरेंसी इंडेक्स हुआ लॉन्च: जानें, IC15 क्रिप्टो इंडेक्स कैसे काम करता है और आपको कैसे मदद करेगा

क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल कैश प्रणाली है। यह एक निजी कंप्यूटर चेन से जुड़ी हुई होती है और कंप्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है। क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है। कई देश इसे लीगल कर चुके हैं।

क्रिप्टोकरेंसी इंडेक्स

भारत का पहला क्रिप्टोकरेंसी इंडेक्स IC15 हुआ लॉन्च

दुनिया भर में तेजी से बढ़ते क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को देखते हुए हाल ही में क्रिप्टो सुपर ऐप क्रिप्टोवायर (CryptoWire) ने देश का पहला क्रिप्टोकरेंसी सूचकांक (Cryptocurrency Index) आईसी15 लॉन्च किया है। हालाँकि, क्रिप्टोकरेेंसी को रेग्युलेट करने के लिए केंद्र सरकार ‘क्रिप्‍टोकरेंसी एंड रेग्‍युलेशन ऑफ ऑफ‍िशियल डि‍जिटल करेंसी बिल 2021′ नाम के विधेयक को संसद के बजट सत्र में पेश करने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बिल ‘कुछ अपवादों’ के संकेतक कैसे काम करता है साथ सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात करता है।

अगर क्रिप्टोवायर के IC15 की बात करें तो यह सूचकांक दुनिया के प्रमुख क्रिप्टो बाजारों (एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध एवं व्यापक रूप से कारोबार करने वाली शीर्ष 15 क्रिप्टोकरेंसी के प्रदर्शन पर नजर रखेगा करेगा। आइए आपको बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी सूचकांक आईसी15 क्या है और यह किस प्रकार से काम करेगा?

कैसे काम करेगा क्रिप्टो इंडेक्स IC15?

सूचकांक आईसी15 में बिटकॉइन, एथेरियम, एक्सआरपी, लाइटकॉइन, बिनांस कॉइन, सोलाना, टेरा और चेनलिंक जैसी क्रिप्टोकरेंसी शामिल हैं। क्रिप्टोवायर ने एक इंडेक्स गवर्नेंस कमेटी (Index Governance Committee) का गठन किया है, जिसमें डोमेन एक्सपर्ट, कारोबारी और शिक्षाविद शामिल हैं। ये मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalization) के मामले में टॉप 400 क्वाइंन्स में से क्रिप्टोकरेंसी का चयन करेंगे।

समीक्षा अवधि के दौरान एक क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार कम-से-कम 90 प्रतिशत होना चाहिए और ट्रेडिंग वैल्यू के मामले में 100 शीर्ष करेंसी में होनी चाहिए। सर्कुलेटिंग मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के मामले में योग्य क्रिप्टोकरेंसी शीर्ष 50 में भी होनी चाहिए। समिति शीर्ष 15 क्रिप्टोकरेंसी का चयन करेगी। सूचकांक का आधार मूल्य 10,000 तय किया गया है और आधार तिथि एक अप्रैल 2018 है।

यह सूचकांक 80 प्रतिशत से अधिक बाजार गतिविधियों की निगरानी करेगा। इस प्रकार, यह संबंधित बाजार की वास्तविक स्थिति को सामने लाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके अलावा, क्रिप्टोवायर की सूचकांक संचालन समिति हर तिमाही में इसे पुनः संतुलित करेगी और उस पर पैनी नजर रखने के अलावा उसे क्रियान्वित करेगी।

क्रिप्टोवायर के प्रबंध निदेशक जिगीश सोनागारा ने बताया, “यह न केवल कमाई से पहले सीखने की बेहतरीन पहल है, बल्कि एक शक्तिशाली टूल है, जो बिजनेस में आपको अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा। हमारा दृष्टिकोण संभावनाओं का मूल्यांकन करने और निर्णय लेने के लिए सभी संभव उपकरण पेश करके बाजार के विकास को सुविधाजनक बनाना और जोखिम को काफी हद तक कम करना है।”

क्या है क्रिप्टोकरेंसी

बता दें कि क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल कैश प्रणाली है। यह एक निजी कंप्यूटर चेन से जुड़ी हुई होती है और कंप्यूटर एल्गोरिदम पर बनी है। क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी देश या सरकार का कोई संकेतक कैसे काम करता है नियंत्रण नहीं होता है। कई देश इसे लीगल कर चुके हैं। क्रिप्टोकरेंसी को आज सबसे आसान और लोकप्रिय तरीका क्रिप्टो एक्सचेंज कहते हैं, इसके जरिए इसे खरीदना आसान हो गया है।

दुनिया भर में सैकड़ों क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज काम कर रहे हैं। भारत में काम कर रहे वजीरएक्स, जेबपे, क्वाइनस्विच कुबेर, क्वाइन डीसीएक्स गो समेत कई एक्सचेंज संचालित है, जहाँ से बिटक्वाइन, इथेरियम, टेथर और डॉजक्वाइन समेत दुनिया भर की डिजिटल मुद्राएँ खरीदी जा सकती हैं।

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