नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) मौद्रिक नीति में उपयोग किया जाने वाला एक उपाय है। इसके जरिये रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में नकदी प्रबंधन के लिये रेपो दर और रिवर्स रेपो दर का उपयोग करता है।

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जमा जुटाने, कर्ज देने की होड़ में जोखिम से बचाव के लिए पर्याप्त कदम नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर नहीं उठा रहे बैंक:रिपोर्ट

मुंबई, आठ नवंबर (भाषा) नकदी की तंग होती स्थिति और कर्ज में दशक के उच्चतम स्तर की 18 प्रतिशत की वृद्धि तथा जमा में कमी के बीच एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि बैंक संपत्ति और देनदारी दोनों स्तरों पर जोखिम से बचाव को लेकर पर्याप्त उपाय नहीं कर रहे हैं।

नकदी की कमी का प्रमुख कारण भारतीय रिजर्व बैंक का मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये बैंकों से अतिरिक्त कोष को वापस नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर लेना है। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 10 महीने से रिजर्व बैंक की संतोषजनक सीमा से ऊपर बनी हुई है। इसको देखते हुए आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पिछले छह महीने में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि की है।

आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट सुपर बेस्ट, अच्छा ब्याज..जरूरत पर जब चाहो निकालो पैसा

फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट सुपर बेस्ट, अच्छा ब्याज..जरूरत पर जब चाहो निकालो पैसा

Update: Sunday, February 20, 2022 @ 5:21 PM

फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) लोगों का सबसे पसंदीदा निवेश का परंपरागत साधन है। सालों से इसने लोगों का भरोसा जीता हुआ है। फिक्स्ड डिपॉजिट में एक दिक्क्त यह है कि जरूरत पड़ने पर समय से पहले अगर आप पैसे निकालते हैं तो आपको प्री क्लोजर चार्ज (Pre Closure Charge) चुकाना होगा। ऐसे एसबीआई का मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट निवेश का सही विकल्प साबित हो सकता है। इसमें निवेशक जब चाहे पैसा निकाल सकता है। एसबीआई मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट (SBI Multi Option Deposit) के निवेशक एटीएम की मदद से भी पैसे निकाल सकते हैं। एसबीआई मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट आपके सेविंग अकाउंट (Savings Account) से जुड़ा होता है। अगर सेविंग अकाउंट में उतने पैसे नहीं हैं] जितना आप निकालना चाहते हैं तो बाकी का बैलेंस एमओडी (MOD) से ट्रांसफर हो जाता है। यह निकासी एटीएम के मदद से भी की जा सकती है। हालांकि, यह 1000 के गुणक में होना जरूरी है।

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एसबीआई की वेबसाइट (SBI Website) पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, जो एलिजिबिलिटी फिक्स्ड डिपॉजिट की है, वही क्राइटेरिया मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट को लेकर है। एसबीआई एमओडी में कम से कम 10 हजार रुपया निवेश किया जा सकता है। उससे ज्यादा 1000 के गुणक में जमा किया जा सकता है। जमा करने के लिए कोई मैक्सिमम लिमिट नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर नहीं है। एमओडी की अवधि की बात करें तो यह कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 सालों के लिए हो सकती है।

अगर मल्टी ऑप्शन डिपॉजिट अकाउंट पर इंट्रेस्ट इनकम (Interest Income) 10 हजार से ज्यादा होगी तो टीडीएस काटा जाएगा। पैन कार्ड डिटेल जमा होने की स्थिति में यह 10 फीसदी और जमा नहीं होने की स्थिति में 20 फीसदी का टीडीएस (TDS) होगा। एमओडी अकाउंट के नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर बदले लोन भी उठाया जा सकता है। इसमें भी नॉमिनेशन की सुविधा होती है। ऑटो रिन्यूएबल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह अकाउंट एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच में ट्रांसफर हो सकता है।

जमा जुटाने, कर्ज देने की होड़ में जोखिम से बचाव के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे बैंक

मुंबईः नकदी की तंग होती स्थिति और कर्ज में दशक के उच्चतम स्तर की 18 प्रतिशत की वृद्धि तथा जमा में कमी के बीच एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि बैंक संपत्ति और देनदारी दोनों स्तरों पर जोखिम से बचाव को लेकर पर्याप्त उपाय नहीं कर रहे हैं। नकदी की कमी का प्रमुख कारण भारतीय रिजर्व बैंक नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर का मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए बैंकों से अतिरिक्त कोष को वापस लेना है। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले 10 नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर महीने से रिजर्व बैंक की संतोषजनक सीमा से ऊपर बनी हुई है। इसको देखते हुए आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिए प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पिछले छह महीने में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि की है।

आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। बैंकों में शुद्ध रूप से अप्रैल, 2022 में औसतन 8.3 लाख करोड़ रुपए की नकदी डाली गई। यह अब करीब एक-तिहाई कम होकर तीन लाख करोड़ रुपए पर आ गई है। इसके अलावा, सरकार ने दिवाली के सप्ताह में अपने नकद नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर शेष का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया है और इसके परिणामस्वरूप शुद्ध एलएएफ (नकदी समायोजन सुविधा) में सुधार हुआ है। इसके अलावा सरकार और निजी क्षेत्र के बोनस भुगतान से भी मदद मिली।

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अब विदेशी फंड लेने की अनुमति नहीं होगी राजीव गांधी फाउंडेशन को


नई दिल्ली । सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले (Headed by Sonia Gandhi) राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi नो डिपॉजिट और डिपॉजिट बोनस के बीच मुख्य अंतर Foundation)को अब विदेशी फंड लेने की (To Take Foreign Funds) अनुमति नहीं होगी (Will Not be Allowed) । केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजीव गांधी फाउंडेशन का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस विदेशी फंडिंग नियमों के उलंघन के चलते रद्द कर दिया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जांच के लिए साल 2020 में एक कमेटी भी गठित की थी। ये निर्णय उसी जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है।

गौरतलब है कि राजीव गांधी फाउंडेशन 1991 में बनाया गया था। इस फाउंडेशन ने कई साल तक स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिलाओं, बच्चों और शिक्षा सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम किया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं, जबकि अन्य ट्रस्टियों में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हैं।

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