स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए आपको ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की आवश्यकता होती है।

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[Stock Trading] What is Trading in Hindi | Types of Trading in Stock Market

हेल्लो दोस्तों, आज हम इस पोस्ट में जानगे की Trading kya hai और Stock Trade meaning in Hindi क्या होता है। आज के समय Share Market की तरफ सभी लोगो का ध्यान attract हो रहा है। जिसके चलते सभी लोग बिना जानकारी के इस Share Market Trading में कूद पड़ते है और अपना सारा पैसा गवां देते है। क्युकी उनको ये ही नही पता होता है की investing and Trading difference kya hai। लेकिन आज हम इस पोस्ट में What is Trading in Hindi और Trading Meaning कैसे स्विंग ट्रेडिंग काम करता है in Hindi क्या होता है और All Types of Trading in Stock Market इसके बारे में विस्तार से जानेगे।

ऐसे में यदि आपको नही पता की trade meaning in Hindi है तो आप हमारे साथ इस पोस्ट में शुरू से लेकर अंत तक जरुर बने रहे। जिससे की हम आपको आसानी से समझा सकेगे की Share Market Trading kya hota hai जिससे की आप आसानी से Trading कर सकोगे।

What is Trading in Hindi – Share Market Trading kya hai

यहां हम जानते है के Trading Ka Matlab किसी भी वस्तु को कम दाम पर खरीद कर उसको उस्चित दाम पर बेच कर उससे प्रॉफिट कमाना हो Trading कहलाता है। Trading Purpose अपने Invest किये हुए money के बदले में उससे Profit कमाना होता है। इस प्रक्रिया को ही हम Trading kehte hai । यदि हम इसको आसान भाषा में समझे जब भी आप Share Market Trading करते हो तो आप उसमे अपने खरीदते हो और उसके बाद आप उसको प्रॉफिट के साथ बेच देते हो, जिसके हम Trading ke nam से जानते है।

Trading जिसे हम आसान शब्दों में हिंदी में कहे तो इसे “व्यापार” कहा जाता है। यानी कि किसी वस्तु या सेवा को खरीद के रेट बढ़ने पर बेच के मुनाफा कमाना।

Trading meaning in Hindi

Stock Trade meaning in Hindi

Trading meaning शेयर को Low Price पर Buy कर उसको तब तब अपने पास रखे जब तक की उसके दाम न बढ़ जाये और उसके बाद आप उसको उचित दाम पर बेच कर उससे Profit Book करते है, जिसे हम Trading kha jata hai .

जब भी आप Tradingकरते है तो Share Trading करते समय सबसे पहले आपको किसी न किसी company Shares आपको Low Price में Buy करने पड़ते है। जब आप Shares Buy कर लेते कैसे स्विंग ट्रेडिंग काम करता है है तो आपके द्वारा ख़रीदे हुए Shares आपके Demat Account में आ जाते है और ये तब तक आपके demat account में पड़े रहते है जब तक की आप अपने Shares को बेच नही देते है। ऐसे में जब आपके Share Price बढ़ जाये तब आप उसको बेच कर उससे अपने लिए Profit book कर सकते है ऐसे में आपको शेयर खरीदने और बेचने के लिए demat और Trading account की आवश्कता होता है जिसके बिना पा Trading नही कर सकते है।

Trading kitne parkar ka hota कैसे स्विंग ट्रेडिंग काम करता है hai – Types of Stock Trading in Hindi

यदि आपने Stock Trading करना चाहते है लेकिन आपको नही पता की Trading kitne parkar की होती है। तो आप कैसे स्विंग ट्रेडिंग काम करता है हमारे द्वारा बताये गये निम्नलिखित points को step by step follow कर सकते है। जिससे की हम आपको आसानी से समझा सकेगे की Trading Types क्या क्या है :-

Share कैसे स्विंग ट्रेडिंग काम करता है market me Trading ऐसा है जैसे हम कुछ खरीद और बेचकर लाभ कमा रहे हैं। उसी तरह शेयर बाजार में कमोडिटी के बजाय कंपनियों के शेयरों को खरीदने और बेचने से मुनाफा होता है। Trading अवधि 1 वर्ष है।

ट्रेडिंग का अर्थ है किसी भी वस्तु या सेवा को कम कीमत पर खरीदना और फिर उस उत्पाद या सेवा की कीमत बढ़ने पर उसे बेचना। Trading का मुख्य उद्देश्य किसी भी वस्तु या सेवा को खरीदकर कम समय में लाभ कमाना है।

Stock Trading के लिए एक Trading Account और एक Bank Account होना बहुत जरूरी है। क्योंकि उनके बिना आप Trading नहीं कर सकते। यदि आपके पास यह है तो अब आपको Demat Account की मदद से Share Market के शेयर कम कीमत पर खरीदने होंगे और जब इस शेयर की कीमत बढ़ जाती है तो आपको इसे अधिक कीमत पर बेचकर लाभ कमाने की आवश्यकता होती है।

[2023]शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग क्या होता है? Trading vs Investing in Hindi

यदि आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग क्या होता है? जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के बारें में आसान शब्दों में बेहतर ढ़ंग से समझाया गया है. लेकिन जब तक इस आर्टिकल को पूरा नहीं पढेंगे तब तक समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए उम्मीद है की आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़कर, अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे.

trading aur investing kya hai aur dono me kya antar hai?

शेयर मार्केट में दिलचस्वी रखने वाले नए निवेशक हमेशा इस बात को लेकर कंफ्यूजन में रहते हैं की शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग क्या होता है. तो चलिए सबसे पहले जानते हैं की शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग क्या है?

ट्रेडिंग क्या होता है? What’s Trading in Stock Market Hindi

Table of Contents

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग क्या है? इसे जानने से पहले हमें शेयर मार्केट क्या है? यह जानना ज़रूरी है, तो “जहाँ पर कंपनियों के शेयर्स अथवा हिस्सेदारी की ख़रीद या बिक्री होती है उसे शेयर मार्केट(Share Market) या शेयर बाजार कहते हैं.”

अब बात आती है ट्रेडिंग क्या होता है? अगर आसान शब्दों में समझें की ट्रेडिंग का क्या मतलब होता है तो किसी भी वस्तु की सेवा का ख़रीद और बिक्री करके मुनाफ़ा कमाना ही ट्रेडिंग कहलाता है. यदि दूसरे शब्दों में समझें तो शेयर मार्केट में किसी भी कंपनी के शेयर्स को एक दिन से एक वर्ष तक होल्ड करके रखने की प्रक्रिया को ट्रेडिंग कहते हैं.

trading

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं? Types of Trading in Stock Market Hindi

स्टॉक मार्केट(Stock Market) में ट्रेडिंग को मुख्यतः चार पार्ट में डिवाइड किया गया है.

  1. इंट्राडे ट्रेडिंग
  2. स्कैल्पिंग ट्रेडिंग
  3. स्विंग ट्रेडिंग
  4. पोजिसनल ट्रेडिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? What’s Intraday Trading in Hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? शेयर मार्केट में जब किसी स्टॉक को एक दिन के लिए ख़रीदा और बेचा जाता है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) कहा जाता है, इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको एक ही दिन के अंदर स्टॉक को ख़रीदना और बेचना पड़ता है अगर आपने इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी एक ही दिन में नहीं बेचा तो आपका ब्रोकर उसे बेच देगा फिर चाहे आपको मुनाफ़ा हुआ रहे या फिर नुकसान. केवल एक दिन में ख़रीदने और बेचने की वजह से इसे डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है, इसमें रिस्क और मुनाफ़ा दोनों ही बहुत ही ज्यादा होता है.

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में क्या अंतर है? Trading vs Investing in Hindi

अगर बहुत ही सरल शब्दों में समझें तो ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में मुख्य अंतर यही होता है की ट्रेडिंग में किसी भी शेयर को बहुत ही शार्ट टर्म के लिए ख़रीदा और बेचा जाता है और इन्वेस्टिंग में किसी कंपनी के शेयर को लॉन्ग टर्म के लिए ख़रीदा और बेचा जाता है. इसके अलावा भी आइये जानते है ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में क्या फ़र्क होता है?

ट्रेडिंग इन्वेस्टिंग
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कम समय के लिए होता है जैसे- कुछ मिनट, कुछ घंटे, एक दिन, कुछ हफ़्तों या फिर एक वर्ष तकशेयर मार्केट में इन्वेस्टिंग लॉन्ग टर्म के लिए होता है जैसे- एक वर्ष से कई सालों तक
शेयर मार्केट के किसी भी स्टॉक में ट्रैड करने के लिए स्टॉक बहुत ही कम पैसों में मिल जाता है.इन्वेस्टिंग में किसी शेयर्स को पूरा ख़रीदना पड़ता है क्योंकि वह लंबे समय तक होल्ड पर होता है.
ट्रेडिंग में किसी भी स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस करना होता है जबकिइन्वेस्टिंग में किसी भी स्टॉक का फंडामेंटल एनालिसिस करना पड़ता है.
ट्रेडिंग में ट्रेडर बहुत ही कम समय में बहुत ही ज्यादा पैसा कमाते है.इन्वेस्टिंग में इन्वेस्टर को ज्यादा रिटर्न पाने के लिए लंबे समय तक शेयर को होल्ड करके रखना पड़ता है.
इसमें जितना कम समय में अच्छा मुनाफ़ा होता है उतने ही कम समय में पैसा भी डूब जाता है. यानी रिस्क ज्यादा होता है.इसमें इन्वेस्टर लॉन्ग टर्म के लिए किसी भी स्टॉक को होल्ड करके रखता है इसलिए पैसे डूबने का रिस्क बहुत ही कम हो जाता है.
ट्रेडिंग में कम समय के अन्दर किसी भी स्टॉक को ख़रीदने और बेचने वालों को ट्रेडर कहा जाता है.इन्वेस्टिंग में लंबे समय तक किसी भी स्टॉक को होल्ड रखने वालों को इन्वेस्टर कहा जाता है.

rsi indicator

RSI –Relative strength index शेयर्स की इंटरनल पॉवर को दर्शाता है इस स्ट्रेंथ को दर्शाने के लिए वो एक निश्चित रेंज के बिच में ओसिलेट करता रहता है याने की घूमता रहता है इसके कारन RSI –Relative strength index को एक मोमेंटम ओसिलेटर इंडिकेटर भी कहा जाता है.

RSI ० से लेकर १०० के स्तर के बिच में घूमता रहता है. RSI के मूल्य के आधार पर शेयर में खरीदी या बिकवाली के संकेत मिलते है. जैसे की अगर RSI ०-३० के बिच है तो शेयर ओवरसोल्ड हो चूका है और इसमें ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है इसके संकेत मिलते है.

लेकिन इस बात का ख्याल रखे की अगर लम्बी समय अवधि के लिए ये ०-३० के बिच रहे तो इसमें और गिरावट आ सकती है क्यूंकि RSI ० से निचे नहीं जा सकता और लम्बी समय अवधि के लिए ०-३० के बिच रहने का मतलब शेयर में और गिरावट आ सकती है ये हो सकता है. ऐसी स्थिति में शेयर की खरीदी की बजाये बिकवाली के मौके आपको ढूंढने चाहिए.

RSI –Relative strength index Divergence का ट्रेडिंग में उपयोग:

जिस प्रकार हम RSI जिस अंको के बिच घूमता है उससे शेयर खरीद करे या बिकवाली करे ये जान सकते है उसी तरह हम RSI Divergence का उपयोग करके शेयर में खरीदी करे या बिकवाली करे ये जान सकते है.

अगर किसी शेयर का भाव ऊपर की तरफ बढ़ता जा रहा है लेकिन RSI स्ट्रेंथ नहीं बता रहा और निचे की तरफ ही रहता है तो इसे टेक्नीकल एनालसिस की भाषा में डायवरजन्स कहते है.

ऐसी स्थिति में अगर आपको केंडलस्टिक चार्ट पैटर्न में बेरिश केंडल दिख जाए तो आपको कन्फर्मेसन मिल जाता है और आप शेयर में बिकवाली कर सकते है.

उसी प्रकार अगर शेयर का भाव गिर रहा है लेकिन RSI ऊपर की तरफ ही रहता है ज्यादा निचा नहीं जा रहा है ऐसी स्थिति में अगरे आपको कोई बुलिश पैटर्न चार्ट पर दिख जाए तो आप शेयर में खरीदी कर सकते है.

इस प्रकार आप पॉजिटिव डायवरजन्स और नेगेटिव डायवरजन्स का उपयोग ट्रेडिंग में कर सकते है जो की काफी मजबूत संकेत होता है.

RSI Indicator in hindi का ट्रेडिंग में कैसे उपयोग करे

इंट्राडे ट्रेडिंग , स्विंग ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट याने की लम्बी अवधि के निवेश के लिए आप RSI का उपयोग टेक्नीकल एनालिसिस के लिए कर सकते है.

किसी भी शेयर को खरीदते समय हमेशा ध्यान रखे की RSI की रीडिंग अच्छी हो आप RSI –Relative strength index के डायवरजन्स का उपयोग करके भी शेयर चुनने के लिए रणनीति बना सकते है. जब कभी अगर आप केंडलस्टिक चार्ट में डायवरजन्स देखे तो आप इसका उपयोग करके खरीदी और बिकवाली कर सकते है

अगर है तो आप Positive Divergence खरीदी कर सकते है Negative Divergence है तो आप बिकवाली कर सकते है.

काफी लोग ये नहीं जानते की RSI के भी डायवरजन्स होते है. वो सिर्फ MACD का ही डायवरजन्स के लिए उपयोग करते है.

आप सपोर्ट और रेसिस्टेंट लेवल निकाल ने के लिए भी आर.एस.आय का उपयोग कर सकते है.

स्विंग ट्रेडिंग के लिए स्टॉक कैसे चुने?

बाजार की दिशा,

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading Kya Hai) करने के लिए कुछ ट्रेलर मार्केट के Trend को फॉलो करते हैं ।

जो कि एक अच्छी बात है तथा ट्रेंड को फॉलो करने के साथ-साथ हमें कंपनी के परफॉर्मेंस उनकी खबरों को भी अपने नजर में रखना चाहिए ताकि कुछ गलत न्यूज़ आने से अपना प्रॉफिट बुक कर सकें और अपना पोजीशन काट सकें।

तरलता या Liquidity

liquidity एक ट्रेडर के लिए एक अच्छा पैमाना हो सकता है क्योंकि जिस शेयर में अधिक खरीदी बिक्री होती है वहां positions के फसने या नुकसान का chance बहुत ही कम होता है तथा हम अपने Share को आसानी से खरीद व बेच कर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं ।

अन्य स्टॉक के साथ तुलना,

स्टॉक की तुलना हम जिस शेयर को खरीद रहे हैं उसके सेक्टर के अन्य स्टाक के साथ शेयर की तुलना करते हैं जिससे हमें सेक्टर के बेस्ट स्टॉक प्रात हो जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी

अगर आप एक अच्छा ट्रेडर (Swing trading kya hai)बनना चाहते हैं तो आप अपनी ट्रेडिंग जर्नी में एक स्ट्रैटेजी को अच्छी तरह से फॉलो करें ।

ताकि आप अपने निवेशित राशि पर अच्छा अच्छा खासा रिटर्न प्राप्त कर सकें ।
एक सही स्विंग ट्रेडिंग रणनीति से एक ट्रेडर 5 से 10 परसेंट रिटर्न एक स्टॉक से कुछ ही दिनों में प्राप्त कर सकता है।

देखने में यह बहुत छोटा मुनाफा हो सकता है लेकिन कुछ दिनों कुछ हफ्तों में इतना मुनाफा सही है।

इसी तरह बढ़ता हुआ लाभ लेने के लिये ट्रेडिंग के अन्य रूपों में 7-8 % की तुलना में स्टॉपलॉस 2-3% होना चाहिए इसका मतलब यह है कि risk riward resio 1:2 या 1:3 होना चाहिए।

स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी निम्नलिखित है:-

चार्ट पेटर्न स्ट्रैटेजी

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस
हेड एंड सोल्डर पैटर्न
डबल टॉप व ट्रिपल टॉप पैटर्न
डबल बॉटम व ट्रिपल बॉटम पैटर्न
इनवर्टेड हेड एंड सोल्डर
कप एंड हैंडल
असेंडिंग ट्रेंगल व डिसेंडिंग ट्रेंगल

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे व नुकसान

Swing Trading के फायदे

कम समय में प्रॉफिट मिल जाता है।

कम प्रॉफिट का टारगेट होने के कारण टारगेट हिट होने की संभावना बढ़ जाती है।

स्टॉक में एंट्री करने के लिए स्टॉक के गिरने का इंतजार करना नहीं पड़ता।

स्टॉक के फंडामेंटल स्ट्रांग होने के कारण नुकसान होने की संभावना कम रहती है

यह एक कम तनाव वाली strategy है।

अगर आप शेयर बाजार में नए हैं तो इसको आप ट्राई कर सकते हैं।

Swing Trading के नुकसान

छोटे अवधि में ही स्टॉक से प्रॉफिट प्राप्त कर बाहर निकल जाने के कारण बड़ा प्रॉफिट नहीं मिल पाता है।

स्टॉक से जुड़ी रोजाना अच्छी व पूरी खबर आने के कारण स्टॉक में उतार-चढ़ाव व, गैप अप और गेप डाउन का खतरा रहता है।

ट्रेडिंग करने वालों को धैर्य के साथ स्टॉक को पकड़ कर रखे रहने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

Demat और Trading अकाउंट में क्या फर्क होता है? स्टॉक ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो समझ लें ये कैसे होते हैं अलग

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं.

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शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपके पास इसके लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट रखना स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए सबसे पहली शर्त है. इसके अलावा एक ट्रेडिंग अकाउंट भी है, जिसकी जरूरत आपके इन्वेस्टमेंट नेचर के हिसाब से पड़ती है. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट दो अलग-अलग चीजें होती हैं. डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है जिसमें आप अपने असेट या शेयर को रख सकते हैं, वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट से आप ट्रांजैक्शन कर सकते हैं. इनका फर्क, इनका काम और इनका रोल समझना जरूरी है.

Demat Account क्या होता है?

डीमैट अकाउंट ऐसा अकाउंट होता है, जहां आप अपने शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होल्ड करके रख सकते हैं. डीमैट अकाउंट फिजिकल शेयर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल देता है. डीमैट अकाउंट खोलने पर आपको एक एक डीमैट नंबर दिया जाता है जिससे आप अपना ट्रेड उसमें सेटल कर सकते हैं.

इसका काम कुछ-कुछ बैंक अकाउंट जैसा होता है, जहां आप अपना पैसा डिपॉजिट और विदड्रॉ कर सकते हैं. इसी तरह इस अकाउंट में सिक्योरिटी रखी जाती है और जरूरत पड़ने पर डेबिट और क्रेडिट किया जाता है.

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास कोई शेयर हो, ऐसा कोई जरूरी नहीं है. आपके अकाउंट में ज़ीरो बैलेंस हो तो भी कोई दिक्कत नहीं है.

ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है?

डीमैट अकाउंट के उलट अगर आपको स्टॉक ट्रेडिंग करनी है तो आपको इसके लिए ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत पड़ेगी. स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना हो तो आप इस अकाउंट से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रेडिंग कर सकते हैं.

1. डीमैट अकाउंट आपके शेयर और असेट को डिमैटिरियलाइज्ड फॉर्म में रखने वाला अकाउंट होता है, जबकि ट्रेडिंग अकाउंट को आपके बैंक और डीमैट अकाउंट के बीच का लिंक माना जा सकता है.

2. डीमैट अकाउंट जहां बस असेट स्टोर करने के लिए खुलवाया जाता है, इससे कोई ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता. वहीं, ट्रेडिंग अकाउंट ट्रेड ट्रांजैक्शन करने के काम आता है.

3. डीमैट अकाउंट पर इन्वेस्टर्स को सालाना चार्ज देना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट आमतौर पर फ्री होता है, लेकिन चार्ज कंपनी पर कैसे स्विंग ट्रेडिंग काम करता है भी निर्भर होता है कि वो आपसे चार्ज लेगी या नहीं.

डीमैट अकाउंट के बिना ट्रेडिंग अकाउंट, और ट्रेडिंग अकाउंट के बिना डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?

आमतौर पर डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट एक साथ ही खोले जाते हैं. स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए ये दोनों ही अकाउंट जरूरी है. जब एक निवेशक शेयरों में ट्रेड करता है तो ये शेयर स्टोर करने के लिए उसे डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ती है.

हालांकि, अगर ट्रेडर बस ट्रेडिंग कर रहा है, जैसे कि वो इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, फ्यूचर ट्रेडिंग, ऑप्शंस ट्रेडिंग और करेंसी ट्रेडिंग कर रहा है, तो वो ट्रेडिंग अकाउंट से भी हो जाता है, इसमें डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं पड़ती है.

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