अब आप कहेंगे ठीक बात है - रुपये के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने पर आयात महंगा हो जाता है, लेकिन निर्यात में भी तो फायदा होता है। इसका फायदा भी तो मिलता है तो डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने के खराबी के तौर पर क्यों देखा जाए? इसका जवाब यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू खाता घाटे वाली व्यवस्था है। भारत में आयात, निर्यात से अधिक होता है। यानी भारत से कॉफी, मसाले जैसे सामान और तकनीकी सेवाओं का जितना निर्यात होता है, उससे कई गुना अधिक आयात होता है। भारत में विदेशी व्यापार हमेशा नकारात्मक रहता है। इसका मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने पर भारत को मुनाफा कम, आम आदमी को हर्जाना ज्यादा भुगतना पड़ेगा।

रुपया गिर नहीं रहा बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा : निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है.

वाशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है. रुपया बाकी देशों की करेंसी के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. भू-राजनीतिक दवाब भी इसके लिए जिम्मेदार है. इससे निपटने के उपाय किए जा रहे हैं. वित्त मंत्री विश्व बैंक की बैठक में भाग लेने के लिए वाशिंगटन की आधिकारिक यात्रा पर हैं.

#WATCH | USA: Finance Minister Nirmala Sitharam responds to ANI question on the value of Indian Rupee dropping against the Dollar as geo-political tensions continue to rise, on measures being taken to tackle the slide pic.twitter.com/cOF33lSbAT

Explainer : डॉलर को छोड़ अन्‍य करेंसी के मुकाबले मजबूत हुआ है भारतीय रुपया, यूरो-पाउंड भी पड़े कमजोर

डॉलर के मुकाबले रुपये इस साल सभी करेंसी कमजोर पड़ी हैं.

डॉलर के मुकाबले रुपये इस साल सभी करेंसी कमजोर पड़ी हैं.

डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की कमजोरी पर इस समय सरकार दबाव और बचाव की मुद्रा में आ गई है तो विपक्ष हमलावर हो रहा है. . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 24, 2022, 15:00 IST
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 22 अक्‍तूबर, 2022 को 82.52 के भाव पर चल रहा था.
इस साल जनवरी में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वजन 73.81 के स्‍तर पर था.
यानी इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा पर 8.71 रुपये का बोझ बढ़ा.

नई दिल्‍ली. कोरोनाकाल जैसे गंभीर आर्थिक संकट से बाहर निकलकर तेज विकास हासिल करने की तरफ बढ़ रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की राह में इस समय सबसे बड़ा रोड़ा अमेरिका डॉलर बना हुआ है. तमाम ग्‍लोबल और लोकल परिस्थितियों की वजह से भारतीय मुद्रा इस समय दबाव में चल रही है और डॉलर के मुकाबले अपने ऐतिहासिक निचले स्‍तर पर है. लेकिन, सिर्फ इस स्थिति को अगर ग्‍लोबल कैनवास पर देखें तो रुपया सिर्फ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ही कमजोर हुआ है, जबकि दुनिया की अन्‍य बड़ी करेंसियों को उसने साल 2022 में जबरदस्‍त पटखनी दी है.

Explainer: 'रुपया गिर नहीं रहा- डॉलर मज़बूत हो रहा' वित्तमंत्री के इस बयान पर क्या कहते हैं आंकड़े और एक्‍सपर्ट?

भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर है.

भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर है.

अमेरिकी डॉलर इस समय करीब 22 साल के उच्‍चतम स्‍तर पर ट्रेडिंग कर रहा और इसके मुकाबले दुनियाभर की करेंसी बौनी नजर आ रही ह . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 17, 2022, 17:35 IST
अमेरिकी डॉलर इस समय 22 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है.
दुनियाभर में होने व्‍यापारिक लेनदेन में 40 फीसदी हिस्‍सेदारी डॉलर की रहती है.
अगर डॉलर में 10 फीसदी की मजबूती आई है तो महंगाई 1 फीसदी बढ़ जाएगी.

नई दिल्‍ली. वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले कमजोर होती भारतीय मुद्रा का बचाव करते हुए कहा था- ‘रुपया गिर नहीं रहा- डॉलर मज़बूत हो रहा’. उनके इस बयान के बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है अलग-अलग मायने निकाले गए और विपक्ष ने रुपये की अनदेखी और बढ़ते आर्थिक दबाव को लेकर निशाना भी साधा था. हालांकि, वित्‍तमंत्री के बयान को बड़े कैनवास पर देखा जाए तो यह काफी हद तक सही भी नजर आता है.

हक़ीक़त: रुपया गिरा या डॉलर मज़बूत हुआ!

doller vs rupee

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। आज 1 डॉलर तब मिलेगा जब 82.38 रुपये दिए जाएंगे। आप कहेंगे कि डॉलर से आप के ऊपर तो कुछ भी फर्क नहीं पड़ता तो चिंता की क्या बात है? आपका 100 रुपया आज भी 100 रुपया है। उससे उतना ही सामान और सेवा खरीदी जा सकती है जितनी पहले मिलती थी तो चिंता की क्या बात? लेकिन यहीं आप ग़लत हैं। हकीकत यह है कि जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो भले ही आप चिंता करे या न करे,भले ही आपने जीवन में कभी डॉलर न देखा हो, मगर आप और हम जैसों आम लोगों पर ही असर पड़ता है।

भारत में सब कुछ तो पैदा नहीं होता। अपनी कई बुनियादी जरूरतों के लिए भारत विदेशों पर निर्भर है। विदेशी व्यापार डॉलर में होता है। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को ही देखिये। भारत की जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी बाहर से आयात होता है। जब तेल की खरीदारी डॉलर में होगी तो इसका मतलब है कि बाहर से तेल मंगाने पर आपको ज़्यादा रुपया देना होगा। इससे क्या होगा। आपके देश में तेल के दाम बढ़ंगे। तेल यानी पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़गें तो आपको ज़्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा। साथ ही अन्य सामानों पर भी महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो इसका सबसे ज्यादा असर उन्हीं 90 प्रतिशत कामगारों पर पड़ेगा जो महीने में 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। यानी डॉलर के मुकाबले जब रुपया गिरता है तो आम आदमी की बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है कमर तोड़ने वाले महंगाई अर्थव्यवस्था के गहरी जड़ों में समाने लगती हैं।

'रुपया नहीं गिर रहा, डॉलर मजबूत हो रहा है', अमेरिका में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया तर्क

डीएनए हिंदी: भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) लगातार गिरने का नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ये 82.32 के स्तर पर पहुंच गया है. इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लगातार गिरते रुपये पर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि रुपया गिर नहीं रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है. वित मंत्री इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं. वाशिंगटन डीसी में मीडियो को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा कि अन्य देशों की करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा है कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है. दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में इन्फ्लेशन कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है है. विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है. मैं बार-बार कह रही हूं कि इन्फ्लेशन भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है.’

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