Delhi MCD Election 2022: Rama Vinit Toaks

असमानता दूर करने में फिसड्डी साबित हुआ भारत, 157 देशों की सूची में 147वें स्थान पर

सामाजिक खर्च, कर और श्रम अधिकार संबंधी नीतियों के आधार पर की गई रैंकिंग.

Published: October 9, 2018 5:04 PM IST

असमानता दूर करने में फिसड्डी साबित हुआ भारत, 157 देशों की सूची में 147वें स्थान पर

नई दिल्ली. असमानता को दूर करने के मामले में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन काफी खराब है. मंगलवार को जारी एक रपट के अनुसार असमानता को दूर करने की प्रतिबद्धता के मामले में भारत काफी पीछे है. इस मामले में 157 देशों की सूची में भारत 147वें स्थान पर है. डेनमार्क इस सूची में शीर्ष पर है. ऑक्सफैम (Oxfam) तथा डेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल (Development Finance International) द्वारा तैयार असमानता कम करने की प्रतिबद्धता के सूचकांक (Inequality index) में कहा गया है कि नाइजीरिया, सिंगापुर, भारत और अर्जेंटीना जैसे देशों का प्रदर्शन इस मामले में काफी खराब है.

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इस सूचकांक में 157 देशों को सामाजिक खर्च, कर और श्रम अधिकार संबंधी उनकी नीतियों के आधार पर रैंकिंग दी गई है. रपट में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया, नामीबिया और उरुग्वे जैसे देश असमानता दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं. वहीं भारत और नाइजीरिया जैसे देशों का प्रदर्शन इस मामले में काफी खराब है. अमीर देशों की बात की जाए तो अमेरिका ने असमानता को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है. रैकिंग की बात की जाए, तो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक संरक्षण पर खर्च के मामले में एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता भारत 151वें, श्रम अधिकारों और मजदूरी के मामले में 141वें और कराधान नीतियों के मामले में 50वें स्थान पर है.

आठ दक्षिण एशियाई देशों में भारत छठे स्थान पर है. सार्वजनिक खर्च और श्रम अधिकार के मामले में यह छठे स्थान पर है. हालांकि कर नीति में प्रगतिशीलता के मामले में भारत शीर्ष पर है. इस सूची के शीर्ष दस देशों में जर्मनी दूसरे, फिनलैंड तीसरे, आस्ट्रिया चौथे, नॉर्वे पांचवें, बेल्जियम छठे, स्वीडन सातवें, फ्रांस आठवें, आइसलैंड नवें और लग्जमबर्ग दसवें स्थान पर है. उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चीन सूची में 81वें, ब्राजील 39वें और रूस 50वें स्थान पर है.

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यूएनडीपी की मानव विकास रिपोर्ट में भारत 119वें स्थान पर

मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में खराब सामाजिक बुनियादी ढांचा में कारण भारत मानव विकास सूचकांक के मामले में 119वें पायदान पर है.

  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2010,
  • (अपडेटेड 05 नवंबर 2010, 2:10 PM IST)

मजबूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में खराब सामाजिक बुनियादी ढांचा में कारण भारत मानव विकास सूचकांक के मामले में 119वें पायदान पर है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के ‘मानव विकास रिपोर्ट 2010’ में 169 देशों और क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इस सूची में एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता भारत चीन (89वें) और श्रीलंका (91वें) से भी पीछे है.

आय सूचकांक में भारत की स्थिति में 10 पायदान का सुधार हुआ है लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में पड़ोसी देश बांग्लादेश तथा पाकिस्तान से भी एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता काफी पीछे है.

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में शून्य से एक अंक के पैमाने में 0.939 अंक के साथ नार्वे सर्वोच्च पायदान पर है.

नार्डिक देश नार्वे के बाद आस्ट्रेलिया (0.937 अंक) दूसरे स्थान पर तथा न्यूजीलैंड 0.907 अंक के साथ तीसरे पायदान पर है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका 0.902 अंक के साथ चौथे पायदान पर है.

एचडीआई में भारत की स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्य आर्थिक सुलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि देश का लक्ष्य कुल मानव विकास होना चाहिए न कि केवल आर्थिक वृद्धि.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और आय स्तर में वृद्धि शिक्षा, स्वास्थ्य और लिंग समानता जैसे मानव विकास पहल के लिये जरूरी है.

वर्ष 2005 से पांच साल की तुलना के आधार पर भारत की स्थिति सूचकांक में एक अंक सुधरी है. बहरहाल, यूएनडीपी ने सालाना आधार पर तुलनात्मक रैंकिंग नहीं दी है.

यूएनडीपी के भारत में रेजिडेंट प्रतिनिधि पैट्रिक सी-बिजोट ने संवाददाताओं से कहा, ‘इस बार हमने तीन नये सूचकांक लिये हैं. इसमें असमानता एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता समायोजन एचडीआई, लिंग असमानता सूचकांक और बहुआयामी गरीबी सूचकांक शामिल हैं.’

एचडीआई के निर्धारण में अन्य कारकों में सशक्तिकरण, असामनता, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनसंख्या के एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता स्वरूप में परिवर्तन की प्रवृत्ति, आम लोगों का जीवन स्तर शामिल हैं.

बिजोट ने कहा कि हालांकि मानव विकास सूचकांक मामले में पिछले 20 साल में प्रगति की है लेकिन देश में लगातार असमानता बढ़ रही है.

MCD Election 2022: ढोल नगाड़ों के साथ दिल्ली के वार्ड नंबर 151 से रमा टोकस ने भरा पर्चा, बीजेपी की टिकट पर लड़ेंगी चुनाव

Delhi MCD एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता ELECTION 2022: दिल्ली में 4 दिसंबर को होने जा रहे एमसीडी चुनाव में मुनिरका से भाजपा प्रत्याशी रमा टोकस(Rama Tokas) ने सोमवार को पर्चा भरा है। टोकस वार्ड नंबर 151 से एमसीडी चुनाव में प्रत्याशी हैं।

MCD Election 2022: ढोल नगाड़ों के साथ दिल्ली के वार्ड नंबर 151 से रमा टोकस ने भरा पर्चा, बीजेपी की टिकट पर लड़ेंगी चुनाव

Delhi MCD Election 2022: Rama Vinit Toaks

दिल्ली में 4 दिसंबर को होने जा रहे एमसीडी चुनाव में मुनिरका से भाजपा प्रत्याशी रमा टोकस(Rama Tokas) ने सोमवार को पर्चा भरा है। टोकस वार्ड नंबर 151 से एमसीडी चुनाव में प्रत्याशी हैं।

नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले रमा टोकस( Rama Tokas) ने मुनिरका स्थित बाबा गंगनाथ मंदिर में पूजा- अर्चना की और उसके बाद ढोल नगाड़ों के साथ मुनिरका के विभिन्न मोहल्लों से होते हुए पैदल जाकर नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ उनके पति समाजसेवी विनीत सिंह टोकस( Vinit Singh Tokas) और सैंकड़ो समर्थक मौजूद रहे।

बता दें कि एमसीडी चुनाव के लिए 4 दिसंबर को चुनाव होंगे तथा 7 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। वहीं नामांकन की बात करें तो चुनाव एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता के लिए 7 नवंबर से नामांकन प्रक्रिया शूरू हो गई थी। चुनाव के बारे में बात करें तो 14 नवंबर नामांकन की आखिरी तारीख थी तथा नामांकन पत्र की वापसी की आखिरी तारीख 19 नवंबर होगी। ये भी बता दें कि दिल्ली में विधानसभा 70 सीटें हैं, लेकिन, 2 सीटों पर चुनाव नहीं होंगे। ऐसे में 68 विधानसभा सीटों पर ही चुनाव होंगे तथा इन विधानसभाओं में कुल 250 वार्ड हैं, जहां इलेक्शन करवाए जायेंगे।

नीति आयोग ने कर्नाटक को दी महिलाओं और बच्चों के पोषण पर ध्यान देने की सलाह

एसडीजी सूचकांक में अव्वल आने का लक्ष्य

बेंगलूरु.
नीति आयोग ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक में पहले स्थान पर पहुंचने के लिए वह गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पोषण, लैंगिक समानता, आवास, एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रीत करे।
मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा ने एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता आयोग के सदस्यों और अधिकारियों के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने एसडीजी एसडीजी सूचकांक में राज्य की स्थिति में सुधार एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता एमएसीडी के साथ संकेतक की समानता पर संतोष व्यक्त किया। राज्य सरकार ने एसडीजी 2030 में शीर्ष पर पहुंचने का लक्ष्य रखा है। आयोग के सदस्यों ने भी सूचकांक में राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार को सराहनीय बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा 'हमने राज्य की उपलब्धियों पर चर्चा की। नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में राज्य की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हमने उन प्राथमिकताओं पर चर्चा की है, जिन्हें राज्य को नंबर एक की स्थिति में ले जाने के उद्देश्य से निर्धारित किया जाना है।Ó
बैठक के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों में कुपोषण, लैंगिक समानता, आवास, शिक्षा जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान देने के सुझाव दिए गए। एसडीजी इंडिया सूचकांक 2020-21 में राज्य तीसरे स्थान पर रहा है। साल 2019-20 में इसका स्कोर 66 था जो 2020-21 में सुधरकर 72 हो गया है।

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