ये म्यूचुअल फंड अपने शानदार रिटर्न और बेहतर लिक्विडिटी के कारण निवेशकों को लुभा रहे हैं।

टॉप-अप सिप के जरिये बढ़ा सकते हैं म्‍यूचुअल फंड से मिलने वाला रिटर्न, जानें इसके दूसरे फायदे

By: ABP Live | Updated at : 02 Dec 2022 03:35 PM (IST)

म्युचुअल फंड (फाइल फोटो)

Mutual Fund SIP: म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) एक ऐसा तरीका है, जिससे लांग टर्म में निवेश कर अच्छा मुनाफा कमाया टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? जा सकता है. SIP ​निश्चित समय में फिक्‍स्‍ड अमाउंट निवेश (Fixed Amount Invest) का एक आसान सिस्टम है. इसकी मदद से निवेशक मार्केट के रिस्क और मुनाफे को समझकर निवेश का प्लान बना सकते हैं.

एक्सपर्ट अक्सर सलाह देते हैं कि अगर आपके पास अतिरिक्त पैसा है, तो उसे पहले से ही SIP में जमा करके रखें. ताकि इमरजेंसी के समय इसका टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? उपयोग किया जा सके. वहीं, म्यूचुअल फंड के तहत एक टॉप-अप SIP भी होता है, जो निवेशकों को SIP राशि बढ़ाने की अनुमति देता है. इसमें सालाना निवेश किया जा सकता है. यह सुविधा उन लोगों के लिए है, जो अपने निवेश को बढ़ाना चाहते हैं. इसे SIP बूस्टर के नाम से भी जानते हैं.

क्या है टारगेट मैच्योरिटी फंड, क्यों बढ़ रहा है निवेशकों का इस तरफ रुझान?

टारगेट मैच्योरिटी फंड एक निष्क्रिय प्रबंधित फंड है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 11, 2022, 13:12 IST

नई दिल्ली. सरकार की ओर से 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ जारी किए जाने के बाद टारगेट मैच्योरिटी फंड में निवेश काफी बढ़ा है. भारत बॉन्ड ईटीएफ देश का पहला टारगेट मैच्योरिटी फंड था और इसका प्रबंधन एडलवाइज म्यूचुअल फंड कर रहा है.

टारगेट मैच्योरिटी फंड की एक तय परिपक्वता तिथि होती है. यह वह तिथि होती है जब स्कीम का पोर्टफोलियो निवेश मैच्योर हो जाता है. हालांकि, इसमें आपको जल्द निकासी की सुविधा भी मिल जाती है. टारगेट मैच्योरिटी फंड में होल्डिंग पीरियड के दौरान जो भी ब्याज मिलता है उसे दोबारा इन्वेस्ट कर दिया जाता है.

निवेश के विकल्प

इस स्कीम में निवेशकों को पीएसयू बॉन्ड में निवेश करने का विकल्प तो है ही साथ ही एसडीएल इंडेक्स फंड और जीसेक इंडेक्स फंड में भी निवेश करने का विकल्प मिलता है।

विशेषज्ञ क्रेडेंस वेल्थ एडवरटाइजर के संस्थापक कीर्तन शाह का मानना है कि इस स्कीम में लंबी अवधि के निवेश से बचना चाहिए। उनके अनुसार ‘यील्ड में केवल 0.1% या 0.2% अधिक यील्ड ही प्राप्त होगा। इसलिए लंबी अवधि के मैच्योरिटी फंड का विकल्प चुनने से बचना चाहिए। हो सकता है लंबी अवधि के निवेश के कारण कुछ अच्छे मौके हाथ से छूट जाएँ’।

कौन सा विकल्प बेहतर?

जानकारों की राय है टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? कि निवेशक को अपनी आवश्यकता के अनुसार पहले सही मैच्योरिटी वाले फंड को चिन्हित करना चाहिए। उन्हें खुद अपने समय की सीमा निर्धारित करनी चाहिए। इसका मतलब है कि यदि निवेशक को 3 या 5 सालों बाद पैसे की जरूरत है तो निवेशक दो अलग-अलग टारगेट मैच्योरिटी फंड में अपना पैसा विभाजित करके निवेश कर सकते हैं। प्लानरूपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने सलाह दी है कि ‘निवेश को उस टीएमएफ में निवेश करना चाहिए जो उनकी आवश्यकता के समय मैच्योर होता हो।’

Target Maturity Funds: टारगेट मैच्योरिटी फंड को भारत में सबसे पहले 2019 में लॉन्च किया गया था। ये वे फंड हैं जो अपने शानदार रिटर्न, बेहतर लिक्विडिटी और कम नुकसान की संभावना के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ इस क्षेत्र का हिस्सा बनने के लिए खासी उत्सुक नजर आ रही हैं। दैनिक समाचार पत्र द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार फिलहाल हर एक बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी एक टारगेट मैच्योरिटी फंड पेश करने में लगी हुई है। इस फंड में निवेश करने के लिए आपको कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स देने जा रहे हैं।

2019 में आरंभ

भारत के घरेलू शेयर बाजार के निवेशकों को इनका पहला परिचय 2019 में हुआ था। तब बॉन्ड ईटीएफ 2023 और 2030 इस प्रकार दो शृंखलाएँ लॉन्च टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? की गई थीं। वर्ष 2020 में दो एडिशनल फंड भारत बॉन्ड ईटीएफ शृंखलाएँ 2025 और 2031 पेश की गई थीं। डेट फंड में निवेश करने वालों के लिए एक अच्छी क्रेडिट क्वालिटी का पोर्टफोलियो प्रस्तुत किया गया था।

इन इन्वेस्टमेंट स्कीम्स को AAA का रेटिंग दिया गया था और ये निवेश की दृष्टि से काफी सुरक्षित हैं। इस स्कीम में पोर्टफोलियो की पारदर्शिता पर ज़ोर दिया गया है और इसमें मैच्योरिटी पूर्व निर्धारित होने के कारण रिटर्न अनुमान लगाना पहले से आसान हो गया है। दूसरी बड़ी बात है कि इसमें ब्याज की दर के बारे में जोखिम बहुत कम हो गया है। निवेशक के लिए किसी भी समय अपनी निवेश की गई रकम की निकासी करना बहुत ही आसान है।

ICICI प्रूडेंशियल MF ने लॉन्च किए दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड, 11 अक्टूबर तक निवेश का मौका, चेक डिटेल

ICICI प्रूडेंशियल MF ने लॉन्च किए दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड, 11 अक्टूबर तक निवेश का मौका, चेक डिटेल

ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं.

ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड ने दो टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड लॉन्च किए हैं. इसमें ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड और ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड पैसिवली टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के फ़ायदे क्या हैं? मैनेज्ड फंड हैं, जो कि एक स्पेसिफिक डेट पर मैच्योर होंगे. दोनों स्कीम के लिए न्यू फंड ऑफर 4 अक्टूबर, 2022 से 11 अक्टूबर, 2022 तक उपलब्ध होगा. ICICI प्रूडेंशियल AMC के प्रोडक्ट डेवलपमेंट और स्ट्रैटेजी हेड चिंतन हरिया ने कहा, “बढ़ती ब्याज दरों के दौर में, एक स्पेसिफिक मैच्योरिटी बकेट के भीतर निश्चित अवधि में रिटर्न की तलाश करने वाले निवेशक टारगेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं.”

मैच्योरिटी डेट्स

ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड की मैच्योरिटी डेट 29 दिसंबर, 2028 है जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड 31 दिसंबर, 2030 को परिपक्व होगा. ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स फंड के तहत निफ्टी SDL दिसंबर 2028 इंडेक्स में निवेश किया जाएगा. जबकि ICICI प्रूडेंशियल निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स फंड के तहत निफ्टी G-Sec दिसंबर 2030 इंडेक्स के घटकों में निवेश किया जाएगा.

टारगेट मैच्योरिटी फंड (TMF) कम क्रेडिट रिस्क के साथ आते हैं क्योंकि ये स्कीम्स SDL और G-Secs (संबंधित योजनाओं के आधार पर) जैसे सॉवरेन इंस्ट्रूमेंट्स से युक्त इंडेक्स में निवेश करती हैं. यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट या गोल्ड जैसे ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट से बेहतर रिटर्न की तलाश में हैं तो आप TMF में निवेश कर सकते हैं. हालांकि, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट में गारंटीड रिटर्न मिलता है जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है.

टारगेट मैच्योरिटी फंडो की तरफ बढ़ रहा निवेशकों का रुझान, आइए जानतें है क्या है इनकी खासियत

बॉन्ड से मिलने वाले ब्याज को बॉन्ड यील्ड कहा जाता है।बॉन्ड पर पहले से तय दर पर ब्याज मिलता है। इसमें बदलाव नहीं होता है

पिछले कुछ सालों के दौरान टारगेट मैच्योरिटी फंडों में भारी ग्रोथ देखने को मिली है। सरकार की तरफ से 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) लॉन्च होने को बाद इनकी लोकप्रियता और बढ़ी है। भारत बॉन्ड ईटीएफ का प्रबंधन Edelweiss Mutual Fund के हाथों में हैं। ये देश का पहला टारगेट मैच्योरिटी फंड था।

ईटीएफ के अलावा इस समय तमाम इंडेक्स ट्रेडेड मैच्योरिटी फंड हैं। टारगेट मैच्योरिटी फंड की एक निश्चित परिपक्वता तिथि होती है। ये वो तिथि होती है जब स्कीम और उसके पोर्टफोलियो निवेश मैच्योर होते हैं। लेकिन निवेशकों को इनमें जल्द निकासी की भी सुविधा होती है क्योंकि ये एक ओपन-एंड फंड होते हैं। हालांकि कि निवेशकों को सलाह होगी कि वे इनमें मैच्योरिटी तक बने रहने को वरीयता दें जिससे कि ज्यादा से ज्यादा संभव रिटर्न प्राप्त हो सके। जैसे-जैसे ब्याज दरें बढ़ती हैं, निवेशक इस तरह के फंडों का इस्तेमाल अपने निवेश को हाई यील्ड पर लॉक-इन करने के लिए कर सकते हैं।

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