"रविवार" का चूकीस में अनुवाद

संदर्भ में "रविवार" का चूकीस में अनुवाद, अनुवाद स्मृति

▪ Esap wor mwich atun ewe ränin ächechchem lon Räninfel, April 17, me lükün chök ewe mwich fän iten afalafal.

हाल की हमारी राज-सेवा के इन लेखों में दी जानकारी चंद शब्दों में बताइए: “क्या आप रविवार को प्रचार में जा सकते हैं?”

Ekis enniwili ekkewe pworaus sia fen käeö lon Ach Angangen Afalafala ewe Mwu: “Ka Tongeni Fiti Afalafal lon Räninfel?”(

रविवार, मार्च २३, १९९७ के दिन, सूर्यास्त के बाद, इस बात में कोई सन्देह नहीं कि संसार-भर में यहोवा के साक्षियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे राज्यगृहों तथा अन्य सभा स्थानों में १,३०,००,००० से ज़्यादा लोग जमा होंगे।

ESE mwaal, lon Raninfel, March 23, 1997, mwirin tuputiuen ewe akkar, lap seni 13,000,000 aramas won unusen fonufan repwe mwichfengen lon ekkewe Kingdom Hall me pwal ekkoch leenien mwich Chon Pwarata Jiowa repwe aea.

इन अधिवेशनों के बाद हर रविवार को लाउडस्पीकर वाली कार से लोगों को बाइबल पर आधारित रिकॉर्ड किए भाषण सुनाए गए, फिर चाहे धूप हो या बारिश। लोगों को मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए गली-मुहल्लों में, पार्कों में और उन कारखानों में जो साउं पाउलो के बीचों-बीच और आस-पास के कसबों में थे, खुशखबरी सुनायी गयी।

Mwirin ekkewe mwichelap, iteiten Ráninfel, ese lifilifil ika mi púng rán are tinééch akkar, ewe sein ettik afalafal a ssáfetál me ettiki ekkewe afalafal seni Paipel pwe aramas lón ekkewe leenien kunou mi mánámán, imw, me leenien ffér pisek mi nóm lukanapen São Paulo me ekkewe sóópw únúkkún repwe rongorong.

अकसर रविवार के दिन, लोग दो-दो या तीन-तीन के दलों में, बाइबल हाथ में लिए चर्च की तरफ जाते हुए दिखायी देते हैं।

Lon Raninfel, sia kan kuna ekkan aramas, akkaruuemon are akkaulumon, ar ra feffetal ngeni ekkewe imwen fel, nge ra ukkuwei Paipel.

अगर आप पूरे समय की नौकरी करते हैं या स्कूल जाते हैं, तो शाम के वक्त या फिर शनिवार-रविवार को प्रचार में हिस्सा लेकर आप सहयोगी पायनियर सेवा कर सकते हैं।

Ika ka angang full time are fiti sukul, kopwe tongeni auxiliary pioneer ren om afalafal lekunion are lon Ammol me Räninfel.

शनिवार और रविवार के दिन हम न्यौते के साथ हाल की पत्रिकाएँ दे सकते हैं, लेकिन सिर्फ वहीं जहाँ मुनासिब हो।

4 ज़्यादा-से-ज़्यादा पुरुषों को गवाही दीजिए: पुरुष दिन में अकसर काम पर होते हैं, इसलिए क्या आप अपना शेड्यूल कुछ इस तरह बना सकते हैं कि शाम के वक्त, या शनिवार-रविवार को, या छुट्टियों के दिन में ज़्यादा प्रचार कर सकें?

4 Afalafal Ngeni Chommong Mwan: Pokiten lap ngeni ekkewe mwan ra akkangang le rän, en mi tongeni akkota pwe kopwe alapalo om fansoun afalafal le pwiin, lon wiikend, are atun ekkewe ränin pin?मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए

हालाँकि कई साक्षी, लंबे अरसे से रविवार के दिन सुबह के वक्त घर-घर प्रचार करते आए हैं, मगर उन्होंने देखा है कि कुछ इलाकों में सवेरे के समय घर-घर का प्रचार इतना असरदार नहीं होता क्योंकि तब लोग सो रहे होते हैं।

Inaamwo ika chommong Chon Pwarata ra eoreni ar afalafal imw me मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए imw lesossorun Raninfel nge, lon ekkoch leeni ra kuna pwe aramas ra kan onnut lesossorun Raninfel.

नौकरी करनेवाले लोगों की तरह आप भी खासकर शनिवार-रविवार का फायदा उठाकर प्रचार में ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्त बिता सकते हैं।

बीमा एजेंट कैसे बने? इंश्योरेंस एजेंट बनने की प्रक्रिया

insurance agent kaise bane

लेकिन आप सीधे एक इंश्योरेंस एजेंट नहीं बन सकते। सबसे पहले आपको एक बीमा कंपनी को चुनना होगा जिसके बीमा उत्पाद आप बेचना चाहते हैं। उसके बाद आपको बीमा कंपनी से 50 घंटे की ट्रेनिंग लेनी होगी और उसके बाद भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) जो कि भारत में बीमा बाजार को चलाने वाली संस्था है की परीक्षा पास करनी पड़ेगी।

परीक्षा ज्यादा कठिन नहीं होती है लेकिन फिर भी नियमों के तहत आपको इसको पास करना जरूरी होता है। तो एक बीमा कंपनी के प्रतिनिधि बनने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।

  1. सबसे पहले एक कंपनी चुने जिसके बीमा उत्पाद आप बेचना चाहते। आपको कोई ऐसी कंपनी चलनी चाहिए जो कि आपके क्षेत्र में बहुत प्रचलित हो। ऐसी कंपनी के बीमा एजेंट बनने से आप आसानी से बीमा पॉलिसी बेच पाओगे क्योंकि कंपनी में लोगों का विश्वास पहले से ही होगा। आप एलआईसी, स्टार हेल्थ, रिलायंस, मैक्स बूपा, या कोई भी कंपनी चल सकते अगर आपको नहीं पता है कि भारत में कौन सी बीमा कंपनियां उपलब्ध है तो भारत की बीमा कंपनियों की सूची देखने के लिए यहां पर क्लिक करें।
  2. अभी एक कंपनी को चुनने के बाद आपको उसके नज़दीक के दफ्तर में जाना होगा और वहां पर डेवलपमेंट मैनेजर से मिलना होगा। डेवलपमेंट मैनेजर से कहें कि आप बीमा एजेंट बनकर उनकी कंपनी के उत्पाद बेचना चाहते हैं।
  3. कंपनी का मैनेजर आपसे कुछ प्रश्न पूछेगा जैसे कि आप बीमा एजेंट क्यों बनना चाहते हैं, आपकी योग्यता क्या है, और आप हमारी कंपनी के उत्पाद क्यों बेचना चाहते हैं। यह एक तरह की इंटरव्यू होगी जिसमें की मैनेजर यह तय करेगा कि क्या आप एक इंश्योरेंस एजेंट बनने के लायक हैं या नहीं।
  4. अगर कंपनी के प्रतिनिधि को लगा कि आप एक अच्छे बीमा एजेंट बन सकते हैं तो वह आपको कंपनी द्वारा प्रदान किए जाने वाली ट्रेनिंग में शामिल कर लेगा। यह ट्रेनिंग 25 से 50 घंटे की होती है जो कि ज्यादातर शनिवार और रविवार को रखी जाती है।
  5. ट्रेनिंग के बाद आपको IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) की परीक्षा IC 38 या IC 33 मे शामिल होकर उसको पास करना होगा। परीक्षा में वही सवाल पूछे जाएंगे जो आपको बीमा कंपनी द्वारा ट्रेनिंग में बताए गए होंगे।
  6. परीक्षा को पास करने के बाद बीमा कंपनी आपको एक लाइसेंस और पहचान पत्र जारी कर देगी।

बस हो गया! अब आप एक बीमा एजेंट बन चुके हैं और आप कंपनी द्वारा प्रदान किए जाने वाले बीमा उत्पाद बेच सकते हैं।

आईआरडीएआई द्वारा ली जाने वाली इंश्योरेंस एजेंट परीक्षा के संदर्भ में पूछे जाने वाले सवाल और जवाब

क्या मैं खुद आईआरडीएआई की परीक्षा के लिए अप्लाई कर सकता हूं?

नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते। परीक्षा के लिए आपको किसी बीमा कंपनी के पास ही जाना होगा।

क्या मैं जीवन बीमा उत्पाद और सामान्य बीमा उत्पाद जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस, वाहन बीमा इत्यादि एक साथ बेच सकता?

आप ऐसा कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कंपोजिट लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी। साधारण रूप में जब आप किसी बीमा कंपनी के पास बीमा एजेंट बनने जाते हैं तो कंपनी आपको जीवन बीमा एजेंट या साधारण बीमा एजेंट का लाइसेंस जारी करती है।

लेकिन अगर कोई कंपनी दोनों तरह के उत्पाद बेचती है तो आप कंपनी के मैनेजर से आवेदन कर सकते हैं कि आपको कंपोजिट लाइसेंस दिया जाए। जिससे कि आप जीवन बीमा उत्पाद और सामान्य बीमा या गैर-जीवन बीमा उत्पाद एक साथ बेच सकें।

अगर आप इंश्योरेंस एजेंट बनने जा रहे हैं तो हो सके तो कंपोजिट लाइसेंस लेने की कोशिश करें। इसमें ट्रेनिंग मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए थोड़ी ज्यादा होगी जैसे कि 75 घंटे की लेकिन इससे आपको ज्यादा फायदा होगा। इससे आप जीवन बीमा और गैर-जीवन बीमा जैसे कि वाहन बीमा उत्पाद बेच पाएंगे।

Sargam Koushal: खत्म हुआ 21 साल का लंबा इंतजार, सरगम कौशल ने जीता मिसेज वर्ल्ड 2022 का खिताब, इमोशनल वीडियो वायरल

Mrs World 2022: सोशल मीडिया मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए पर ताज पहननते हुए सरगम का एक वीडियो वायरल हो रहा है। सभी देशवासी देश का मान बढ़ाने के लिए उन्हें बधाई दे रहे हैं। इससे पहले ये खिताब 2001 में अदिति गोवित्रिकर ने जीता था। वह एक टीचर के रूप में काम करती हैं। उनके पति इंडियन नेवी में काम करते मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए हैं

भारत ने 21 के लंबे इंतजार के बाद मिसेज वर्ल्ड 2022 (Mrs World 2022) का खिताब अपने नाम कर लिया है। भारत की सरगम कौशल (Sargam Koushal) ने मिसेज वर्ल्ड 2022 का खिताब जीता है, जो 63 देशों की प्रतियोगियों के बीच विजेता बनी हैं। इसके साथ ही यह खिताब 21 साल बाद भारत लौटा है। इससे पहले ये खिताब 2001 में अदिति गोवित्रिकर (Aditi Govitrikar) ने जीता था। अब 21 साल बाद भारत में मिसेज वर्ल्ड क्राउन की वापसी हुई है।

मिसेज वर्ल्ड 2022 इवेंट का आयोजन अमेरिका (US) में किया गया था। सोशल मीडिया पर ताज पहननते हुए सरगम का एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है। ये लम्हा हर भारतीय के लिए बेहद खुशनुमा और इमोशनल भरा रहा।

अमेरिका की मिसेज वर्ल्ड 2021 शायलिन फोर्ड ने शनिवार शाम वेस्टगेट लास वेगास रिजॉर्ट एंड कसीनो में आयोजित एक कार्यक्रम में मुंबई की कौशल को ताज पहनाया। मिसेज पोलिनेशिया को फर्स्ट रनर-अप और उसके बाद मिसेज कनाडा को सेकेंड रनर-अप घोषित किया गया।

शनि देव को प्रसन्न रखने के लिए रविवार के दिन अवश्य रखें इन चीज़ों का ध्यान

shani dev

शास्त्रों के अनुसार शनि देव को नवग्रहों में सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। जहां एक ओर इनकी कृपा से सारे कार्यों में सफलता मिल सकती है वहीं इनकी नाराज़गी हर काम को विफल कर सकती है। हिंदू धर्म में शनि देव की पूजा का बहुत मान्यता दी गई है। ख़ासतौर पर अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति कमज़ोर हो तब आपको इसपर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

हिंदू धर्म में हिंदी पंचांग के अनुसार सप्ताह के सातों दिन में से प्रत्येक दिन किसी देवी-देवता को समर्पित है जिस दिन इनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है। जैसे कि सोमवार के दिन महादेव की और मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। कई बार एक ही दिन एक से अधिक देवी-देवताओं को भी समर्पित होते हैं और कभी-कभी एक ही देवी-देवता को एक से अधिक दिन।

इसी प्रकार रविवार का दिन विशेष तौर पर सूर्य देव को समर्पित होता है। कहते हैं इस दिन भगवान सुर्यनारायण की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा मिलती है। इसके साथ ही शनि का राशि और कुंडली पर अगर कोई बुरा प्रभाव हो तो वो भी कम होता है। शनि देव की कृपादृष्टि से आर्थिक, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक हर तरह से लाभ मिलता है।

अब क्योंकि रविवार का दिन शनि देव को समर्पित है तो इस दिन जितनी संभावना उन्हें प्रसन्न करने की होती है उतनी ही संभावना उन्हें निराश करने की भी। तो अगर आप शनि देव की कृपादृष्टि चाहते हैं तो इन चीज़ों का ध्यान रखें।

विशेष बात बराबरी की: राजनीति में औरतों को पुरुष ऐसे देखते हैं, जैसे फर्स्ट AC में चना बेचने वाला घुसा हो

तुर्की की राजधानी अंकारा के राष्ट्रपति भवन पैलेस में कुल हजार कमरे हैं, सब के सब एक के बढ़कर एक दिलफरेब। वहां के बगीचे में दुनियाभर की दिलचस्पी एक साथ दिखेंगी, कहीं संतूर बज रहा है तो कहीं वायलिन। इन्हीं रौनकों के बीच बीते अप्रैल में एक बड़ी मीटिंग रखी गई, जिसमें यूरोपियन कमीशन की चीफ उर्सुला वॉन डेर के साथ एक पुरुष अधिकारी भी शामिल थे। एजेंडा था, तुर्की के राष्ट्रपति से मुलाकात।

मीटिंग रूम झकाझक सजा था। आंखों को नरमाहट देती रोशनी। जमीन पर मोटा दरीचा। दीवारों पर कौमी नेताओं की सुनहरी-फ्रेमदार तस्वीरें। एक कोने में दो कुर्सियां थीं, जिनके पीछे तुर्की और यूरोपियन यूनियन के झंडे लगे थे। मेजबान और मेहमान को यहीं बैठना था, लेकिन कुर्सियां दो थीं और लोग तीन। तो हुआ ये कि लंबे-लंबे डग भरते दो पुरुष तो कुर्सी पर जा डटे और महिला लीडर खड़ी देखती रह गई!

देर तक अचकचाए रहने के बाद उर्सुला पीछे हटीं और कुछ दूर पड़े सोफा पर बैठ गईं। वो यूरोपीय कमीशन की पहली महिला प्रमुख हैं। बाद मैं शनिवार और रविवार को बेचना चाहिए में उन्होंने कहा- अगर मैंने सूट-बूट और टाई पहनी होती तो क्या ऐसा होता! ये हुआ क्योंकि मैं महिला हूं।

तुर्की से लगभग साढ़े चार हजार किलोमीटर की दूरी पर एक देश है- हिंदुस्तान। यहां भी कुर्सीदार औरतों की आबादी बहुत कम है। जिनके पास कुर्सियां हैं भी, उन्हें ऐसी नजर से देखा जाता है, जैसे फर्स्ट-क्लास बोगी में चना-मसाला बेचने वाला घुस आए। चॉकलेट चिप्स चुभलाते हुए लोग उन्हें अगले स्टेशन पर तुरंत उतर जाने को धमकाते हैं। बल्कि अंगार-आंखें कर ऐसे देखते हैं कि बेचारा आदमी चलती रेल से कूद जाए।

महिला लीडर्स भी चना-मसाला बेचनेवाली जैसी ही हैं। ह्यूमन राइट्स पर काम करने वाली इंटरनेशनल संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक भारतीय महिला नेताओं पर होने वाले हर 7 ट्वीट्स में से 1 ट्वीट की भाषा सेक्सिस्ट होती है। यानी भद्दे कमेंट करती हुई। स्टडी के तहत 95 महिला लीडरों पर 7 मिलियन ट्वीट्स को पढ़ा गया, जिसमें 14% ट्वीट अश्लील थे।

जैसा कि चलन है, उनके रेप या फिर मौत की इच्छाएं भी बहुतेरे ट्वीट्स में दिखती थीं। ट्रोल-पेट्रोल इंडिया नाम से ये स्टडी साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी। वॉलंटियर कर रही संस्थाओं का कहना था कि टिकट के लिए दावेदारी जता रही या फिर जीत चुकी लीडर को लेकर सबसे ज्यादा पटाखे फूटते हैं। नफरत की ये आदत जर्दा-पुलाव या फिर खिचड़ी के तड़के तक सीमित नहीं, ऑमलेट-टोस्ट से दिन शुरू करने वाली मर्द बिरादरी भी महिला नेताओं को कमतर मानती रही।

कुछ वक्त पहले वाइट हाउस से एक कागज लीक हुआ। उसमें अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर अपनी भड़ास निकाली थी। उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तानी औरतें दुनिया में सबसे बदसूरत होती हैं। यहां तक कि अफ्रीकन औरतों में भी कुछ जान होती है, उनमें भी जानवरों जैसा ही सही, लेकिन चार्म दिखता है। वहीं इंडियन लड़कियां निहायत फीकी और बेजान.

निक्सन के समय के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर हेनरी किसिन्गर ने भी अपनी किताब ‘वाइट हाउस ईयर्स’ में इंदिरा को लेकर उनकी नफरत का जिक्र किया था, जब उन्होंने इस बेहद ताकतवर नेता को ‘खुर्राट डायन’ तक कह दिया था। निक्सन बीते। इंदिरा बीतीं। पचासों साल बीत गए। यहां तक कि भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस भी मना चुका, लेकिन महिला नेताओं को लेकर हमारी सोच ऐसे अटकी है, जैसे सुई के छेद में दोमुंहा धागा अटक जाए।

जिद्दी मलिका चाहे तो सोने की पायलें छमका ले। दिल चाहे तो नीलम-रूबी वाली माला पहन ले, लेकिन हीरे-जड़ा ताज तो बादशाह के सिर ही फबेगा। ताज पुरुष ही पहन रहे हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2020 के मुताबिक संसद में महिला चेहरों के मामले में 153 देशों में भारत 122वें नंबर पर है। लोकसभा में जहां 14% महिलाएं हैं, वहीं राज्यसभा में ये प्रतिशत और भी कम है।

चुनी हुई इन लीडर्स को भी आमतौर पर सॉफ्ट मिनिस्ट्री दी जाती है। यानी वो विभाग जहां काम हल्का-फुल्का दिखे। अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा ने साल 1990 से लेकर 2019 तक के यूनियन मिनिस्टर्स का डेटा देखा। इसमें पाया गया कि महिला नेताओं को महिला और बाल विकास विभाग संभालने जैसा काम ही मिला। इसके अलावा टूरिज्म, एजुकेशन, हेल्थ, फूड प्रोसेसिंग और टैक्सटाइल जैसे महकमे भी कभी-कभार इनके हिस्से आ जाते हैं। कुछेक महिला नेताओं को वित्त और रक्षा जैसे मंत्रालय मिले, लेकिन उनकी गिनती रोटी में नमक जितनी है।

सरकार के पास अगर ऐसा मंत्रालय होता, जहां हांडियां पक सके, शरीर को चमकाया जा सके, या फिर बच्चों के पोतड़े धोएं जाएं तो चुनी हुई महिलाएं नाक की सीध में वहीं भेज दी जातीं। उनकी इकलौती काबिलियत और अकेली सजा उनका औरत होना ही होता। खैर! राहत ये है कि फिलहाल ऐसे विभाग की खोज सरकार कर नहीं सकी।

कुछ हफ्तों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। पुरुष ताजदारों के बीच महिला चेहरे भी रोपे जा रहे हैं। वे अपने अंदाज में वोट मांग रही हैं। उनकी आवाज मद्धम सही, लेकिन शुक्र है कि है! ये शुरुआत है। आज से अरबों साल बाद जब सूरज ठंडा होते-होते बर्फ हो जाएगा, उससे ठीक पहले एक दुनिया होगी, जहां औरतें रसोई ही नहीं, मुल्क भी संभालेंगी। जहां बच्चों को बिगाड़ने का ठीकरा उनके सिर नहीं फूटेगा, बल्कि देश की कमियों का हिसाब भी उनसे मांगा जाएगा!

नोट : 'बात बराबरी की' हम हफ्ते में दो दिन यानी प्रत्येक शनिवार और रविवार को पब्लिश करते हैं। इस बार हम इसे गुरुवार को ही पब्लिश कर रहे हैं, क्योंकि देश आजादी का 75वां महोत्सव मना रहा है, 73 साल गणतंत्र दिवस के हो चुके हैं, लेकिन देश की सियासत में आधी आबादी अभी भी अपने अधिकारों से महरूम है।

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