Gold Bond, Digital Gold और Gold ETF : सोने के गहनों में नहीं, इनमें करें निवेश, जानें कौन है सबसे बेहतर

Investment in Gold : फिजिकल सोना खरीदने से अच्छा है सोने के अन्य ऑप्शन्स में इनवेस्ट करना. निवेश के मकसद से सोने के गहने, सिक्के या गोल्ड बिस्किट खरीदने से बेहतर गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड बॉन्ड या डिजिटल गोल्ड का ऑप्शन है.

Gold Bond, Digital Gold और Gold ETF : सोने के गहनों में नहीं, इनमें करें निवेश, जानें कौन है सबसे बेहतर

Gold Investment : सोने में कई तरीकों से किया जा सकता है निवेश. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत जैसे देश में लोग सोने से संपत्ति (Gold Asset) के साथ-साथ एक इमोशनल टच से भी जुड़े हुए होते हैं. सोने को लोग हमेशा से सबसे ज्यादा सुरक्षित और फायदेमंद निवेश का माध्यम (Gold Investment) मानते रहे हैं. अगर निवेश की बात करें तो सेफ इनवेस्टमेंट के लिए लोग हमेशा से बैंकों में डिजिटल गोल्ड क्या है फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की तरफ आकर्षित हुए हैं. FD से मिलने वाला रिटर्न पूर्व निर्धारित होता है. इसके अलावा कुछ लोग शेयर मार्केट में भी पैसा लगाते हैं, हालांकि शेयर मार्केट काफी जोखिमों से भरा हुआ है और बहुत से लोगों को शेयर मार्केट की सही समझ भी नहीं होती, ऐसे में लोग शेयर मार्केट में निवेश करने में उतने सहज नहीं होते. लेकिन सोने-चांदी डिजिटल गोल्ड क्या है की बात हो तो निवेश का ये विकल्प लोगों को लुभाता है.

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वैसे, आप अगर निवेश के मकसद से सोना खरीदना चाहते हैं तो फिजिकल सोना खरीदने के अच्छा है सोने के अन्य ऑप्शन्स में इन्वेस्टमेंट करना. निवेश के मकसद से सोने के गहने, सिक्के या गोल्ड बिस्किट खरीदने से बेहतर गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड बॉन्ड या डिजिटल गोल्ड का ऑप्शन है.

गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond)

केंद्र सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की योजना चलाती है. सरकार की इस स्कीम के तहत आम लोग सोने में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. इस स्कीम के माध्यम से सरकार सोने के भौतिक रूप की डिमांड में कमी लाने की कोशिश में रहती है. वहीं गोल्ड बॉन्ड का बड़ा फायदा ये है कि सरकारी गोल्ड बॉन्ड की कीमत गोल्ड के मार्केट प्राइस से कम होती है. वहीं इसे खरीदने से टैक्स छूट भी मिलती है. इस स्कीम की खासियत ये भी है कि इसमें डिजिटल गोल्ड क्या है किसी तरह की धोखाधड़ी या फिर अशुद्धता की संभावना नहीं होती है.

गोल्ड बॉन्ड आठ वर्षों के बाद मैच्योर हो जाते हैं. 8 साल के बाद रुपए निकाले जा सकते हैं. इसके अलावा 5 साल के बाद भी इस स्कीम से पैसे निकालने डिजिटल गोल्ड क्या है का ऑप्शन होता है. इतना ही नहीं इस स्कीम के माध्यम से बैंक से लोन भी लिया जा सकता है. गोल्ड बॉन्ड खरीदने पर GST भी नहीं देना पड़ता.

डिजिटल गोल्ड (Digital Gold)

इस समय डिजिटल बाजार उछाल पर है. ऐसे में मार्केट में डिजिटल गोल्ड भी मिल रहे हैं. इंवेस्टमेंट के लिहाज से देखें तो डिजिटल गोल्ड एक बेहतर विकल्प है. डिजिटल गोल्ड में बेहतर रिटर्न भी मिलता है. ज्वेलर्स या डीलर की तरफ से डिजिटल गोल्ड कई प्लेटफॉर्म के जरिए बेचा जाता है. वहीं इनमें अमेजन-पे, पेटीएम, फोन-पे जैसे वॉलेट और इंवेस्टमेंट के अन्य प्लेटफॉर्म जैसे कुवेरा, ग्रो और स्टॉक ब्रोकर्स शामिल हैं. डिजिटल गोल्ड में आप जब चाहें इन्वेस्ट कर सकते हैं और जब चाहें इसे सेल भी कर सकते हैं. डिजिटल गोल्ड को खरीदने के लिए आपको इंटरनेट और नेटबैंकिंग की जरूरत होती है.

गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)

घर में रखी गोल्ड ज्वेलरी की तुलना में गोल्ड ईटीएफ अधिक सेफ होता है. इलेक्ट्रॉनिक रूप में होने की वजह से इसकी शुद्धता का पूरा भरोसा किया जा सकता है. इस पर तीन वर्षों के बाद लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. इस पर लोन नहीं मिल सकता. इसे एक्सचेंज पर कभी भी बेच दिया जा सकता है और इसको रखने का खर्च भी काफी कम है.

कौन है बेहतर?

सेंट्रल गवर्नमेंट की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम का एक फायदा ये है कि यह बॉन्ड, गोल्ड के मार्केट प्राइस से कम कीमत में मिलते हैं. वहीं दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस योजना में इन्वेस्ट करने पर जीएसटी नहीं चुकाना पड़ता है. जबकि डिजिटल गोल्ड क्या है डिजिटल गोल्ड खरीदते वक्त 3 फीसद जीएसटी देना होता है, ऐसे में जीएसटी देने से निवेश की लागत बढ़ जाती है. वहीं डिजिटल गोल्ड को जब सेल करते हैं तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स देनदारी बनती है.

गोल्ड ईटीएफ के मामले में भी ये बात लागू होती है. लिहाजा डिजिटल गोल्ड पर टैक्स प्लस सेस और सरचार्ज चुकाना होता है, जिससे मुनाफा घट जाता है. वहीं डिजिटल गोल्ड को लेकर ऑफिशियल रेगुलेटरी संस्था नहीं है, जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना केंद्र सरकार के तहत काम करती है. वहीं गोल्ड बॉन्ड पर आप लोन ले सकते हैं, जबकि गोल्ड ईटीएफ में ऐसा विकल्प नहीं है. कुल मिला कर देखें तो मुनाफे के लिहाज से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम बेहतर विकल्प है.

Video : कॉफी & क्रिप्टो- जानिए, कंपनियां कब और कैसे देती हैं मुफ्त क्वाइन?

तनिष्क लेकर आई डिजिटल गोल्ड, जानिए कैसे खरीद सकते हैं

Tanishq Digital Gold: अक्टूबर से सोने की खरीदारी बढ़ने के चलते कंपनी डिजिटल मार्केटिंग करते हुए इसे स्केल अप करने की योजना बना रही है

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - September 3, 2021 / 02:24 PM IST

तनिष्क लेकर आई डिजिटल गोल्ड, जानिए कैसे खरीद सकते हैं

Tanishq Digital Gold: त्योहारों के सीजन को ध्यान में रखते हुए तनिष्क ने युवा खरीदारों को आकर्षित करने के लिए डिजिटल गोल्ड प्रॉडक्ट्स ऑफर किए हैं. इसके लिए तनिष्क डिजिटल गोल्ड (Tanishq Digital Gold) ने डिजिटल गोल्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Digital Gold India Pvt Ltd) के साथ साझेदारी की है, ताकि ग्राहक सेफगोल्ड प्लेटफॉर्म (SafeGold platform) के जरिए फिजिकल गोल्ड को एक्सचेंज, खरीद या बेच सकें.

कंपनी ने डिजिटल गोल्ड प्रॉडक्ट्स लॉन्च करने से पहले एक महीने का पायलट प्रोग्राम चलाया था. तनिष्क भारत में खरीदारों को डिजिटल गोल्ड ऑफर करने वाला पहला बड़ा ज्वैलरी रिटेलर है.

मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने मानना है कि युवा ग्राहक अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोने को एक हिस्से के तौर पर खरीदना चाहते हैं. वे भविष्य में रिडेम्पशन के लिए बड़ा एसेट क्लास खड़ा करना चाहते हैं.

अप्रैल के आखिर में प्रॉडक्ट के लॉन्च के बाद से हर महीने प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर कराने वाले 1,000 से 2,000 ग्राहकों में से डिजिटल गोल्ड क्या है डिजिटल गोल्ड क्या है लगभग 70% ब्रांड के पहली बार वाले खरीदार हैं. पब्लिकेशन का कहना है कि कंपनी अक्टूबर से सोने की खरीदारी बढ़ने के साथ इसकी डिजिटल तौर पर मार्केटिंग करके स्केल-अप करने की योजना बना रही है.

डिजिटल सोना बेचने में रेगुलेशन का अभाव

तनिष्क ने वेबसाइट पर डिजिटल गोल्ड उत्पाद को न तो डिपॉजिट के तौर पर और न ही फाइनेंशियल प्रॉडक्ट के तौर पर दिखाया है. खरीदारी की जरूरत को देखते हुए यह सोना खरीदने का बस एक तरीका है. अगर ग्राहक तनिष्क स्टोर पर सोने को गहनों में बदलना चाहते हैं, तो रिटेलर रिडेम्पशन के समय मेकिंग चार्ज लागू होगा.

भारत में फिल्हाल डिजिटल सोने की बिक्री में रेगुलेशन का अभाव है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (The Securities and Exchange Board of India – SEBI) ने भी एक्सचेंजों के डिजिटल सोना बेचने पर रोक लगा दी है.

Digital Gold : अब घर में रखें सोने से होगी कमाई, इस डिजिटल गोल्ड क्या है कंपनी ने शुरू की यह स्कीम, जाने पूरा तरीका

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कर सकते हैं. जी हां, आप Digital Gold को लीज पर देकर कमाई (Earn Money) कर सकते हैं. Online

Digital Gold Platform सेफगोल्ड (SafeGold) की तरफ से गोल्ड लीजिंग प्लेटफॉर्म ‘Gains’ पेश किया गया

है. इसकी तरफ से पेश की गई स्‍कीम में आप अपने Digital Gold को पट्टे पर देकर कमाई कर सकते हैं।

जरूरत पड़ने पर कभी भी बेच सकेंगे:

बता दें की Digital Gold Loan फ‍िक्‍स टेन्योर के लिए होगा और आपको Digital Gold पर रेंट मिलेगा, यह

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Yield के रूप में म‍िलेगा. Yield का Payment आपको Gold के रूप में म‍िलेगा, ज‍िसे खाताधाकर के

SafeGold अकाउंट में जमा क‍िया जाएगा. इतना ही नहीं आप इस SafeGold को जरूरत पड़ने पर कभी भी बेच

सकते हैं. इस SafeGold को बेचने पर आपके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर (Money Transfer) हो जाएगा.

क्या है Gold Leasing?

आपको बता दें की Company के अनुसार Gold Leasing के तहत आप Digital Platform के जर‍िये

अपना सोना जौहरी और आभूषण निर्माताओं (Gold Jewelers And Jewelery Manufacturers) को

लीज पर दे सकते हैं. ये SafeGold का उपयोग अपनी Working Capital के रूप में करेंगे. तय समय सीमा के

बाद Lease पर लेने वाला किराये का भुगतान (Rental Payment) आपके गोल्ड (SafeGold) के साथ कर

देगा. अभी यह स्कीम SafeGold से Digital Gold लेने वाले ग्राहकों (Customers) के ल‍िए ही उपलब्ध है।

बताते चलें की घर में रखे सोना यानि Gold पर भी जल्‍द डिजिटल गोल्ड क्या है इस सुव‍िधा को शुरू करने की तैयारी है।

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20 ग्राम तक लीज पर द‍िया जा सकता है Digital Gold:

इस योजना के तहत कम से कम 0.5 ग्राम और अधिकतम 20 ग्राम Digital Gold को लीज पर द‍िया जा सकता है।

लीज की समय सीमा (Lease Term) 30 से 364 दिन की होती है. गोल्ड लीजिंग ऑफर (Gold Leasing

Offer) में ह‍िस्‍सा लेने के लिए आपका स्थायी खाता संख्या यानि PAN Card होना जरूरी है।

Sovereign Gold Bond Scheme क्या है, जानें डिजिटल गोल्ड में कैसे कर सकते हैं निवेश

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम ( Sovereign Gold Bond Scheme ) क्या है, जानें डिजिटल गोल्ड में कैसे कर सकते हैं निवेश हममें से अधिकांश लोग अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा बचा कर भविष्य के लिए संजो कर रखते हैं। कई लोग उस पूंजी को कहीं न कहीं निवेश करते हैं,जैसे कुछ लोग गोल्ड यानि सोना खरीदते हैं, डिजिटल गोल्ड क्या है कुछ प्रॉपर्टी, एलआईसी स्कीम, म्यूचुअल फंड आदि लेते हैं। केंद्र सरकार द्वारा भी नागिरकों के निवेश के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है। उसी में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी है। क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और कैसे करते हैं निवेश जानते हैं…

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Sovereign Gold Bond Scheme

26 अगस्त तक कर सकते हैं निवेश

डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के लिए इच्छुक निवेशकों के लिए सॉवरेन गोल्ड बांड की स्कीम है। ये स्कीम दूसरी बार फिर लॉन्च की गई है। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान इसके पहले जून के महीने में इस स्कीम की पहली सीरीज लॉन्च हुई थी। 22 अगस्त से शुरू हुई दूसरी सीरीज में 26 अगस्त यानि शुक्रवार तक निवेश किया जा सकेगा। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी सीरीज के तहत बॉन्ड का इश्यू प्राइस (सोने की कीमत) 5,197 रुपये प्रति यूनिट (ग्राम) तय किया गया है। पहले की तरह ही इस बार भी ऑनलाइन निवेश करने वाले और ऑनलाइन भुगतान करने वाले निवेशकों को सोने की कीमत में प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट दी जाएगी। इस तरह ऑनलाइन निवेशकों को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज के तहत एक यूनिट सोने के लिए 5,147 रुपये का ही भुगतान करना होगा।

कैसे तय होती है गोल्ड की कीमत

इसके पहले जून के महीने में आई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की पहली सीरीज के तहत सोने की कीमत 5,091 रुपये प्रति ग्राम तय की गई थी। इस बार सोने के बाजार भाव में अंतर होने की वजह से इसकी कीमत में प्रति ग्राम 106 रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। आपको बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत सोने की कीमत तय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक लॉन्चिंग डेट (सब्सक्रिप्शन शुरू होने की तारीख) से ठीक पहले के 3 कारोबारी दिनों के दौरान के सोने के बंद भाव को आधार बनाता है। इन तीन दिनों के बंद भाव के आधार पर ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत इश्यू प्राइस (सोने की प्रति ग्राम कीमत) तय की जाती है। इस सीरीज का इश्यू प्राइस तय करने के लिए 17,18 और 19 अगस्त के सोने के बंद भाव को आधार बनाया गया है।

स्कीम की अवधि 8 साल

स गोल्ड बॉन्ड स्कीम में भारतीय नागरिक, हिन्दू अनडिवाइडेड फेमिली (हिन्दू अविभाजित परिवार), ट्रस्ट्स, यूनिवर्सिटीज और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स पैसा लगा सकते हैं। इस स्कीम की अवधि 8 साल है। इस दौरान निवेशक को प्रतिवर्ष 2.5 प्रतिशत के फिक्स्ड रेट के हिसाब से ब्याज मिलेगा। ब्याज का भुगतान हर 6 महीने के अंतराल पर किया जाएगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 8 साल के लिए जरूर है, लेकिन जरूरत पड़ने पर 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद भी इस स्कीम से पैसा निकाला जा सकता है।

Sovereign Gold Bond Scheme : कितने ग्राम गोल्ड में कर सकते हैं निवेश

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई भी निवेशक न्यूनतम 1 ग्राम सोने के लिए निवेश कर सकता है। व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इस स्कीम के तहत निवेश की सीमा एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम तय की गई है। इसी तरह हिन्दू अनडिवाइडेड फेमिली (एचयूएफ) के लिए भी निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम तय की गई है। लेकिन ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स जैसी संस्थाएं 1 वित्त वर्ष में अधिकतम 20 किलो ग्राम सोने तक के लिए निवेश कर सकती हैं।

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