डिजाइन और इनोवेशन हमेशा रियलमी के मूल्यों की आधारशिला रहे हैं और 2023 में इसे आगे बढ़ाते हुए रियलमी डिजाइन स्टूडियो स्मार्टफोन्स में और अधिक लीप-फॉरवर्ड डिजाइन लाएगा, जो स्थानीय संस्कृति के साथ जुड़ेंगे और साथ ही नए डिजाइन ट्रेंड्स को सपोर्ट करेंगे और इंडस्ट्री ट्रेंड्स को परिभाषित करेंगे।
खत्म होगी डॉलर शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ Traders की बादशाहत, वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए उपलब्ध होगा डिजिटल रूपी
नई दिल्ली। आरबीआई ने हाल ही में डिजिटल रूपी पेश किया है। इस ऐतिहासिक कदम से न सिर्फ सरकार के डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी बल्कि अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को भी झटका लगेगा। जानकारों की मानें तो यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने जिस तरह रूस के विदेशी मुद्रा भंडार पर पाबंदी लगा दी। इससे कई देश समझ गए कि वैश्विक स्तर पर व्यापार के लिए डॉलर पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है।
डिजिटल मुद्रा दुनियाभर के देशों की यह चिंता कम कर सकता है। पहले ईरान और अब रूस ने जो रास्ता दिखाया है, उसका असर आने वाले दिनों में यह हो सकता है कि भारत अन्य देशों से कारोबार में रुपये में लेनदेन के विकल्प पर जोर देगा। इससे डॉलर पर निर्भरता कम होने के साथ निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अजय कुमार चौधरी का कहना है कि डिजिटल रूपी मुद्रा प्रणाली के शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ Traders सिस्टम में दक्षता लाएगी। भुगतान के तरीके में नया लचीलापन देने के साथ विदेश में होने वाले भुगतान को भी बढ़ावा देगा। सामाजिक और आर्थिक परिणामों से होने वाले नुकसानों से भी बचा जा सकेगा।
यह भी पढ़ें | CoWin ऐप पर अब Nasal Vaccine उपलब्ध, जनवरी से लगनी होगी शुरू; जानें कितनी होगी कीमत
डिजिटल रुपये का इस्तेमाल यूपीआई, एनईएफटी, आरटीजीएस, आईएमपीएस, डेबिट/क्रेडिट कार्ड आदि के जरिये भुगतानों के लिए किया जा सकता है। यह पारंपरिक ऑनलाइन लेनदेन से अलग है।
एमएसएमई : 1.31 करोड़ लोगों को मिला रोजगार
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को इस साल विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इससे छोटे उद्योग बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए। उद्यम पोर्टल के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल से 8 दिसंबर के बीच उद्यम-पंजीकृत 7,995 एमएसएमई बंद हुए। इस बीच, एमएसएमई ने 1.31 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए।
यूक्रेन पर रूस के हमले ने पैदा किए ऐसे हालात
2022 की शुरुआत में वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी से शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ Traders उबर रही थी। उसी बीच यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया और कमोडिटी की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गईं, जिससे और भू-राजनीतिक तनाव पैदा हो गया। कोरोना की मार से परेशान चीन के कड़े लॉकडाउन और जीरो-कोविड पॉलिसी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को और प्रभावित किया। रूस पर प्रतिबंध लगाने वाले राष्ट्रों ने वैश्विक विकास दृष्टिकोण को खराब कर दिया था। यूरोप के कई देश इन दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के चलते काफी प्रभावित हुए हैं।
विश्व बैंक (World Bank) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौद्रिक नीति के कड़े होने के बीच दुनिया को 2023 में मंदी का सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय संस्थान ने महंगाई को कम करने के लिए उत्पादन बढ़ाने और आपूर्ति बाधाओं को दूर करने का भी आह्वान किया है।
अमेरिका में मंदी से भारत को फायदा
अगर अमेरिका में मंदी आती है तो इसका सीधा फायदा उन देशों को मिलेगा जो अमेरिका से समान खरीदते हैं, क्योंकि जब मंदी किसी देश में आती है तो मांग कम हो जाती है और कंपनियां प्रोडक्ट के दाम में कमी करती हैं। तो जो देश वहां से समान खरीदता है उसे सस्ते में समान मिल जाता है। भारत अमेरिका समते कई देशों से कच्चे तेल खरीदता है। महंगाई आने से कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट आएगी। सिटीबैंक ने ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगभग 60 डॉलर की कमी आने का अनुमान लगाया है। अगर अमेरिका 2022 के अंत तक मंदी की चपेट में आ जाता है। क्रूड ऑयल सस्ता होने से भारत में बढ़ रही महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी।
भारत के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या डॉलर की मजबूती या रुपये में आई गिरावट है। आप इसे सिक्के के दो पहलू कह सकते हैं। मंदी की मार झेल रहा अमेरिका अपनी इकोनॉमी को जितना मजबूत बनाएगा, डॉलर पर निर्भर अर्थव्यवस्थाएं लुढ़कती ही जाएंगी। रुपये की कीमत में गिरावट का एक कारण डॉलर की मजबूती भी है, जो भारत ही नहीं कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की कमर तोड़ रही है। पाकिस्तान में 1 डॉलर 200 के पार है तो नेपाल में विनिमय दर 400 के पार चली गई है। डॉलर महंगा होने से देश में आयात होने वाला सब सामान महंगा हो जाता है। 2014 से लेकर अब 25 प्रतिशत तक टूट चुका है। वहीं सिर्फ एक साल में ही रुपया 74 से 80 तक लुढ़क चुका है।
रुपये में हो सकेगा कारोबार
भारतीय इक्विटी बाजार वैश्विक रुझान से अलग हो रहे हैं। भारत तेल के झटके की चपेट में है क्योंकि यह अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का तीन-चौथाई से अधिक शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ Traders आयात करता है। हालांकि, देश के साथ अपने स्वस्थ संबंधों के कारण रूस के साथ एक समझौता करने में सक्षम था। इसने उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में महंगाई को कम करने में मदद करने के लिए रूस से अतिरिक्त मात्रा में तेल का उचित मूल्य पर आयात करना शुरू कर दिया। हाल ही में एक खबर आई कि भारत रूस से इंडियन रूपये में तेल की खरीद करेगा। जो कि काफी राहत की खबर है। इससे तेल के चलते भारत की डॉलर पर निर्भरता कम होगी। यूएस और भारत की डॉलर इंडेक्स के लिए ब्याज दरें अगले साल चरम पर पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ ही, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी से एफआईआई का पैसा भारत में आने के बजाय अमेरिका की ओर बढ़ेगा।
निर्यात और घरेलू मांग में वृद्धि के नरम होने के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि धीमी होकर 5.7 प्रतिशत रह जाएगी। हालांकि, यह तब भी चीन और सऊदी अरब समेत कई अन्य जी20 अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने के बाद अर्थव्यवस्था आने वाली तिमाहियों में धीमी हो जायेगी और 2023-24 में यह 5.7 प्रतिशत तथा 2024-25 में सात प्रतिशत पर पहुंचेगी।
बाजार में नगदी पर्याप्त
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से पखवाड़े के आधार पर 4 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 21 अक्टूबर तक जनता के बीच चलन में मौजूद मुद्रा का स्तर बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह आंकड़ा चार नवंबर 2016 को समाप्त पखवाड़े में 17.7 लाख करोड़ रुपये था। एक्सपर्ट हमेशा कहते हैं कि जब बाजार में कैश उपलब्ध होता है तब खरीद-बिक्री होती रहती है, जो अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद करती है।
मंदी से जूझती दुनिया के बीच भारत के बाजारों में त्योहारी सीजन के चलते रौनक रही। छोटे से लेकर बड़े व्यापारी कोविड महामारी के बाद से पहली बार खुलकर अपना बिजनेस कर पाए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले धनतेरस के मौके पर 45 हजार करोड़ का बिजनेस हुआ। इस साल दिवाली पर हुए जोरदार कारोबार से उत्साहित दिल्ली समेत देश भर के व्यापारी अब शादी के सीजन में होने वाली खरीदारी के तैयारी में जुट गए हैं। यह 14 नवंबर से 14 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान लाखों की संख्या में शादियां होंगी और करोड़ो में पैसे खर्च किए जाएंगे। सीएआईटी रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, इस अवधि के दौरान देश भर में लगभग 32 लाख शादियां होंगी, जिसमें लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी और व्यवसाय में विभिन्न सेवाएं प्राप्त करना शामिल है।
एक नई दृष्टि और महत्वाकांक्षा के साथ 5वें वर्ष में कर रहे हैं प्रवेश : रियलमी
वर्ष 2022 भारत के स्मार्टफोन उद्योग के लिए एक इवेंटफुल वर्ष रहा है और रियलमी के लिए एक अभूतपूर्व वर्ष रहा है। इसने भारत और अन्य वैश्विक बाजारों में विभिन्न उप्लब्धियां हासिल की हैं। कंपनी ने मंगलवार को ये बात कही। युवाओं के लिए लीप-फॉरवर्ड टेक्नोलॉजी लाने के ब्रांड के प्रयासों और स्थानीय संस्कृतियों और युवाओं से जुड़ने के लिए विभिन्न पहलों को लोगों ने काफी मान्यता दी, जिसके कारण इस वर्ष इंटरनेशनल डाटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) द्वारा सबसे भरोसेमंद प्रौद्योगिकी ब्रांड के रूप में इसे पहचान मिली।
यह 150 मिलियन रियलमी यूजर्स के भरोसे को भी दर्शाता है, जिसे कंपनी ने समय के साथ बनाया है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 604