3. तीसरा उपाय है, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो आरबीआई भी ब्याज दरें बढ़ाता जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और 125 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का संकेत दिया है। भारत में इस तरह के इजाफे की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इससे इकॉनमिक रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।
Rupee Vs Dollar: डॉलर के आगे दुबला होता जा रहा रुपया! गिरावट का बनाया नया रिकॉर्ड, 83 के आंकड़े को किया पार
लोड न ले आरबीआई
ऐसे में ठीक यही लग रहा है कि रुपये को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल न किया जाए। आरबीआई रुपये की चाल में तब तक कोई दखल न दे, जब तक कि इसमें अचानक बहुत तेज गिरावट न आए। बाजार के हिसाब से यह जहां तक गिरता है, गिरने दे। इस रणनीति के फायदे भी हैं।

इमेज – प्रधानाचार्य का संदेश

मानव पूंजी किसी भी संगठन की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधनों में से एक है, यही कारण है कि कर्मचारियों को सबसे मूल्यवान संपत्ति माना जाता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इस मानव पूंजी का पोषण और विकास एक संरचित प्रशिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से किया जाये, जो उनके ज्ञान को अद्यतन करने और कौशल को बढ़ावा देने में सहायक हो।

एक साथ बड़े पैमाने पर हुई सेवानिवृत्ति और नए युवा पदधारियों के आगमन की वजह से विशेषज्ञता और ज्ञान में हुई कमी ,ये सब मिलकर कोविड 19 महामारी, शुरू- शुरू में, प्रत्यक्ष रूप से एक बड़ा झटका था । लेकिन कोविड 19 संकट से उपजी नई वास्तविकताओं ने डिजिटल प्रशिक्षण उपकरणों की सहायता से निरंतर सीखते रहने के महत्व को रेखांकित किया है।

तदनुरूप, डिजिटल मोड के माध्यम से प्रशिक्षण शुरू किया गया और जिसने तेजी से गति पकड़ी। ऋण, एमएसएमई वित्त , कृषि वित्त , विदेशी विनिमय, ऋण निगरानी, घाटे में चल रही शाखाओं का लाभ में बदलना , लिपिक / परिवीक्षाधीन अधिकारियों के लिए प्रेरणा प्रशिक्षण तथा संगठन को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सभी कर्मचारियों को विभिन्न क्षमता क्षेत्रों के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करने एवं कौशल और दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म ‘ ई पाठशाला ‘ को भी नए मॉड्यूल और ई प्रोग्राम के साथ मजबूत किया गया है।

प्रशिक्षण सामग्री, पावर प्वाइंट प्रस्तुतियों और विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म में पोर्ट किया गया है जिससे सीखना और समझना अधिक सहज और उपयोगकर्ता के अनुकूल बना दिया गया है।

कर्मचारियों को काम के दौरान प्रयोग में लाए जाने के लिए आवश्यक जानकारी और प्रशिक्षण देकर, हम विश्वास और आशा करते हैं कि वे ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने और बैंकिंग में उन्हें सुखद अनुभव प्रदान करने के लिए बेहतरीन रूप से तैयार हैं। सेवा का यह उच्च-गुणवत्ता वाला स्तर पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है , क्योंकि यह ब्रांड इंडियन बैंक की बात करता है और कैसे संकट पर साथ दे सकता है , और ग्राहकों को आराम देकर, हमारी वफादारी सुनिश्चित करके व्यापार को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

आधुनिक शिक्षण समाधान, पारदर्शिता की संस्कृति को अपनाने का अवसर प्रदान करता हैं, जो वास्तविक समय में होनेवाले संचार पर आधारित होता है और विश्वास और वफादारी की ओर प्रेरित करता है, तथा कर्मचारियों की ओर से मांग किए जाने पर दिए जानेवाला प्रशिक्षण उनके पेशेवर और व्यक्तिगत विकास में निवेश करता है।

सीखने में गतिशीलता प्रदान करने के अलावा, इंडियन बैंक, प्रशिक्षण प्रणाली द्वारा कर्मचारियों को अपनी क्षमता को पहचानने और खुद को नौकरी में एक प्रोफेशनल के रूप में स्थापित करने का प्रयास करता है। कर्मचारी के आंतरिक मूल्य के निर्माण की आवश्यकता और जिम्मेदारी से व्यवसाय करके उन्हें संगठन के लिए एक संपत्ति के रूप में विकसित करने की ओर ध्यान देता है।

हमारे कुशल प्रश्न समाधान पोर्टल “शंका समाधान” ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत अधिक प्रोत्साहन प्राप्त किया है, जो कर्मचारियों के नियमित रूप से परिचालनगत समस्याओं के निवारण में बढ़ती तकनीकी-उन्मुखीकरण का एक स्वस्थ प्रतिबिंब भी है। हमारे मासिक ई-पत्रिकाएँ अर्थात् बैंकिंग अपडेट्स और नॉलेज बैंक , में समसामयिक और दिलचस्प विषयों पर लेख उपलब्ध हैं , जिन्हें हेल्प डेस्क में पोर्ट किया जा रहा है।

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अमेरिका को टक्कर: विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर मुक्त करने के रूस के फैसले से खुश है चीन

विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों के असर से बचने के लिए रूस ने ये बड़ा कदम उठाया है। डॉलर में कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बहुत बुरा असर पड़ता है। रूस के वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस समय दुनिया के अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति संबंधी रूझानों को देखते हुए उसने डॉलर से खुद को मुक्त करने का फैसला किया.

युआन चीन डिजिटल मुद्रा

रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर को हटाने का लक्ष्य पूरा कर लेने से चीन खुश है। उसका मनोबल इस बात से और ज्यादा बढ़ा है कि रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अब चीनी मुद्रा युवान को अधिक जगह देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि बीते हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया। इसके पहले तक उसके भंडार में 35 फीसदी हिस्सा डॉलर का था। दूसरी तरफ रूस ने युवान का हिस्सा बढ़ा कर 30.4 फीसदी करने का फैसला किया। यूरो के बाद सबसे ज्यादा अहमियत रूस ने युवान को ही दी है। यूरो का हिस्सा 39.7 फीसदी रखने का फैसला किया गया है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि रूस के इस कदम से चीन के आर्थिक विकास में उसके भरोसे की झलक मिली है। साथ ही इससे यह जाहिर हुआ है कि रूस चीन के साथ अपने सहयोग को भविष्य में और बढ़ाने का पक्का इरादा रखता है। वांग ने कहा कि रूस और चीन के संबंध दोनों के लिए फायदेमंद हैं और चीन भी इसे बढ़ावा देता रहेगा।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन दुनिया के कारोबार में अपनी मुद्रा की भूमिका बढ़ाने की रणनीति पर चल रहा है। उसे भरोसा है कि साल 2050 तक युवान दुनिया भर में ‘पसंदीदा मुद्रा’ (करेंसी ऑफ चॉइस) बन जाएगी। ये लक्ष्य इसी साल मई के मध्य में हुई एक बैठक में तय किया गया था। उस बैठक में चीन ने अपने घरेलू बाजार के विकास का फैसला किया था, ताकि भविष्य में उसे निर्यात आधारित विकास रणनीति पर कम निर्भर रहना पड़े। चीन की सोच यह है कि वह अपने बड़े बाजार के कारण दुनियाभर के कारोबारियों को चीन की शर्तों पर व्यापार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

इसी रणनीति के हिस्से के तौर पर चीन युवान को वैश्विक मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल उसने डिजिटल युवान का प्रयोग इसी मकसद से शुरू किया था। उसने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कारोबार की व्यवस्था स्विफ्ट के साथ एक साझा उद्यम भी शुरू किया है। स्विफ्ट अमेरिका से संचालित व्यवस्था है।

पिछले हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं की भूमिका के बारे में नई योजना का एलान किया था। उसके उसके मुताबिक उसके भंडार में अब यूरो और युवान के अलावा ब्रिटिश पाउंड का हिस्सा पांच फीसदी, जापानी येन का 4.7 फीसदी और स्वर्ण का 20.2 फीसदी होगा। गौरतलब है कि रूस ऐसा पहला बड़ा देश है, जिसने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया है।

विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों के असर से बचने के लिए रूस ने ये बड़ा कदम उठाया है। डॉलर में कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बहुत बुरा असर पड़ता है। रूस के वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस समय दुनिया के अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति संबंधी रूझानों को देखते हुए उसने डॉलर से खुद को मुक्त करने का फैसला किया। उसने यूरो और युवान की भूमिका इसलिए बढ़ाई है, क्योंकि यूरोपियन यूनियन और चीन रूस के सबसे बड़े व्यापार भागीदार बन कर उभरे हैं।

विस्तार

रूस के अपने विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर को हटाने का लक्ष्य पूरा कर लेने से चीन खुश है। उसका मनोबल इस बात से और ज्यादा बढ़ा है कि रूस ने नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अब चीनी मुद्रा युवान को अधिक जगह देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि बीते हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया। इसके पहले तक उसके भंडार में 35 फीसदी हिस्सा डॉलर का था। दूसरी तरफ रूस ने युवान का हिस्सा बढ़ा कर 30.4 फीसदी करने का फैसला किया। यूरो के बाद सबसे ज्यादा अहमियत रूस ने युवान को ही दी है। यूरो का हिस्सा 39.7 फीसदी रखने का फैसला किया गया है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि रूस के इस कदम से चीन के आर्थिक विकास में उसके भरोसे की झलक मिली है। साथ ही इससे यह जाहिर हुआ है कि रूस चीन के साथ अपने सहयोग को भविष्य में और बढ़ाने का पक्का इरादा रखता है। वांग ने कहा कि रूस और चीन के संबंध दोनों के लिए फायदेमंद हैं और चीन भी इसे बढ़ावा देता रहेगा।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक चीन दुनिया के कारोबार में अपनी मुद्रा की भूमिका बढ़ाने की रणनीति पर चल रहा है। उसे भरोसा है कि साल 2050 तक युवान दुनिया भर में ‘पसंदीदा मुद्रा’ (करेंसी ऑफ चॉइस) बन जाएगी। ये लक्ष्य इसी साल मई के मध्य में हुई एक बैठक में तय किया गया था। उस बैठक में चीन नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों ने अपने घरेलू बाजार के विकास का फैसला किया था, ताकि भविष्य में उसे निर्यात आधारित विकास रणनीति पर कम निर्भर रहना पड़े। चीन की सोच यह है कि वह अपने बड़े बाजार के कारण दुनियाभर के कारोबारियों को चीन की शर्तों पर व्यापार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

इसी रणनीति के हिस्से के तौर पर चीन युवान को वैश्विक मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल उसने डिजिटल युवान का प्रयोग इसी मकसद से शुरू किया था। उसने अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कारोबार की व्यवस्था स्विफ्ट के साथ एक साझा उद्यम भी शुरू किया है। स्विफ्ट अमेरिका से संचालित व्यवस्था है।

पिछले हफ्ते रूस ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं की भूमिका के बारे में नई योजना का एलान किया था। उसके उसके मुताबिक उसके भंडार में अब यूरो और युवान के अलावा ब्रिटिश पाउंड का हिस्सा पांच फीसदी, जापानी येन का 4.7 फीसदी और स्वर्ण का 20.2 फीसदी होगा। गौरतलब है कि रूस ऐसा पहला बड़ा देश है, जिसने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर का हिस्सा शून्य कर दिया है।

विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों के असर से बचने के लिए रूस ने ये बड़ा कदम उठाया है। डॉलर में कारोबार पर अमेरिकी प्रतिबंधों से बहुत बुरा असर पड़ता है। रूस के वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस समय दुनिया के अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति संबंधी रूझानों को देखते हुए उसने डॉलर से खुद को मुक्त करने का फैसला किया। उसने यूरो और युवान की भूमिका इसलिए बढ़ाई है, क्योंकि यूरोपियन यूनियन और चीन रूस के सबसे बड़े व्यापार भागीदार बन कर उभरे हैं।

Dollar vs Rupee : गिरते रुपये का आखिर क्या करे सरकार? वेट एंड वॉच की रणनीति से होगा फायदा?

Dollar vs Rupee : महामारी के दौरान एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक जा सकता है। इससे रुपये में और गिरावट आ सकती है।

Dollar vs Rupee

Dollar vs Rupee : गिरते रुपये को बचाने के लिए अपनायी जाए यह रणनीति

हाइलाइट्स

  • यूएस डॉलर के मुकाबले बीते हफ्ते 83.26 तक चला गया रुपया
  • यूएड फेड के ब्याज दरें बढ़ाने से मजबूत हो रहा डॉलर
  • व्यापार घाटा बढ़ा तो रुपये में और आएगी गिरावट

- अभी दुनिया में 80 फीसदी से ज्यादा व्यापार डॉलर में हो रहा है।

- तमाम देशों के केंद्रीय बैंक जो विदेशी मुद्रा भंडार रखते हैं, उसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा डॉलर में है।

- रुपया इस साल अब तक 10 प्रतिशत से गिरा है तो जापानी येन में 22 प्रतिशत से ज्यादा नरमी आ चुकी है।

- साउथ कोरियन वॉन और ब्रिटिश पौंड 17-17 प्रतिशत गिरे हैं।

- यूरो भी इस साल अब तक 14 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है।

- चाइनीज रेनमिबी की वैल्यू 12 प्रतिशत घट चुकी है।

क्यों मजबूत हो रहा डॉलर
यूक्रेन युद्ध के चलते पूरा यूरोप बेहाल है। जर्मनी से लेकर फ्रांस, ब्रिटेन और तुर्की तक में महंगाई आसमान छू रही है। दुनिया में एक बार फिर मंदी का खतरा जताया जा रहा है। इकॉनमी से जुड़ा रिस्क जब भी बढ़ता है, निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर की ओर भागते हैं। एक और फैक्टर है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दर बढ़ा रहा है। वह इस साल मार्च से अपना पॉलिसी रेट 3 प्रतिशत बढ़ा चुका है। इससे विदेशी निवेशक दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स और भारत से पैसे निकालने लगे हैं, क्योंकि अमेरिका में उन्हें रिस्क फ्री बेहतर रिटर्न दिख रहा है।

चालू खाता घाटा
रुपये पर दबाव बढ़ने के पीछे एक और फैक्टर है भारत का बढ़ता करंट एकाउंट डेफिसिट। जब निर्यात से होने वाली कमाई के मुकाबले आयात पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, तो करंट एकाउंट डेफिसिट की स्थिति बनती है। कोविड महामारी के दौरान भारत से एक्सपोर्ट बढ़ा था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। सितंबर में तो एक्सपोर्ट घट भी गया। अगर यही हाल रहा तो साल 2022-23 में चालू खाते का यह घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत तक भी जा सकता है। यह पिछले 10 वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर होगा। क्रूड ऑयल इंपोर्ट के चलते भी चालू खाते का घाटा और बढ़ने का खतरा है। क्रूड ऑयल निर्यात करने वाले देशों ने तय किया है कि वे नवंबर से उत्पादन 20 लाख बैरल प्रतिदिन घटाएंगे। इससे दाम और चढ़ेगा।

क्या करे भारत?
अब आते हैं इस सवाल पर कि रुपये के मामले में भारत क्या कर सकता है। विकसित देशों में महंगाई चार दशकों के ऊंचे स्तर पर है। वहां मंदी आने का खतरा बढ़ गया है। लिहाजा वहां भारत की वस्तुओं और सेवाओं की डिमांड घटी है। देश में डिमांड बढ़ाकर इसकी भरपाई हो सकती है, लेकिन कुछ हद तक ही। ऐसे में देखते हैं कि भारत सरकार के सामने क्या विकल्प हैं और वे कितने प्रभावी हो सकते हैं।

1. पहला उपाय है देश में चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ाने के लिए टैक्स घटाया जाए। इससे चीजों और सेवाओं की डिमांड बढ़ेगी, इकॉनमी स्टेबल होगी। लेकिन टैक्स घटने से सरकार के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा। वैसे भी आम बजट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के आसपास रहेगा। अभी कर्ज का स्तर भी बहुत बढ़ गया है। सरकारी कर्ज और जीडीपी का रेशियो लगभग 90 प्रतिशत हो चुका है। इन हालात को देखते हुए सरकार के पास राजकोषीय मदद देने की गुंजाइश बहुत कम रह गई है।

2. दूसरा उपाय यह है कि डॉलर की बढ़ती डिमांड का दबाव घटाने के लिए आरबीआई डॉलर बेचे। आरबीआई ने ऐसा किया भी है। लेकिन इससे बात नहीं बनी, उलटे सालभर में विदेशी मुद्रा भंडार करीब 110 अरब डॉलर घट गया। करंट एकाउंट डेफिसिट अगर मामूली होता तो डॉलर बेचने से कुछ मदद मिल सकती थी। लेकिन मामला ऐसा है नहीं।

3. तीसरा उपाय है, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं तो आरबीआई भी ब्याज दरें बढ़ाता जाए। लेकिन दिक्कत यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर और 125 बेसिस पॉइंट बढ़ाने का संकेत दिया है। भारत में इस तरह के नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों इजाफे की गुंजाइश नहीं है क्योंकि इससे इकॉनमिक रिकवरी को बड़ा झटका लग सकता है।
Rupee Vs Dollar: डॉलर के आगे दुबला होता जा रहा रुपया! गिरावट का बनाया नया रिकॉर्ड, 83 के आंकड़े को किया पार
लोड न ले आरबीआई
ऐसे में ठीक यही लग रहा है कि रुपये को सहारा देने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल न किया जाए। आरबीआई रुपये की चाल में तब तक कोई दखल न दे, जब तक कि इसमें अचानक बहुत तेज गिरावट न आए। बाजार के हिसाब से यह जहां तक गिरता है, गिरने दे। इस रणनीति के फायदे भी हैं।

1. एक फायदा तो यही है कि विदेशी मुद्रा भंडार के इतने बड़े इस्तेमाल की जरूरत नहीं रहेगी। फॉरेन एक्सचेंज बचा रहेगा तो अचानक लगने वाले किसी भी बाहरी झटके से इकॉनमी को बचाने में काम आएगा।

2. दूसरी बात, रुपया नरम रहेगा तो भारतीय निर्यात को फायदा मिलेगा।

3. ट्रेड डेफिसिट और करंट एकाउंट डेफिसिट घटाने के लिए आयात घटाने के साथ निर्यात बढ़ाना भी जरूरी है।

4. वैश्विक बाजार में चीन का दबदबा कुछ घटता दिख रहा है। उस जगह को भरने के लिए सरकार को निर्यात पर सब्सिडी देने जैसे कदम उठाने होंगे। लेकिन रुपये में कमजोरी इस मामले में कहीं ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

कुल मिलाकर इस स्ट्रैटेजी में फायदे ज्यादा हैं, नुकसान कम। अच्छी बात यह है कि आरबीआई अब इसी राह पर आ चुका है। ध्यान केवल इतना रखना होगा कि रुपया इतना कमजोर न हो जाए कि इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ जाए।

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भारत-मध्य एशियाई देशों की बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए बनी रणनीति, चीन को भी दिया स्पष्ट संदेश

भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों, सुरक्षा परिषदों के सचिवों की पहली बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित की गई। इसमें भारत और मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने संयुक्त बयान में एक शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन को दोहराया। वहीं इसकी संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर भी जोर दिया

भारत-मध्य एशियाई देशों की बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए बनी रणनीति, चीन को भी दिया स्पष्ट संदेश

नई दिल्ली: भारत-मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों, सुरक्षा परिषदों के सचिवों की पहली बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित की गई.इसमें भारत और मध्य एशिया के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने संयुक्त बयान में एक शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए मजबूत समर्थन को दोहराया. वहीं इसकी संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर भी जोर दिया इसी के साथ इसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया. वहीं चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव को लेकर स्पष्ट संदेश दिया गया.

इस बैठक में भारत, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान गणराज्य के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों/सचिवों ने भाग लिया। वहीं तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व उनके राजदूत ने किया। सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग किसी भी आतंकवादी कृत्यों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या आतंक के वित्तपोषण करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. यह भी पढ़े: आतंकवाद पर एक विशेष बैठक के लिए संरा सुरक्षा परिषद के सदस्यों की मेजबानी करेगा भारत

सभी प्रतिनिधियों ने मौजूदा बिगड़ती मानवीय स्थिति और अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया. इसके आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़े शब्दों में निंदा की और इस खतरे से लड़ने के लिए सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया.

सभी ने नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों माना कि आतंकवादी प्रचार, भर्ती और फंड उगाही करना क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे हैं। सभी इस बात पर सहमत हुए की नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग, हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी, सीमा पार आतंकवाद के लिए आतंकवादी प्रॉक्सी का उपयोग, दुष्प्रचार फैलाने के लिए साइबर स्पेस का दुरुपयोग और मानव रहित हवाई प्रणालियां आतंकवाद विरोधी प्रयासों में नई चुनौतियां पेश करती हैं.इसके लिए सामूहिक कार्रवाई की नई विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों जाए.

चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के परोक्ष संदर्भ में बयान में कहा गया, वे इस बात पर सहमत हुए कि संपर्क की पहल पारदर्शिता, व्यापक सहभागिता, स्थानीय प्राथमिकताओं, सभी देशों के लिए वित्तीय मजबूती तथा संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए. बैठक में प्रतिभागियों ने क्षेत्र में आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ की आम चुनौतियों के मद्देनजर अपने देशों की सुरक्षा परिषदों के बीच नियमित संवाद के महत्व को रेखांकित किया.

सुरक्षा सलाहकारों ने चाबहार पोर्ट द्वारा अफगानिस्तान में मानवीय संकट के दौरान निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका सहित व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगान लोगों को मानवीय सामान की डिलीवरी में मध्य एशियाई देशों के लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्च र पर भी जोर दिया। सुरक्षा अधिकारियों ने आईएनएसटीसी के ढांचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का भी समर्थन किया.

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