- सीबीडीसी क्या है?
किसी फिजिकल नोट की तरह सीबीडीसी एक लीगल टेंडर है. इसके बदले भारतीय रिजर्व बैंक आपको पैसे चुकाने का आश्वासन देता है. हम कानूनी रूप से इसे स्वीकार कर सकते हैं. यह कमर्शियल बैंक मनी के बदले फ्री में बदला जा सकता है. आप इसे डिजिटल नोट की तरह समझ सकते हैं. - सीबीडीसी UPI से किस तरह अलग है?
यूपीआई या यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस में आपको एक बैंक की जरूरत होती है जो आपके ट्रांजैक्शन को वैलिडेट करता है. सीबीडीसी में आपको किसी बैंक या बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं है. मुद्रा के लेनदेन में के सेटलमेंट में लगने वाला समय कम हो जाएगा और यह नकदी का विकल्प बन सकता है. - सीबीडीसी की जरूरत क्या है?
बैंक डिपाजिट की तुलना में सीबीडीसी अधिक सिक्योर है. आपके बैंक में रखी ₹500000 तक की रकम का इंश्योरेंस होता है. सीबीडीसी की गारंटी आरबीआई देता है और इस वजह से आपके डिजिटल करेंसी की रकम के नुकसान का खतरा कम हो जाता है. - सीबीडीसी से सरकार को क्या फायदा है?
सीबीडीसी या ई-रूपी से सरकार का फिजिकल कैश मैनेजमेंट का खर्च घट जाएगा. भारत सरकार पैसे छापने पर करीब ₹5000 करोड़ खर्च करती है. सीबीडीसी के आने के बाद सरकार को नोट छापने, रखने, उसे लाने ले जाने और सेटलमेंट आदि में काफी मदद मिलने वाली है. इसके साथ ही यह करेंसी एनवायरमेंट फ्रेंडली होगी. - सीबीडीसी के और फायदे क्या हैं?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के प्रयोग से क्रॉस बॉर्डर पेमेंट सिस्टम में व्यापक सुधार आ जाएगा. भारत दुनिया से पैसे बनाने वाला सबसे बड़ा देश है. साल 2021 में भारत को विदेश से 87 अरब डालर की रकम मिली थी. विदेश से पैसे मंगाने के मामले में लागत बहुत अधिक आती है, उसकी स्पीड स्लो होती है, उसका एक्सेस लिमिटेड होता है और उसमें ट्रांसपेरेंसी नहीं होती. सीबीडीसी के प्रयोग से इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा.
Digital Currency : जानिए क्या हैं डिजिटल रुपी के फायदे? बदल जाएगा ट्रांजेक्शन का तरीका
Digital Rupee : देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो जाएगी.
Digital Currency : भारत में डिजिटल करेंसी यानि वर्चुअल करेंसी (Digital Rupee) की एक नवंबर से शुरुआत हो गई है. रिजर्व बैंक ने 01 नवंबर 2022 को अपनी डिजिटल करेंसी को लॉन्च कर दिया है. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के नाम से भी जाना जाता है. शुरूआत में इस प्रोजेक्ट में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के करीब 9 बैंकों को जोड़ा गया है. हालांकि, अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. अभी होलसेल ट्रांजेक्शन में इस्तेमाल किया जाएगा. 1 महीने के अंदर इसका रिटेल इस्तेमाल भी शुरू हो जाएगा. बता दें कि डिजिटल रूपी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा. इसका इस्तेमाल उसी तरह से होगा, जैसे क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होता है.
आरबीआई के डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं अनुसार यह पेमेंट का माध्यम होगा, जो सभी नागरिक, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा. इसकी वैल्यू सेफ स्टोर वाले लीगल टेंडर नोट (मौजूदा करेंसी) के बराबर ही होगी. देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो जाएगी. RBI द्वारा रेगुलेट किए जाने से यह सेफ होगा. CBDC देश का डिजिटल टोकन होगा.
रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर से बड़े ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले डिजिटल रुपी के लिए कुल 9 बैंकों का चयन किया है. इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट की कामयाबी के बाद इसमें और बैंकों को भी जोड़ा जाएगा. एक नवंबर से डिजिटल रुपी का इस्तेमाल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाएगा. रिजर्व बैंक के मुताबिक, इसका इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद बिक्री के लिए होगा. लेकिन एक महीने के अंदर रिटेल ट्रांजेक्शन के लिए भी इसको इस्तेमाल लाया जाएगा.
रोजमर्रा के लेनदेन में होगी आसानी
डिजिटल रुपी के 2 फॉर्म हैं. पहला रिटेल (CBDC-R) और दूसरा होलसेल (CBDC-W) इस्तेमाल के लिए. रिटेल CBDC सभी कंज्यूमर यानी प्राइवेट सेक्टर, नॉन फाइनेंशियल कंज्यूमर्स और बिजनेस के लिए होगा. जबकि होलसेल CBDC सेलेक्टेड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए होगा. रिटेल CBDC रिटेल ट्रांजेक्शन का ही इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है. इसका इस्तेमाल लोग रोजमर्रा के लेनदेन के लिए भी कर सकेंगे. जिससे लोगों को कैश ले जाने से राहत मिलेगी. इसके साथ ही कई समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाएगा.
ये भी पढ़ें
भारतीय रक्षा निर्माण के लिए क्यों महत्वपूर्ण है C-295 प्रोजेक्ट? यहां जानें पूरी डिटेल
रिटायर होने वाले कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत, सरकार ने बदल दिया ये नियम
देश की इस सरकारी कंपनी पर RBI ने कसा शिकंजा, लगाया इतने लाख रुपए का जुर्माना
ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए 8 डॉलर महीना देना होगा, पढ़ें 01 नवंबर 2022 की खबरों के बड़े अपडेट्स
डिजिटल रुपी को UPI से जोड़ने की तैयारी
E-Rupee को आप अपने मोबाइल वॉलेट में भी रख सकेंगे. इसके अलावा यूजर्स इसे बैंक मनी और कैश में डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं आसानी से कन्वर्ट भी करा सकेंगे. आप किसी को भी पेमेंट करने के लिए इस डिजिटल रूपी का इस्तेमाल कर सकते हैं. CBDC इलेक्ट्रॉनिक रूप में अकाउंट में दिखेगा और करेंसी नोट से इसे बदला भी जा सकेगा. ठीक उसी तरह जैसे हम ऑनलाइन अपना बैंक अकाउंट बैलेंस चेक करते हैं या मोबाइल वॉलेट चेक करते है, उसी तरह E-Rupee को इस्तेमाल कर सकेंगे. डिजिटल रुपी को UPI से भी जोड़े जाने की तैयारी है. डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत में कमी आएगी. हालांकि, इस डिजिटल करेंसी के आने से देश की मौजूदा ट्रांजेक्शन सिस्टम में कोई बदलाव नहीं होगा. इससे लोग Paytm, PhonePe जैसे दूसरे अहम वॉलेट से लेन देन कर सकते हैं.
Cryptocurrency और Digital Rupee में क्या है फर्क, अगर शुरु हो गया इसका इस्तेमाल तो आपको क्या होगा फायदा?
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी को टक्कर देने के लिए भारत में पहली बार करेंसी को डिजिटल रूप में लाया गया है. एक नवंबर को डिजिटल रुपी (Digital Rupee) यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है. फिलहाल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India- RBI) कुछ समय तक इसमें आने वाली चुनौतियों को परखेगा और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद इसके इस्तेमाल को शुरू किया जाएगा.
RBI ने अभी इसे होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है और इसे होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट नाम दिया है. लेकिन अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में डिजिटल रुपी का इस्तेमाल आम लोग भी करेंगे. ऐसे में ये समझना बहुत जरूरी है कि आखिर डिजिटल रुपी और क्रिप्टोकरेंसी में क्या फर्क है और इससे आम लोगों को क्या फायदा होगा?
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी: ये एक विकेंद्रित (Decentralized) डिजिटल संपत्ति है. इसके जरिए डिजिटल तरीके से लेनदेन किया जा सकता है. ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी अलग-अलग जगहों पर स्टोर रहती है. ब्लॉकचेन ऐसी तकनीक है जिससे Digital Currency बनाने के साथ ही किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ये एक तरह का डिजिटल लेजर है. लेकिन चिंता वाली बात ये है कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए कोई बैंक या अन्य संस्था नहीं है और न ही इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती है. ये पूरी तरह से निजी करेंसी है. इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है.
डिजिटल रुपी: डिजिटल रुपी से भी लेनदेन को क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही डिजिटल माध्यम से ही किया जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा फर्क है कि ये पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. इसमें नियामक के रूप में आरबीआई और लेन-देन की मदद के लिए दूसरे बैंक मौजूद रहेंगे. किसी भी तरह की दिक्कत आने पर वित्तीय संस्थान दखल दे सकते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये संभव नहीं है. यूपीआई और पेमेंट वॉलेट के जरिए किए जाने वाले डिजिटल भुगतान से ये पूरी तरह से अलग है. वहीं डिजिटल रुपी में उतार-चढ़ाव जैसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. इसके अलावा डिजिटल रुपी को नकदी में बदला जा सकेगा.
क्या है डिजिटल रुपया, डिजिटल करेंसी से कैसे है अलग, जिनका नहीं है बैंक अकाउंट क्या उनको भी मिलेगी मदद?
किसी पेपर करेंसी नोट की तरह डिजिटल रुपये की हर यूनिट यूनिक होगी.
आरबीआई का कहना है कि इससे वित्तीय नीतियों के क्रियान्वयन में आसानी होगी. इसे किसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी से अधिक सुरक् . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 24, 2022, 07:30 IST
हाइलाइट्स
डिजिटल रुपया किसी कमर्शियल बैंक की नहीं बल्कि RBI की जिम्मेदारी होगा.
किसी भी कमर्शियल बैंक में डिजिटल रुपये को कैश में तब्दील किया जा सकेगा.
डिजिटल रुपये का इस्तेमाल बगैर बैंक अकाउंट के भी किया जा सकेगा.
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पर एक कॉन्सेप्ट नोट जारी किया है. इसमें बैंक ने बताया कि इस करेंसी का उद्देश्य क्या और इससे क्या लाभ-हानि हो सकती है. नोट में इस बात पर भी चर्चा हुई है कि इस करेंसी का बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति और देश की वित्तीय स्थिरता पर कैसा प्रभाव होगा. इसके अलावा बैंक ने इसे किसी प्राइवेट वर्चुअल करेंसी (बिटकॉइन) से अधिक सुरक्षित बताया है. गौरतलब है कि जब आरबीआई ने पहली बार डिजिटल करेंसी की बात शुरू की थी लोगों ने इसकी तुलना बिटकॉइन से करना चालू कर दिया था.
हम इसकी तुलना किसी क्रिप्टोकरेंसी से न करते हुए पहले से बाजार में चल रही डिजिटल करेंसी से करेंगे. क्या आरबीआई का डिजिटल रुपया फिलहाल बाजार में मौजूद डिजिटल करेंसी के मुकाबले बेहतर है, ये कैसे काम करता है और इसके क्या फायदे होंगे यह लेख मुख्यत: इन्हीं बातों पर केंद्रित है.
क्या है सीबीडीसी?
भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी को वैध मुद्रा (लीगल मनी) के रूप में जारी करेगा. ये देश की करेंसी का एक डिजिटल रिकॉर्ड या टोकन होगा जिसे लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. गौरतलब है कि बिटकॉइन को लेनदेन के माध्यम के तौर पर कम और इन्वेस्टमेंट के रूप में अधिक देखा जाता है. आरबीआई का कहना है कि डिजिटल रुपये से पेमेंट सिस्टम और सक्षम बन जाएगा. भारत अकेला नहीं है जो सीबीडीसी डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं पर काम कर रहा है. कई देशों में इसके पायलेट प्रोजेक्ट शुरू हो चुके हैं.
क्या है फायदा?
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप इसे कैश में तब्दील कर सकते हैं. इसके अलावा डिजिटल लेनदेन पर लगने वाला शुल्क कम हो जाएगा. डिजिटल रुपया किसी करेंसी फ्रॉड से बचने में अधिक सक्षम होगा क्योंकि इसकी हर यूनिट यूनिक होगी जैसा फिएट करेंसी या पेपर मनी के साथ होता है. इसे आप डिजिटल पेमेंट की ही तरह कोई भुगतान करने या स्टोर करने के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे. आरबीआई का कहना है कि इससे मौद्रिक और वित्तीय नीतियों के क्रियान्वयन में भी आसानी होगी. इसके आने से कैश पर लोगों की निर्भरता और कम हो जाएगी.
कैसे है ये डिजिटल करेंसी से अलग?
डिजिटल करेंसी एक जगह से दूसरी जगह पर ट्रांसफर होने के लिए बैंकों के सिस्टम से होकर गुजरती है. डिजिटल रुपया निर्बाध रूप से भुगतान करने से प्राप्त करने वाले के पास जाएगा. सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी है किसी कमर्शियल बैंक की नहीं. इसका सबसे जबरदस्त फीचर है कि डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं आपके पास अगर बैंक खाता नहीं है तब भी इससे डिजिटली पैसा ट्रांसफर हो पाएगा जबकि डिजिटल करेंसी के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
CBDC: आरबीआई के ई-रूपी से क्या है फायदा, यूपीआई से कैसे अलग है डिजिटल रुपया, जानिए सब कुछ
अगर आप भी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में समझना चाहते हैं तो इसमें सबसे मुख्य बात यह है कि ई करेंसी से लेनदेन में कोई भी इंटरमीडिएरी शामिल नहीं होता.
नई दिल्ली: भारत का केंद्रीय बैंक आरबीआई जल्द ही देश में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसीया सीबीडीसी की शुरुआत करने जा रहा है. अगर आप भी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में समझना चाहते हैं तो इसमें सबसे मुख्य बात यह है कि ई करेंसी से लेनदेन में कोई भी इंटरमीडिएरी शामिल नहीं होता. ई करेंसी के जरिए किया जाने वाला ट्रांजैक्शन गुप्त रह सकता है, जैसा नकदी में होता है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं ने मौद्रिक नीति समिति की घोषणा करने के बाद यह कहा है.
Success Story: ₹60,000 से शुरू समृद्धि ऑटोमेशन का कारोबार 160 करोड़ के पार, जनिए संजीव डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं डिजिटल करेंसी के क्या क्या फायदे हैं सहगल के संघर्ष की कहानी
सीबीडीसी का मुख्य उद्देश्य डिजिटल पेमेंट को और आसान और सुरक्षित बनाना है. e-RUPI को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर बनाया है. e-RUPI एक कैश और कॉन्टैक्ट लैस पेमेंट मोड के तौर पर पेश किया गया है.
अगर आप भी भर्ती रिजर्व बैंक की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या ई रुपए के बारे में यह जानना चाहते हैं कि हमारी जिंदगी कैसे बदल सकता है तो हम आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या सीबीडीसी को यूपीआई की तरह भारत की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है.
- सीबीडीसी क्या है?
किसी फिजिकल नोट की तरह सीबीडीसी एक लीगल टेंडर है. इसके बदले भारतीय रिजर्व बैंक आपको पैसे चुकाने का आश्वासन देता है. हम कानूनी रूप से इसे स्वीकार कर सकते हैं. यह कमर्शियल बैंक मनी के बदले फ्री में बदला जा सकता है. आप इसे डिजिटल नोट की तरह समझ सकते हैं. - सीबीडीसी UPI से किस तरह अलग है?
यूपीआई या यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस में आपको एक बैंक की जरूरत होती है जो आपके ट्रांजैक्शन को वैलिडेट करता है. सीबीडीसी में आपको किसी बैंक या बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं है. मुद्रा के लेनदेन में के सेटलमेंट में लगने वाला समय कम हो जाएगा और यह नकदी का विकल्प बन सकता है. - सीबीडीसी की जरूरत क्या है?
बैंक डिपाजिट की तुलना में सीबीडीसी अधिक सिक्योर है. आपके बैंक में रखी ₹500000 तक की रकम का इंश्योरेंस होता है. सीबीडीसी की गारंटी आरबीआई देता है और इस वजह से आपके डिजिटल करेंसी की रकम के नुकसान का खतरा कम हो जाता है. - सीबीडीसी से सरकार को क्या फायदा है?
सीबीडीसी या ई-रूपी से सरकार का फिजिकल कैश मैनेजमेंट का खर्च घट जाएगा. भारत सरकार पैसे छापने पर करीब ₹5000 करोड़ खर्च करती है. सीबीडीसी के आने के बाद सरकार को नोट छापने, रखने, उसे लाने ले जाने और सेटलमेंट आदि में काफी मदद मिलने वाली है. इसके साथ ही यह करेंसी एनवायरमेंट फ्रेंडली होगी. - सीबीडीसी के और फायदे क्या हैं?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के प्रयोग से क्रॉस बॉर्डर पेमेंट सिस्टम में व्यापक सुधार आ जाएगा. भारत दुनिया से पैसे बनाने वाला सबसे बड़ा देश है. साल 2021 में भारत को विदेश से 87 अरब डालर की रकम मिली थी. विदेश से पैसे मंगाने के मामले में लागत बहुत अधिक आती है, उसकी स्पीड स्लो होती है, उसका एक्सेस लिमिटेड होता है और उसमें ट्रांसपेरेंसी नहीं होती. सीबीडीसी के प्रयोग से इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा.
क्या है डिजिटल करेंसी ? कैसे है वर्तमान मुद्रा से अलग ? और क्या है इसके लाभ?
राज एक्सप्रेस। देश में हर तरफ डिजिटल करेंसी को लेकर बातों का रुझान तेज हो गया है। आज देखा जा रहा है कि लोग बहुतायत में क्रिप्टोकरेंसी में इंवेस्ट कर रहे हैं। इस बीच भारतीय रिज़र्व बैंक यानि आरबीआई के द्वारा भी खुद की डिजिटल करेंसी लॉन्च किए जाने की बातें की जा रही हैं। कुछ समय पहले ही देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट 2022 की पेशकश करते हुए यह कहा था कि, अगले वित्त वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया लॉन्च करने वाला है। उनके इस बयान के साथ ही यह बात भी साफ हो जाती है कि अब हमारा देश भी डिजिटल करेंसी मार्केट में कदम रख रहा है। ऐसे में आज हम आपको डिजिटल करेंसी से जुड़ी हर बात बताने वाले हैं।
क्या होती है डिजिटल करेंसी?
सीधे शब्दों में समझे तो डिजिटल करेंसी भी मुद्रा का ही एक रूप है।इसमें फर्क केवल इतना है कि यह करेंसी डिजिटल या फिर इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही हमारे पास रहेगी। डिजिटल करेंसी को दूसरे शब्दों में डिजिटल मनी, इलेक्ट्रॉनिक मनी, इलेक्ट्रॉनिक करेंसी और साइबर कैश भी कहा जा रहा है।
कितने तरह की होती हैं डिजिटल करेंसी?
डिजिटल करेंसी के 3 प्रकार हैं। इनमें पहला है क्रिप्टोकरेंसी, जिसका इस्तेमाल नेटवर्क में लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी के रूप में किया जाता है। हालांकि इस करेंसी पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। वहीँ दूसरी है वर्चुअल करेंसी। यह करेंसी एक संगठन द्वारा नियंत्रित अनियमित डिजिटल करेंसी के रूप में मानी जाती है। अब तीसरे नंबर पर आती है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी। इसे देश के सेंट्रल बैंक द्वारा जारी किया जाता है। आरबीआई भी इस करेंसी को जारी करने के बारे में बात कर रहा है।
डिजिटल करेंसी का काम और लाभ :
आप इस करेंसी से जुड़े सभी ट्रांजेक्शन केवल इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट के जरिए ही कर सकते हैं।
डिजिटल करेंसी में लेनदेन काफी तेजी से होता है। क्योंकि यह खुद एक नेटवर्क पर मौजूद है और इसमें किसी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती।
डिजिटल करेंसी, हमारी फिजिकल करेंसी के मुकाबले काफी सस्ती भी साबित होती है। जिसके चलते इससे लेनदेन की लागत भी कम आती है।
ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 731