Technical Analysis
Technical Analysis और स्टॉक मार्केट
SHARE MARKET से होने वाले लाभों को देख कर,हमारा इसकी तरफ आकर्षित होना बिलकुल उचित है,
क्योकि हर कोई अपने बचत के पैसो का निवेश कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है,लेकिन इस बात को बिल्कुल भी IGNORE नहीं किया जा सकता कि SHARE MARKET जोखिम से टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है भरा हुआ है,
शेयर बाजार कि सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि – यहाँ हर कोई शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के लिए ही ENTRY करता है, लेकिन सिर्फ 10% लोग ही शेयर बाजार से सही तरह से पैसे बना पाते है, और बाकी 90 % लोगो को LOSS होता है,
और यहाँ 90 % लोगो को LOSS होने का कारण है कि उन्हें ये पता नहीं होना कि –
- शेयर्स कब ख़रीदे,
- शेयर्स किस भाव में ख़रीदे
- शेयर्स कितना ख़रीदे
- शेयर्स कब बेचे
- शेयर्स किस भाव में बेचे
- शेयर्स कितना बेचे
- और LOSS की स्थिति में अपने LOSS को कैसे नियंत्रित करे,
इन सभी बातो का पता लगाने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस को सिखने और समझने की जरुरत होती है,
शेयर बाजार का RISK और RISK पे नियंत्रण
वैसे तो पूरे शेयर बाजार में दो ही काम होता है, शेयर खरीदना और शेयर बेचना,अब यही सबसे मजेदार पार्ट भी है, और इस बाजार कि दूसरी सच्चाई और सबसे निराली बात ये है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि, कोई शेयर्स कब खरीदना चाहिए, और कब बेचना चाहिए, यही इसका जोखिम पार्ट भी है,
बाजार में जोखिम इसी बात का है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि कोई शेयर्स कब ख़रीदे, कितने भाव में ख़रीदे, और कब बेचे तथा कितने भाव में बेचे,
सारा जोखिम इसी बात का है,
क्योकि यहाँ कोई भी हमेशा 100 % सही नहीं हो सकता, और कोई भी ऐसा एक तरीका नहीं है जो सिख के हम ये कह सके कि हम शेयर बाजार के बारे में सब सिख चुके है, और हम शेयर बाजार में हमेशा फायदे में ही रहेंगे.
शेयर बाजार के जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय –
हमने देखा कि शेयर बाजार में दो कम होते है – शेयर्स खरीदना और शेयर्स बेचना,
इन्ही दोनों से जुडी कुछ मुख्य बाते है, जैसे –
शेयर खरीदना – शेयर कब ख़रीदे? कितने मूल्य में ख़रीदे? शेयर कितना ख़रीदे ?
शेयर बेचना – शेयर कब बेचे ? शेयर कितने मूल्य में बेचे ? शेयर कितना बेचे ?
साथ ही साथ LOSS कि दशा में, पूंजी कि सुरक्षा कैसे करे?
इन सब के बारे में जानकारी रखने और उसे अमल में लाने से शेयर बाजार में मौजूद जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है,और अपने पूंजी कि रक्षा के साथ साथ सही तरह से लाभ कमाने कि अपेक्षा की जा सकती है,
जैसा कि हम पहले ही स्पस्ट टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है कर चुके है कि, कोई भी इन्सान हमेशा ठीक ठीक नहीं बता सकता कि , कोई शेयर कब ख़रीदना चाहिए, कितने में खरीदना, कितने में बेचना, और कब और कितना बेचना चाहिए,
लेकिन इसके कुछ उपाय है, जिसके द्वारा हम , शेयर्स के बारे में इस बात को कि , हम कब, किस मूल्य पर, और कितना शेयर बेचना चाहिए, इस बारे में अपना एक बेहतर POINT OF VIEW को हम अमल में लाकर, शेयर बाजार के जोखिमों को नियंत्रित कर, LOSS को कम करके लाभ को बढाया जा सकता है,
और इन उपायों के नाम है – FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS
आइये, अब बात करते है –
TECHNICAL ANALYSIS के बारे में
जब हम किसी कंपनी का शेयर सिर्फ इस आधार पर देखते है, कि उसके भाव कब कब बढ़ जाते है और कब कब कम हो जाते है, और इस बात पर जोर नहीं दिया जाता कि कंपनी और उसके लाभ कमाने कि क्षमता कितनी STRONG है, यानी जब सिर्फ शेयर के PAST PERFORMANCE को ध्यान में रखा जाता है तो इस तरह कि BUYING या SELLING को हम TECHNICAL ANALYSIS के आधार पर खरीदना और बेचना कहते है,
और इस तरह हम कह सकते है कि, FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS आधार पर ही आप अच्छे तरीके से किसी शेयर के FUTURE PERFORMANCE का एक अनुमान बता सकते है,
इस सन्दर्भ में TECHNICAL ANALYSIS, शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और कब बेचना, कितना बेचना, कितने भाव में बेचना, स्टॉप लोस लगाना आदि के बारे में हमें बताता है,
और इसी लिए बड़े से बड़े INVESTOR भी FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS कि मदद से मार्केट में हो रहे बदलाव और शेयर्स के सौदों के बारे में बताते है कि हमें कब खरीदना और बेचना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा हम लाभ कमा सके,
क्या है टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस? शेयर बाजार में पैसा कमाने के लिए जरूरी है ये ज्ञान, जानें इसे कैसे सीखें
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी शेयर या कंपनी के पिछले और वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर भविष्य की संभावना का अ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 03, 2022, 11:42 IST
हाइलाइट्स
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर के जरिए स्टॉक के प्राइस की मूवमेंट का अंदाजा लगाया जाता है.
फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी के बिजनेस मॉडल और ग्रोथ स्टोरी का अध्ययन किया जाता है.
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस सीखने के लिए कई बुक, कोर्स और ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध है.
नई दिल्ली. शेयर मार्केट में निवेश करने से पहले इसकी पर्याप्त समझ होनी चाहिए. किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए उसके बारे में अच्छे से अध्ययन करना होता है और यह दो तरीकों टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के जरिए किया जाता है. लेकिन, आम निवेशक को इसके बारे में ज्यादा समझ नहीं होती है लेकिन बाजार में सक्रिय रूप से काम करने वाले निवेशक और मार्केट एक्सपर्ट्स इसकी गहरी समझ रखते हैं. हालांकि, टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस की समझ विकसित करना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
आइये जानते हैं कि आखिर टेक्निकल और फंटामेंटल एनालिसिस क्या है और कैसे इसके बारे में समझ विकसित करके शेयर बाजार में सक्रिय निवेशक के तौर पर काम किया जा सकता है. इन दोनों तरीकों से आप शेयर की कीमत का सही अनुमान और भविष्य से जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता लगा सकते हैं, साथ ही स्टॉक कब खरीदें और कब बेचें, यह निर्णय लेने में भी आपको मदद मिलेगी.
क्या है टेक्निकल एनालिसिस?
टेक्निकल एनालिसिस में किसी भी शेयर के चार्ट को देखकर उसकी डेली, वीकली और मंथली मूवमेंट और प्राइस के बारे में जानकारी हासिल की जाती है. चार्ट के जरिए सबसे शेयर के सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखा जाता है. यहां सपोर्ट से मतलब है कि स्टॉक कितनी बार किसी एक खास भाव से ऊपर की ओर गया है. ज्यादातर एनालिस्ट सपोर्ट लेवल पर ही खरीदी की सलाह देते हैं.
वहीं, रेजिस्टेंस का मतलब है कि कोई स्टॉक कितनी बार किसी एक भाव से फिर से नीचे की ओर लौटकर आया है. अगर कोई शेयर अपने रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर की ओर जाता है तो इसे ब्रेकआउट कहते हैं यानी कि अब शेयर का भाव और बढ़ेगा. इसके विपरीत, यदि स्टॉक सपोर्ट लेवल को तोड़ देता है तो उसके नीचे जाने की संभावना ज्यादा रहती है.
टेक्निकल एनालिसिस में अहम इंडिकेटर
टेक्निकल एनालिसिस में इंडिकेटर अहम टूल्स होते हैं. दरअसल ये शेयर की मूवमेंट को लेकर अहम संकेत देते हैं. इनमें मूविंग एवरेज, RSI, MACD, सुपर ट्रेंड और बोलिंजर बैंड समेत कई टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है इंडिकेटर्स शामिल हैं. हर इंडिकेटर का अपना महत्व है लेकिन शेयर बाजार में सक्रिय ज्यादातर निवेशक मूविंग एवरेज, MACD और RSI इंडिकेटर को अहम मानते हैं.
मूविंग एवरेज इंडिकेटर के जरिए किसी भी स्टॉक के पिछले 5, 10, 20, 50, 100 और 200 दिन के एवरेज प्राइस का अध्ययन किया जाता है. अलग-अलग टाइम फ्रेम पर स्टॉक के भाव में बढ़त और गिरावट से तेजी व मंदी का अनुमान लगाया जाता है. वहीं, RSI यानी रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स एक ग्राफ के जरिए यह प्रदर्शित करता है कि शेयर में कितनी खरीदारी और बिकवाली हावी है.
फंडामेंटल एनालिसिस क्यों जरूरी?
फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी के बिजनेस मॉडल और ग्रोथ स्टोरी का अध्ययन किया जाता है. इसमें मुख्य रूप से कंपनी के फाइनेंशियल्स यानी आर्थिक आंकड़ों पर नजर डाली जाती है. इनमें P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखा जाता है. अगर प्राइस अर्निंग रेशियो की वैल्यू कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है. वहीं, प्राइस टू बुक वैल्यू रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है.
फंडामेंटल एनालिसिस में कम्पनी की सम्पत्तियों तथा देनदारियों की अध्ययन करके कम्पनी की नेट वैल्यू निकाली जाती है. इसके आधार पर कम्पनी के स्टॉक की कीमत का अनुमान लगाया जाता है. इसमें कम्पनी की डिविडेंड पॉलिसी भी देखी जाती है. इस तरह की स्टडी से अंडरवैल्यूड कंपनियों के बारे में पता लगाया जा सकता है जिनके भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना होती है.
कैसे सीखें टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस
टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के बारे में जानने के बाद अब सवाल उठता है कि यह ज्ञान कहां से लिया या सीखा जाए. टेक्निकल और टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है फंडामेंटल एनालिसिस के लिए कई बुक्स और इंटरनेट पर ऑनलाइन कंटेंट उपलब्ध है.
इसके अलावा आप नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी मार्केट (NISM) के जरिए शेयर मार्केट में बतौर रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइज के तौर पर काम करने के लिए कई कोर्सेस ज्वाइन कर सकते हैं. इनमें टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस से जुड़े विषयों को कवर किया जाता है.
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क्या है टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस? किसी शेयर में निवेश से पहले जानें इसकी अहमियत
शेयर मार्केट में निवेश के समय टेक्निकल एनालिसिस करते समय कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय टेक्निकल पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशन या टिप्स मिलते हैं जिससे आपको खुद एनालिसिस करना चाहिए।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है। इसके लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के एनालिसिस होते हैं। पहला फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाता है व कभी एक एनालिसिस के जरिए स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति को अपनाया जाता है।
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शेयर मार्केट में निवेश के समय टेक्निकल एनालिसिस करते समय कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय टेक्निकल पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशन या टिप्स मिलते हैं जिससे आपको खुद एनालिसिस करना चाहिए। तो ऐसे में आइए जानते हैं कि फंडामेंटल एनालिसिस और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस क्या है और दोनों में क्या फर्क है।
टेक्निकल एनालिसिस
टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में अधिक कांप्लेक्स है। इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर का एनालिसिस किया जाता है। इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रुझानों ध्यान में रखकर का अनुमान लगाया जाता है।
फंडामेंटल एनालिसिस
इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को पर ध्यान देते हैं। इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं। अब अगर जैसे P/E Ratio की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की बहूत उम्मीद है जब P/B Ratio कम होता है तो स्टॉक अंडरवैल्यूड है। साथ ही, इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी ध्यान देखते हैं जो अगर एक से ज्यादा होता है तो इसका अर्थ हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है। जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली होती हैं और कर्ज से मुक्त होती हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत होते हैं।
इन दोनों तरीकों से आप शेयर की प्राइस का सही अनुमान और भविष्य से जुड़ी संभावनाओं के बारे में पता लगा सकते हैं। साथ ही स्टॉक कब खरीदें और कब बेचें, यह निर्णय लेने में भी आपको काफी मदद मिलेगी।
टेक्निकल एनालिसिस क्या है? Technical analysis kya hai?
आज का हमारा टॉपिक रहेगा टेक्निकल एनालिसिस क्या है, कैसे करते है,और इसका उपयोग क्या है?
टेक्निकल एनालिसिस (Technical analysis) कैसे करे :-
देखिए किसी भी शेयर का चार्ट खोलो और उसमे ट्रेंडलाइन खींचे
या फिर होरिजेंटल लाइन लाइन खींचे या कोई भी मूविंग एवरेज लगाए
किसी भी प्रकार के इंडिकेटर्स लगाए ये सभी टेक्निकल एनालिसिस (Technical analysis) करने के तरीके है
इनसे हमे क्या पता चलता है इनसे हमे केवल और केवल प्राइस का सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल का पता चलता है।
नोट :- सबसे पहले तो आप को पास एक डीमैट अकाउंट ( Demat account) होना चाहिए नही तो आप शेयर खरीद और बेच नही सकते तो आप यहा click कर के अपना डीमैट अकाउंट जेरोधा (Zerodha) में खोल ले ।
अगर आप के पास पहले से ही zerodha का अकांउट है तो भी आप अपने फैमिली में से किसी का account खोल ले
अब इससे होगा क्या आप को जो हमारी वेबसाइट www. niftycharting.com में टेक्निकल एनालिसिस मिलते है
वो कुछ ही होते है आप को बड़ा फ्रॉफिट चाहिए तो zrodha में अकाउंट खोल के अपनी यूजर आईडी (user ID) हमे मेल कर दे या कमेंट्स कर दे
और इसके बाद हमारी वेबसाइट पर फ्री में रजिस्टर करे और स्टॉक,निफ्टी, बैंकनिफ्टी, सभी के बेहतर टेक्निकल एनालिसिस फ्री में पाए।
टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग हम intraday और swing treding (short term) के लिए करते है।
इससे हम ये पता लगाते है की कब हमे शेयर खरीदने है और कब बेचने है।
ट्रेडर के प्रकार-
1.इंट्राडे ट्रेडर –इंट्राडे ट्रेडर (intraday) वो होते है जो उसी दिन शेयर खरीदते है
और मुनाफा हो या घाटा उसी दिन उसे बेच देते है।
2.स्विंग ट्रेडर — स्विंग ट्रेडर (swing trader) वो होते है जो किसी भी शेयर को खरीद कर एक से अधिक दिन अपने पास रखते है
मतलब आज खरीदा और वो कल बेचे या परसों बेचे या फिर 25 दिन बाद बेचे उन्हें हम स्विंग ट्रेडर कहते
चार्ट टाइमफ्रेम –
इंट्राडे ट्रेडर (intraday) के लिए सबसे अच्छा टाइम फ्रेम 5 मिनट का होता है
या 15 मिनट भी देख सकते है। गलती से भी इंट्राडे ट्रेडर (intraday)को
1घंटा का टाइम ,या 1दिन का टाइम में ट्रेड नहीं करना है।
स्विंग ट्रेडर (swing trader)–
स्विंग ट्रेडर (swing trader) के लिए सबसे अच्छा टाइम फ्रेम जो उनको देख कर ट्रेड करना है
वो है 1घंटा का टाइम।
Note—- फॉरेक्स और क्रिप्टो या जिनमे 24 घंटे ट्रेडिंग होती है उनमें हम 4घंटा का टाइम फ्रेम देखते है
Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत
Fundamental vs Technical Analysis: स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशंस या टिप्स मिलते हैं लेकिन आपको खुद एनालिसिस करनी चाहिए.
फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)
Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.
कुछ निवेशक किसी एक एनालिसिस के सहारे शेयरों का चयन करते हैं लेकिन एनालिस्ट्स का मानना है कि टेक्निकल एनालिसिस करते समय भी कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय कुछ टेक्निकल भी देखना चाहिए. इसके अलावा स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशंस या टिप्स मिलते हैं लेकिन आपको खुद एनालिसिस करनी चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि दोनों एनालिसिस क्या है और दोनों में क्या फर्क है.
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Fundamental Analysis
इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.
Technical Analysis
टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.
Fundamental vs Technical Analysis
फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क और ट्रैकिंग.
- समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
- रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
- ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
- वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.
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